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प्रदेश वासियों को हरेली की बधाई और शुभकामनाएं-डॉ शिव कुमार डहरिया 19-Jul-2020

आवौ आज हरेली आगे, सब झन इही मनावन। दुखिया के दुःख हरै प्रभुजी, बीतै सुंदर सावन।।

रूख राई झन काट उजारौ, अब जंगल बरपेली। जघा-जघा हरियाली लावौ, आय तिहार हरेली।।

हरियर-हरियर डारा पाना, हरियर दिखथे खार। आगे-आगे हमर हरेली, “पहली“ आज तिहार।।

 

प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं श्रम मंत्री डॉ शिव कुमार डहरिया ने प्रदेश वासियों को हरेली की बधाई देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के लोगों के प्रकृति प्रेम और समर्पण को दर्शाता, छत्तीसगढ़ की पारम्परिक और प्रारंभिक त्यौहार हरेली का प्रदेशवासियों को मैं बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ देता हूँ। गाँव और किसानों के सपनों एवं आकांक्षाओं से भरे हरेली त्यौहार, सावन माह के अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन कृषि कार्य पूर्ण हो जाने की खुशी में समस्त कृषि-औजारों को धो-पोंछकर अच्छी फसल के लिए पूजा अर्चना की जाती है। पशुधन को आटा, नमक व खम्हार के पत्ते का लोंदी खिलाया जाता है। गेड़ी दौड़ और नारियल फेंक जैसे प्रतियोगिता का आयोजन कर हर्षोल्लास के साथ हरेली का त्यौहार मनाते हैं। मुख्य रूप से धरती में हरे-भरे, हरियाली हो जाने के उपलक्ष्य में हरेली उत्सव का आयोजन होता है। कुछ लोग इस दिन तंत्र-मंत्र साधना को भी बल देते हैं, लेकिन वास्तव में तंत्र-मंत्र, टोना-टामन जैसी कोई चीज नहीं होती। हमें अंधविश्वास से बचना चाहिए। छत्तीसगढ़ी संस्कृति में घर के बाहर गोबर लीपने की परम्परा है। इसका वैज्ञानिक वजह भी हानिकारक वायरस से बचना है। हरेली के दिन से ही राज्य सरकार, गोधन न्याय योजना की शुरूआत कर, किसानों और पशुपालकों से 2 रू. प्रति किलो की दर से गोबर खरीदने जा रही है। इससे किसानों और पशुपालकों को आर्थिक समृद्धि मिलेगी, वहीं पशु संरक्षण की दिशा में भी उल्लेखनीय कदम है। हरेली के दिन ग्रामीणों और किसानों के घरों में नीम की पत्तियाँ, दरवाजे पर खोंचने का प्रचलन है। माना जाता है कि इससे प्रदूषण नियंत्रित होता है और मौसमी बीमारियाँ घर पर नहीं आती। इसके साथ ही हमारे कुछ यादव समाज के भाई लोग ग्रामीणों, किसानों को दशमुख और डोटो का उबला हुआ कान्दा खिलाते हैं, जो औषधीय गुणों से भरा होता है। मैं पुनः आप सबके सुख-शांति और समृद्धि के लिए छत्तीसगढ़ महतारी से कामना करते हुए हरेली त्यौहार की बधाई एवं शुभकामनाएँ देता हूँ।



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