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रायगढ़ : पपीते की खेती ने खेमराज को दिखाई तरक्की की राह 28-Sep-2020

 

नकदी फसलों की ओर किसानों का बढ़ रहा रुझान

 

जिले के पुसौर विकासखंड के जतरी गाँव के किसान हैं, श्री खेमराज पटेल। खेती किसानी के काम में परम्परागत कृषि को अपनाया हुआ था और मुख्यत: धान की खेती करते थे। खेती किसानी में ही कुछ अलग करने का विचार आया तो उद्यानिकी विभाग से सम्पर्क किया और वहां से मिली जानकारी के आधार पर पपीते की खेती करने का मन बनाया।

राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत उन्हें डेढ़ हेक्टेयर में पपीता अनुदान 45 हजार रुपये तथा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एक हेक्टेयर में ड्रिप संयंत्र लगाने के कुल लागत का 50 प्रतिशत 64 हजार 500 रुपये सहित कुल 01 लाख 9 हजार 500 रुपये का अनुदान दिया गया। विभाग से मिले संसाधनों की सहायता से नवम्बर 2019 में श्री खेमराज ने लगभग 1400 पौधे अपने खेत में लगाये।

ड्रिप सिंचाई की सुविधा थी तो उसी पद्धति से सिंचाई कर पपीते की खेती का काम आगे बढाया। चर्चा करने पर इतनी जानकारी देने के बाद खेमराज मुद्दे की बात बताते हैं, कि शुरुआत में यह सोच कर पपीता लगाया कि खेती में कुछ नया किया जाये। लेकिन आज लगभग 10 महीने बाद उनके विचार बदल गए हैं वे कहते हैं कि गैर परम्परागत खेती खासकर फल और सब्जी जैसे कैश क्रॉप को लगाने से तो धान की खेती से कहीं ज्यादा मुनाफा है।

खेमराज बताते हैं कि वो अभी तक वो लगभग 110 क्ंिवटल पपीता बेच चुके हैं जिनसे उन्हें 2.30 लाख की आय हुई है और अभी भी लगभग 50 क्ंिवटल फसल बेचने के लिए खेत में तैयार है। वो कहते हैं कि मैंने जितने एरिया में पपीता लगाया है उतने से किसान को एक फसल में लगभग 4 से 5 लाख की आय मिल जाएगी। जिसमें से लागत को निकालकर किसान आसानी से 3 लाख रूपया तक शुद्ध मुनाफा कमा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि पहली दफा खेती करने से खरीददार और मार्केट तक पहुँच बनाने के लिए थोड़ी मेहनत करनी होती है। एक बात सप्लाई चेन बन जाने से उसकी भी समस्या नहीं रहती है। खेमराज अभी रायगढ़ और बिलासपुर के व्यापारियों को पपीता सप्लाई कर रहे हैं। उनकी इस सफलता को देख क्षेत्र के अन्य किसान भी अब बागवानी फसलों की खेती की ओर अपनी रूचि दिखा रहे है।



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