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करदाताओं और गरीबों के पैसों पर अपनी जिंदगी रंगीन करने वालों की हकीकत 06-Oct-2020
आर्थिक अपराध में खून खराबा तो नहीं होता मगर लाखों जिंदगियां संकट में पड़ जाती हैं. बैड बॉय बिलियनेयर्सः इंडिया में विजय माल्या, नीरव मोदी और सुब्रत राय सहारा की कहानियां यही बताती हैं. ये हमारी सत्ता, व्यवस्था और आम नागरिकों के लिए सबक हैं कि जरा सी आहट होते ही घंटी बजाएं, वर्ना डिजिटल दौर में खतरे और बढ़ सकते हैं. विजय माल्या, नीरव मोदी और सुब्रत राय सहारा एक समय देश के सबसे धनी और सबसे रसूखदार लोगों में थे. राजनेता और बड़े अधिकारियों से लेकर सेलिब्रिटी तक इनके दरवाजों पर खड़े रहते थे क्योंकि इनकी ताकत और पैसे से चमके व्यक्तित्व का मुकाबला नहीं था. मगर आज तीनों देश के सबसे बड़े आर्थिक अपराधी हैं. माल्या और नीरव भगोड़े घोषित होकर विदेश में हैं जबकि सुब्रत राय सहारा जेल काट चुके हैं. इनके उत्थान-पतन की कहानियां बताती हैं कि चालाकी और धोखाधड़ी से भारत में बड़ा आदमी तो बना जा सकता है परंतु लंबे समय तक टिका नहीं जासकता. यहां ईमानदारी का मूल्य है मगर समस्या यह है कि जब तक ईमानदारी, नैतिकता और कानून अपना काम करते हैं तब तक लाखों लोगों की जिंदगियां दांव पर लग जाती है. इन अपराधियों के पनपने के लिए राजनेता, व्यवस्था और सेलेब्रिटी भी जिम्मेदार हैं जो ‘गुड टाइम्स’ में इन लोगों को ‘किंग’ बनाने का काम करते हैं. इन्हें एहसास दिलाते हैं कि ये हीरे की तरह हैं, सदा के लिए. फिर इन लोगों के साथ ‘परिवार’ जैसे रिश्ते कायम करते हैं.
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