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किसानों को बिना मांगे मिल रहा विपक्षी दलों का समर्थन 07-Dec-2020

देश की सभी विपक्षी राजनीतिक पार्टियां बिना समर्थन मांगे किसानों को समर्थन देने आगे आ रही हैं 

 

जनता जब राजनीतिक पार्टियों से समर्थन मांगती हैं तब जल्दी कोई समर्थन देने को तैयार नहीं होता - परंतु किसान आंदोलन जो किसानों का अपना आंदोलन है, कृषि कानूनों के खिलाफ देश के सभी किसान स्वयं एकत्रित हुए हैं और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ लामबंद होकर सरकार के खिलाफ एकजुटता से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं

किसानों की एकता लाखों करोड़ों की संख्या होने के बावजूद एकमत एक मांग और समुचित स्वयं की व्यवस्था को देखते हुए देश की सभी विपक्षी राजनीतिक पार्टियां बिना समर्थन मांगे उन्हें समर्थन देने आगे आ रही हैं जो कि विपक्षी दलों की विवशता को दर्शित करता है

 

विपक्ष के साझा बयान में सोनिया गांधी समेत 11 बड़े नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की मांगें पूरी करे। इनमें NCP नेता शरद पवार, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, DMK के चीफ एमके स्टालिन और PAGD के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, RJD के तेजस्वी यादव, भाकपा के महासचिव डी राजा, भाकपा (ML) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, AIFB के महासचिव देवव्रत विश्वास और RSP के महासचिव मनोज भट्टाचार्य शामिल हैं।

 

 

इन पार्टियों ने दिया बंद को खुला समर्थन
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा, माकपा,शिरोमणि अकाली दल TRS, VCK, MMK, IJK, KNMNK, DMK, MDMK और IUML के साथ -साथ जम्मू-कश्मीर के पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन ने भी बंद को खुला समर्थन दिया है। इस अलायंस में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट और माकपा की जम्मू-कश्मीर इकाई शामिल है।

बेनीवाल बोले, 8 दिसंबर को तय करेंगे NDA में रहना है या नहीं
किसान आंदोलन के कारण भाजपा की अगुवाई वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) में फूट पड़ने लगी है। बंद के समर्थन में आए राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और राजस्थान से सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री को कृषि कानून वापस लेने चाहिए। हम एनडीए में रहेंगे या नहीं इस पर आठ दिसंबर के बाद ही फैसला लिया जाएगा।

कृषि राज्य मंत्री का विपक्ष पर वार
इस बीच कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने विपक्ष पर किसानों को भड़काने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश के किसानों को नए कानून से फायदा ही होगा, लेकिन कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारें उन्हें भड़का रही हैं। राजनीतिक लोग आग में ईंधन डाल रहे हैं।



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