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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ट्रैक्टर मार्च पर दिल्ली पुलिस फैसला ले, कमेटी पर पक्षपात के आरोप पर CJI सख्त 20-Jan-2021

9 दौर की बैनतीजा बैठक और 55 दिनों के लगातार आंदोलन के बाद संयुक्त किसान मोर्चा और सरकार के प्रतिनिधि एक बार फिर से आज बातचीत की मेज पर होंगे. बैठक का वक्त दोपहर 2 बजे का मुकर्रर किया गया है. कोशिश इस बात की है कि कम से कम इस बार ही सही लेकिन विज्ञान भवन में दोनों गुटों के बीच कैमिस्ट्री बैठ जाए लेकिन बैठक आसान नहीं होने वाली है.एटॉर्नी जनरल ने कहा कि पांच हज़ार ट्रैक्टर लेकर दिल्ली में घुसने की बात कही जा रही है. इस पर सीजेआई ने कहा कि यह मसला पुलिस देखे। हमें इस पर कुछ नहीं कहना. इसके साथ ही आज की सुनवाई पूरी हो गई.दवे और भूषण ने कहा है कि उनके मुवक्किल कमिटी की कार्रवाई में हिस्सा नहीं लेना चाहते. इसलिए इस अर्ज़ी पर कुछ नहीं कहना. अभी तो कानून पर रोक है. अगर रोक हट जाए तो आंदोलन कीजिए. भूषण ने कहा कि मैंने उन्हें शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए समझाया है. उनका कहना है कि दिल्ली के बाहरी इलाके में सिर्फ गणतंत्र दिवस मनाने के लिए ट्रैक्टर रैली निकालेंगे. शांति भंग नहीं करना चाहते.कोर्ट अब आदेश लिखवा रहा है, सीजेआई ने कहा कि हमने कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई थी. इसका उद्देश्य सभी पक्षों की बात सुनना था. उन्हें कोई फैसला लेने की शक्ति नही दी गई थी. कमेटी को हमें रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था. कमिटी के सदस्य भूपिंदर सिंग मान ने इस्तीफा दे दिया है. इससे एक जगह खाली हो गई है. हमारे सामने एक अर्ज़ी आई है कि खाली पद को भरा जाए. हम इस पर नोटिस जारी कर रहे हैं.कोर्ट ने कमिटी के दोबारा गठन की मांग करने वाली किसान महापंचायत की अर्ज़ी पर सभी पक्षों को नोटिस जारी किया. वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि आप स्पष्ट कर दीजिए कि कमिटी सिर्फ कोर्ट की सहायता के लिए बनी है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कितनी बार यह साफ करें? कमिटी को कोई फैसला लेने की शक्ति भी नहीं दी गई है. हरीश साल्वे बोले कि आप यह कह दीजिए कि कोई कमिटी में जाए या नहीं, कमिटी कोर्ट की सहायता करेगी.सीजेआई ने कहा कि आप क्या कहना चाहते हैं, कोई कुछ राय ही नहीं रख सकता? यह एक चलन हो गया है कि जो लोग पसंद न आएं उन पर कोई ठप्पा लगा दो. कमेटी को कोई फैसला लेने के लिए नहीं कहा गया है. सिर्फ लोगों की बात सुन कर हमें रिपोर्ट देना है. हमने कानून पर रोक लगाई और कमिटी बनाई. जो कमेटी में नहीं जाना चाहते, न जाएं. लोगों को इस तरह से ब्रांड करने की क्या ज़रूरत है. आप लोग अखबारों के हवाला दे रहे हैं. लेकिन कोर्ट लोगों की राय से फैसले नहीं लेता. यहां कहा जा रहा है कि कोर्ट की इन लोगों को रखने में दिलचस्पी थी. यह बहुत आपत्तिजनक है.चीफ जस्टिस ने कहा, ''जब हमने आदेश के लिए मामला लगाया था तो भूषण और आपको सूचित किया था. लेकिन आप लोग आए ही नहीं.'' इस पर दवे ने कहा कि हमने किसान संगठनों से निर्देश लेने के लिए समय मांगा था. कोर्ट ने आदेश के लिए मामला लगा दिया. सीजेआई ने कहा कि आप लोगों ने ही आग्रह किया था कि आदेश कल दिया जाए. हम आपकी इस दलील को स्वीकार नहीं कर सकते. सीजेआई की इस टिप्पणी पर दुष्यंत दवे ने कहा कि मैं माफी मांगता हूं.किसान महापंचायत के वकील अजय चौधरी ने कहा कि हमारी संस्था भारतीय किसान पार्टी की अर्ज़ी को कोर्ट स्वीकार कर चुका है. हमारी संस्था राजस्थान की है. दुष्यंत दवे ने कहा कि इन्हें भी सुनिए, हमें कोई आपत्ति नहीं.अब किसान महापंचायत की तरफ से एक वकील बोल रहे हैं. उनकी दलील कमिटी पर है. चीफ जस्टिस ने कहा- क्या आपने भी कमिटी के गठन का ही विरोध किया है? अगर हां तो कमिटी के सदस्यों के नाम पर चर्चा क्यों करना चाहते हैं. किसान संगठन की ओर से पेश दुष्यंत दवे ने कहा कि यह संगठन आंदोलन नहीं कर रहा है. इस पर सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि पहले इनसे पूछा जाए कि यह खुद किस संगठन के लिए आए हैं, कोई स्पष्टता ही नहीं है. दवे के साथ ही पेश हुए प्रशांत भूषण 8 संगठनों के नाम पढ़ रहे हैं. यह वही संगठन हैं जिन्हें पहले मामले में पक्ष बनाया गया था.26 जनवरी को दिल्ली में किसानों के ट्रैक्टर मार्च को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और दिल्ली पुलिस से इस पर फैसला लेने को कहा था. आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने कहा कि हम मामला लंबित नहीं रखेंगे। पुलिस तय करे, उसे अधिकार है.दिल्ली पुलिस और किसानों के बीच जारी बैठक खत्म हो गई है. किसान अभी भी ट्रैक्टर रैली को लेकर अड़े हुए हैं.किसानों को मनाने में जुटी हुई है दिल्ली पुलिस जबकि किसान ट्रैक्टर रैली करने को लेकर मानने के मूड में नहीं हैं.



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