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वैश्विक महामारी कोरोना के इस आपातकाल में जब सबके साथ मिलकर, सबको साथ लेकर काम करने की ज़रुरत थी, तब कांग्रेस सरकार द्वारा सामान्य लोकतांत्रिक शिष्टाचार तक का परिचय नहीं दे पाना दुखद है. 10-May-2021

वैश्विक महामारी कोरोना के इस आपातकाल में जब सबके साथ मिलकर, सबको साथ लेकर काम करने की ज़रुरत थी, तब कांग्रेस सरकार द्वारा सामान्य लोकतांत्रिक शिष्टाचार तक का परिचय नहीं दे पाना दुखद है. टीकाकरण की परिस्थितियों से अवगत कराने और इस संबंध में चर्चा कर कुछ सुझाव देने हमने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी से प्रत्यक्ष मिलने का समय चाहा था. भाजपा का उच्च स्तरीय शिष्टमंडल जिसमें नेता प्रतिपक्ष श्री धरम लाल कौशिक, सांसद  सुनील सोनी और विधायक सर्वश्री बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर जी के साथ हम मुख्यमंत्री जी से चर्चा कर कुछ ज़रूरी सुझाव देना चाहते थे लेकिन, मिलने का समय देना तो दूर उन्होंने काफी ठंडी प्रतिक्रया दी और कांग्रेस के हैंडल से हिकारत भरे सन्देश ट्वीट किये गए.
इस तरह इतने गंभीर मुद्दे का मज़ाक उड़ाना और विपक्ष को अपमानित करना असहनीय है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. अभी मुझे सीएम कार्यालय से बताया गया है कि 12 तारीख को वर्चुअल माध्यम से हम बात कर सकते हैं. जिस तरह के हालात है प्रदेश में, जहां एक-एक दिन में परिस्थियां विकराल हो रही है वहां विपक्ष से मिलने के लिए 12 तारीख का, वह भी आभासीय माध्यम से समय देना यह दिखाता है कि विधायी मर्दायाओं और परम्पराओं तक के प्रति कितना हिकारत रखती है कांग्रेस. इस सरकार के लिए किस तरह ऐसे कठिन समय में भी विपक्ष के अनुभव और उसके फीडबैक आदि महत्वहीन है. कोरोना के कठिन समय में प्रदेश को अपने हाल पर छोड़ लगातार अन्य प्रदेशों में व्यस्त रहने, क्रिकेट आदि देखने और उसका मुफ्त पास गांवों तक में बांट कर कोरोना फैलाने का समय था इनके पास लेकिन, विपक्ष के शिष्टमंडल से मिलने का समय नहीं है. छत्तीसगढ़ ने इतना अमर्यादित लोकतांत्रिक व्यवहार इससे पहले कभी नहीं देखा है.
इससे दुर्भाग्यजनक कुछ नहीं हो सकता कि नकली शराब पीने से प्रदेश के दस व्यक्ति की मृत्यु हो गयी तो उसे भी इन्होंने शराब की कमाई करने के लिए बहाने के रूप में उपयोग कर लिया. इतने बड़े आपदा को भी विकृत अवसर में बदलने की इस कोशिश की जितनी निंदा की जाय, यह कम है.  
आप सब जानते ही हैं कि वैश्विक महामारी कोरोना में छत्तीसगढ़ आज भयंकरतम दौर से गुजर रहा है। हालात भयावह हैं। प्रदेश में संक्रमितों का आंकड़ा 8.50 लाख पहुंचने वाले हैं। और रिकवरी रेट 80 प्रतिशत के आसपास आ गया है। 10 हज़ार से अधिक लोग अभी तक अकाल काल-कवलित हो चुके हैं। रोज सैकड़ों मौतें हो रही हैं। ये तो वे आंकड़े हैं जो सरकार ने जारी किये हैं। बड़ी संख्या न तो संक्रमण रजिस्टर हो रहे हैं और न ही सभी मौतों की जानकारी दर्ज हो पा रही है. फिर शासकीय स्तर पर ही आंकड़े छिपाये जा रहे हैं। श्मसानों में कई-कई दिन की प्रतीक्षा सूची है. मर्च्युरी में कई गुना अधिक लाश रखने पड़ रहे हैं. इससे वीभत्स हालात की कल्पना भी नहीं की जा सकती है.
अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि छत्तीसगढ़ में ऐसे बुरे हालात नहीं होते अगर यहां कांग्रेस सरकार ने समय रहते पर्याप्त कदम उठाये होते तो. अभी के भयावह हालात में एकमात्र आशा की किरण देश में विकसित अपने टीके हैं. लेकिन टीकाकरण के मामले में भी लगातार कांग्रेस सरकार ने जिस तरह के हठधर्मिता का परिचय दिया है, जिस तरह माननीय उच्च न्यायालय से बार-बार फटकार लगने के बावजूद यह सरकार अड़ी रही, यहां तक कि टीकाकरण को रोकने का भी निर्णय ले लिया यह अफसोसनाक है. ऐसा उदाहरण देश भर में कहीं और देखने को नहीं मिला है.
प्रदेश में टीकाकरण के संबंध में सरकार की हठधर्मिता दुखद है. क्योंकि सीएम के पास विपक्ष से मिलने का समय नहीं है, अतः हम आपके माध्यम से ही शासन को कुछ सुझाव देना चाहते हैं. भाजपा उम्मीद करती है कि इन सुझावों पर अमल कर कांग्रेस सरकार छत्तीसगढ़ को कोरोना मुक्त बनाने के लिए अब भी कुछ गंभीरता का परिचय देगी. हम चाहते हैं कि :-
1. माननीय उच्च न्यायालय के संबंधित आदेश के अनुपालन में प्रदेश में टीकाकरण के लिए भेदभाव रहित नीति बनायी जाय. ऐसी नीति जिसमें सर्व समाज का हित निहित हो.
2. अन्त्योदय, बीपीएल और एपीएल श्रेणी के लिए अलग-अलग कस्बों में केंद्र का निर्माण किया जाना निहायत ही अव्यावहारिक निर्णय है. हर केंद्र पर सभी श्रेणी के बूथ होने चाहिए.
3. भारतीय टीके के खिलाफ प्रदेश में राजनीतिक कारणों से लगातार दुष्प्रचार किये गए. इस कारण गांवों-कस्बों में टीका लगाने गए कर्मियों पर हमले की ख़बरें लगातार आ रही है. ऐसे कर्मियों की सुरक्षा हो. टीकाकर्मियों का पर्याप्त बीमा भी हो. साथ ही जनमानस में फैलाई गयी भ्रांतियों को दूर करने प्रदेशव्यापी जन-जागरण अभियान चलाया जाना चाहिए.
4. टीके की वर्तमान कमी का एक कारण समय से आर्डर नहीं दे पाना भी है. हमारे पड़ोसी नए राज्य ने अनुमति मिलते ही 8 करोड़ टीकों के लिए आदेश कर दिया. जबकि हम अंतिम दिन तक पत्र लिखते रहे. अतः आग्रह है कि अनावश्यक पत्राचार न कर त्वरित निर्णय लें.
5. प्रदेश में करीब 2.50 लाख टीके बर्बाद हुए हैं. इसे रोकने ‘केरल मॉडल’ से प्रेरणा लें. वहां उन्होंने ‘वेस्टेज फैक्टर’ के मद्देनजर दिए जाने वाले खुराक का बेहतरीन उपयोग कर केंद्र द्वारा मिले कुल डोज का 102 प्रतिशत टीकाकरण कर लिया. इससे सीखना चाहिए.
6. छत्तीसगढ़ में टेस्टिंग कम होते जाना चिंताजनक है. RTPCR, एंटीजन और ट्रू नॉट सभी पर्याप्त संख्या में हो. जांच की कमी के कारण भी प्रदेश में मृत्यु दर बढ़ना चिंताजनक है.
7. हर पंचायत में ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर और दवा किट आदि शीघ्र उपलब्ध कराये जायें.
8. पत्रकारों को ‘फ्रंटलाइन वर्कर’ मानते हुए इनका प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण हो.
9. नियमों को धत्ता बता कर टीके लगवाने की अनेक ख़बरें चिंताजनक है. इस पर सख्ती से लगाम लगाया जाना चाहिए. नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित हो.



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