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20 Years Of Lagaan: आमिर खान ने कहा- हम हर सुबह चार बजे लोकेशन पर पहुंचते थे, गायत्री मंत्र सुनना आदत हो गई थी
20 Years Of Lagaan: आमिर खान का कहना है कि इस फिल्म से जुड़ी कई यादगार लम्हें हैं, इनमें से किसी एक के बारे में कहना काफी मुश्किल है. आमिर के साथ-साथ पूरी यूनिट के लिए लगान एक ऐसा चैप्टर रहा है, जो हमेशा उनके जीवन का अभिन्न अंग बना रहेगा. यही वजह है कि वह टीम के संपर्क में अभी भी बने हुए हैं.
बॉलीवुड की मशहूर फिल्म 'लगान' ने आज अपने 20 साल पूरे कर लिए हैं. बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने के साथ ही यह फिल्म ऑस्कर जीतने के दौड़ में भी शामिल हुई थी. हालांकि फिल्म के मुख्य अभिनेता आमिर खान का कहना है कि वह 'लगान' को बनाने के अनुभव को दोबारा नहीं जीना चाहते हैं.
आशुतोष गोवारिकर के निर्देशन में बनी इस फिल्म के बारे में सुपरस्टार आमिर खान कहते हैं, "अगर आप मुझसे 'लगान' के दोबारा बनने की बात करेंगे, तो मैं इसे नहीं करूंगा. लगान को दोबारा तैयार करने की मुझमें हिम्मत नहीं है."
हालांकि यह शायद परिपूर्णता के उस एहसास की बात करता है, जिसे पहली बार बनाए जाने के दौरान ही फिल्म की टीम ने अनुभव कर लिया है. इसके अलावा, आमिर अपने किए किसी काम को आमतौर पर दोहराते भी नहीं हैं.
आज फिल्म ने अपने 20 साल पूरे कर लिए. यह सर्वश्रेष्ठ विदेशी फीचर फिल्म की श्रेणी में ऑस्कर में भारत की तीसरी आधिकारिक प्रविष्टि बनी थी. आमिर का कहना है कि इस फिल्म से जुड़ी कई यादगार लम्हें हैं, इनमें से किसी एक के बारे में कहना काफी मुश्किल है.
वह अभिनेता पॉल ब्लैकथॉर्न को याद करते हैं, जिन्होंने क्रूर कैप्टन रसेल की भूमिका निभाई थी. आमिर कहते हैं कि ऑफ कैमरा रसेल काफी नम्र स्वभाव के थे, जो सेट पर सभी को विनी-द-पूह पढ़कर सुनाते थे.
आमिर ने कहा, "खलनायक की भूमिका निभाने वाले पॉल ब्लैकथॉर्न असल जिंदगी में बेहद ही प्यारे और नम्र स्वभाव के हैं. वह हमेशा हंसा करते थे, लोगों को चुटकुलें सुनाया करते थे. हमारा एक बड़ा सा मेकअप रूम था, जहां हम सभी तैयार होते थे. और वह पॉल ही थे जो हम सभी का मनोरंजन किया करते थे. वह चेयर पर बैठकर जोर-जोर से विनी-द-पूह पढ़ते थे. हर रोज सुबह हम सब मेकअप वगैरह करके तैयार हो जाते थे और पॉल उस वक्त विनी-द-पूह जोर-जोर से पढ़ते थे, हम सभी सुनते थे. हमें बहुत मजा आता था."
एक और किस्से को याद करते हुए आमिर ने बताया, "उन दिनों एक चीज हमारी आदत बन गई थी. हम बस में सवार होकर सुबह चार बजे लोकेशन पर पहुंचते थे. और हर रोज छह महीने तक गायत्री मंत्र का बजना हमारी आदत में शुमार हो गया. कोई न कोई एक्टर सुबह उठते ही इसे स्पीकर पर चला देता था. भोर के अंधेरे में रोज-रोज उठने के दरमियान यह हममें उर्जा का संचार करता था. एक दिन भी इसके बिना नहीं बीता."
आमिर के साथ-साथ पूरी यूनिट के लिए लगान एक ऐसा चैप्टर रहा है, जो हमेशा उनके जीवन का अभिन्न अंग बना रहेगा. यही वजह है कि वह टीम के संपर्क में अभी भी बने हुए हैं.
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