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सुप्रीम कोर्ट स्वत: संज्ञान ले - राज्य सरकारों के विज्ञापन खर्च की तय हो सीमा - अपील 11-Sep-2021

सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान ले - 

हर माह करोड़ों रुपए खर्च कर जनता से वसूले गए टैक्स को विज्ञापन पर बर्बाद करतीं हैं राज्य सरकारें -

 गुणवत्ता में कमी आने पर संबंधित अधिकारी एवं मंत्री पर जुर्म दर्ज कर वसूली करने की सख्त कार्यवाही के साथ सजा भी हो 

 

अखबारों, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, पत्र-पत्रिकाओं, रेडियो सहित अन्य माध्यमों से जारी किए जाने वाले विज्ञापन के खर्च की तय हो सीमा ! प्रदेश सरकारें सत्ता पर काबिज होने के बाद अपनी तारीफ, अपने कार्यों की तारीफ के साथ मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों सहित मंडल आयोग के अध्यक्ष अपनी तस्वीर के साथ लगातार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, पत्र-पत्रिकाओं, अखबारों, एफएम रेडियो सहित लघु फिल्मों, नुक्कड़ नाटकों के साथ साथ होल्डिंग - बैनर पर हर माह करोड़ों रुपए खर्च कर जनता से वसूले गए टैक्स को बर्बाद करते हैं | CG 24 News

कोई भी पार्टी सत्ता पर काबिज होने के बाद कभी भी मध्यमवर्गीय परिवारों की स्थिति के लिए कोई कार्य नहीं करती | माननीय सुप्रीम कोर्ट को स्वयं संज्ञान लेकर इनके खर्च की सीमा तय करनी चाहिए ताकि जनता के खून पसीने से की गई कमाई में से टैक्स के नाम से वसूली गई रकम इस तरह बर्बाद ना हो |

 

माननीय सुप्रीम कोर्ट को इस बात पर भी संज्ञान लेना चाहिए कि प्रदेश सहित केंद्र सरकार द्वारा विकास कार्यों एवं निर्माण कार्य पर खर्च की गई राशि की गुणवत्ता में कमी आने पर संबंधित अधिकारी एवं मंत्री पर जुर्म दर्ज करके उनसे वसूली करने की सख्त कार्यवाही के साथ सजा भी हो| देखने सुनने में आता है कि कोई भी निर्माण कार्य जो गुणवत्ता की कमी के कारण समय से पहले या निर्माण के दौरान ही ध्वस्त हो जाता है, जैसे कि पुल पुलिया, सड़कें, डैम, अस्पताल विभिन्न प्रकार के भवन जैसे, satadiam सहित अन्य भरी निर्माण जिन पर अरबों रुपया खर्चा किया जाता है और जो बनने से पहले ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं | इनकी शिकायत होने पर सबसे पहले तो जांच का लंबा दौर चलता है | शिकायतकर्ता या विपक्षी पार्टी के दबाव में आकर यदि निर्माण को गुणवत्ता हीन मानकर रिपोर्ट प्रस्तुत तो कर दी जाती है परंतु उस रिपोर्ट में किसी भी अधिकारी पदाधिकारी मंत्री पर कार्यवाही करने की अनुशंसा नहीं की जाती, दिखावे के लिए छोटे-मोटे अधिकारियों को निलंबित कर कार्यालय में अटैच कर दिया जाता है| अब यहां यह समझ नहीं आता कि देश को चलाने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सासंद, विधायक, नेता, मंत्री, आईएएस, आईपीएस, अर्थशास्त्री, साइंटिस्ट, वकील अरबों खरबों रुपए के भ्रष्टाचार मामले में इस निलंबन की कार्यवाही को सजा कैसे मान लेते हैं जबकि इन्हें यह भी पता होता है कुछ समय बाद यही निलंबित अधिकारी पुनः फील्ड पर काम करते नजर आएंगे | माननीय सर्वोच्च न्यायालय को इन मामलों में संज्ञान लेकर संबंधित जिम्मेदार छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों के साथ-साथ नेता मंत्रियों पर भी जुर्म दर्ज कर अपराधी सख्त सजा। का प्रावधान करना चाहिए अन्यथा भ्रष्टाचार का यह खेल निरंतर जारी रहेगा | नेता मंत्री अधिकारियों को जिम्मेदार बताकर उन्हें निलंबित कर ज्यादा से ज्यादा सस्पेंड कर इतिश्री मान लेते हैं वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों को भी पता होता है कि कुछ समय बाद हमें फिर से बहाल हो जाना है और इस प्रकार अरबों खरबों रुपए के भ्रष्टाचार का बंटवारा आपस में हो जाता है भुगतती है तो आम जनता जो महंगाई की मार के साथ-साथ टैक्सों में बढ़ोतरी के भार के नीचे दफ्ती चली जा रही है और इसका समाधान भी आम जनता के पास नहीं है क्योंकि एक पार्टी को हराकर जनता दूसरी पार्टी को सत्ता में लाती है तो वह भी उसी धारा में बहते नजर आते हैं और आम नागरिक हाथ मलता हुआ अगले 5 साल बाद के चुनाव का इंतजार करता रहता है | Sukhbir Singhotra CG 24 News



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