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रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी ने दिया स्तीफा - जल्द करेंगे भाजपा प्रवेश - लविंदरपाल की रिपोर्ट
ओपी चौधरी ने भाजपा खेमे से खरसिया विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए हामी भर दी हैं। 2005 बैच के आईएएस ओपी चौधरी ने रायपुर कलेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा और संघ ने रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी को चुनाव लड़ाने के लिए मना लिया है। यह खबर वर्तमान विधायक की नींद उड़ा सकती है। साथ में जो लोग भाजपा से खरसिया, रायगढ़ और चंदरपुर से दावेदारी कर रहे थे वे भी चिंतित हैं। कुछ दिनों से मुख्यमंत्री निवास में यह चर्चा थी, रायपुर से लेकर दिल्ली तक अफवाहों का दौर जारी है। ओपी चौधरी रायगढ़ के ही रहने वाले हैं उनके बेदह करीबी पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक भाजपा की टिकट ओपी चौधरी खरसिया सीट से उम्मीदवार होंगे। सूत्र के मुताबिक ओपी को चुनाव लड़ाने के लिए बीजेपी पिछले कई महीनों से लगातार एक्सरसाइज़ कर रही थी। लेकिन प्रशासनिक सेवा में अपने काम के भरोसे देशभर में सुर्खियां अर्जित करने वाले ओपी कोई ठोस फैसला नहीं ले पा रहे थे। हालांकि राजनीतिक महात्वकांक्षा के चलते वे खरसिया में लगातार सक्रिय रहते थे। ओपी चौधरी के इस फैसले से कुछ लोग सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं तो कुछ नकारात्मक।
अपने करियर के लिए आश्वासन पाने के बाद ओपी ने अपना मन बदल लिया और वे चुनाव लड़ने को तैयार हो गए हैं। सूत्र के मुताबिक ओपी चौधरी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और बड़े नेताओं की मौजूदगी में भाजपा प्रवेश करेंगे। ओपी चौधरी को खरसिया या रायगढ़ से टिकट मिलने की सम्भावना है।
बीजेपी क्यों चाहती है ओपी का साथ……
बीजेपी के खरसिया में आज तक कभी नहीं जीत पायी है। अविभाजित मध्यप्रदेश के बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष 1989 में यहां से चुनाव लड़ हार गए। उससे पहले छत्तीसगढ़ में बीजेपी के सबसे लोकप्रिय नेता रहे दिलीप सिंह जूदेव भी हार गए थे। यहां अर्जुन सिंह के बाद नंदकुमार पटेल लगातार चुनाव जीतते आए हैं। उनकी मौत के बाद पिछले चुनाव में उनके बेटे उमेश पटेल यहां से विजयी हुए थे। हम पहले ही बता चुके है कि भाजपा को खरसिया की सीट कोई चमत्कार ही दिला सकता था। बीजेपी के पास ऐसा कोई नेता नहीं है जो उमेश पटेल को टक्कर दे सके।
ओपी चौधरी भी अघरिया पटेल समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। अघरिया पटेल समुदाय का पूरे विधानसभा में दबदबा है। इसके अलावा वे युवा हैं और प्रशासनिक तौर पर एक सफल नौकरशाह के रुप में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। इस क्षेत्र में इनकी युवाओ के बीच लोकप्रियता के कारण ही भाजपा इन्हे पार्टी में शामिल के लिए जूझ रही थी।
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