Top Story
मंत्री रहते जिस व्यक्ति की बात कलेक्टर ना सुनता हो वह व्यक्ति मुख्यमंत्री कैसे बन पाएगा ? 09-Nov-2021

प्रभावशाली मंत्री की बात अगर कलेक्टर ना सुने तो ऐसा मंत्री मुख्यमंत्री कैसे बन सकता है ?

मंत्री बंगले से 12 दिन बाद अर्थात 14 अक्टूबर को कलेक्टर दुर्ग को पत्र जारी किया गया

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा को लगाया जा रहा पलीता 

लिखित शिकायत एवं स्टिंग का वीडियो सीडी 2 अक्टूबर को दी गई, जिस पर मंत्री बंगले से 12 दिन बाद अर्थात 14 अक्टूबर को कलेक्टर दुर्ग को पत्र जारी किया गया

 

प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा अनुसार गांव वालों को रोजगार के साथ-साथ गांव के विकास में आर्थिक सहयोग करने के विचार के तहत एक व्यक्ति लघु उद्योग लगाने गांव में जमीन खरीदता है | ताकि गांव के युवाओं और महिलाओं को रोजगार उपलब्ध हो सके और वह स्वावलंबी बनने के साथ-साथ आय भी कर सकें |

 

अब बारी आती है बिजली कनेक्शन लेने की, नियमानुसार बिजली विभाग को इसके लिए सरपंच की एनओसी की आवश्यकता होती है, लघु उद्योग लगाने वाला व्यक्ति सरपंच से जब एनओसी मांगता है तो महिला सरपंच श्रीमती बीना गेंदरे, सरपंच पति नरेंद्र कुमार गेंदरे और ग्राम सचिव लोकेश वर्मा मिलकर नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देने के लिए बतौर रिश्वत डेढ़ लाख रुपए की मांग करते हैं | सरपंच द्वारा डेढ़ लाख रुपए की रिश्वत मांगने एवम रुपए देते का स्टिंग प्रमाण स्वरूप एकत्रित करके कलेक्टर दुर्ग को लिखित शिकायत करने के बाद कोई कार्यवाही ना होने पर पंचायत मंत्री टी एस सिंहदेव को लिखित शिकायत एवं स्टिंग का वीडियो सीडी 2 अक्टूबर को दी गई, जिस पर मंत्री बंगले से 12 दिन बाद अर्थात 14 अक्टूबर को कलेक्टर दुर्ग को पत्र जारी किया गया, जिस पर भी कोई कार्यवाही ना होने पर पुनः मंत्री टी एस सिंहदेव से मुलाकात कर कार्यवाही ना होने कि शिकायत 7 नवंबर को अर्थात 1 महीना 5 दिन बाद की गई | जिस पर मंत्री जी ने निज सचिव से बात करने कहा निज सचिव आनंद सागर ने कहा कि कलेक्टर दुर्ग को पुनः रिमाइंडर भेजते हैं | अब आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि एक गांव के सरपंच ग्राम सचिव के खिलाफ शिकायत वह भी प्रमाण सहित करने के बाद और उस शिकायत पर मंत्री बंगले से कलेक्टर दुर्ग को पत्र जाने के बावजूद कार्यवाही ना होना इस बात को प्रमाणित करता है कि या तो दुर्ग के कलेक्टर पंचायत मंत्री टी एस सिंह देव के पत्र को महत्व नहीं देते या फिर मंत्री बंगले से ही ऐसा आदेश होगा कि हर पत्र पर कार्यवाही नहीं करना है या फिर कोई खास कोड या खास स्याही से लिखा हुआ पत्र मिले तभी कार्यवाही करना है | ऐसा भी हो सकता है कि सिस्टम में कोई सेटिंग वाली बात हो, अब इस सेटिंग वाली बात को हम प्रमाणित नहीं कर सकते परंतु सोच जरूर सकते हैं और संविधान के अनुसार किसी को सोचने और विचार रखने में कोई प्रतिबंध नहीं है | प्रदेश के पंचायत मंत्री से दो बार शिकायत करने के बाद अगर एक गांव के सरपंच पर कोई कार्यवाही तो दूर की बात पुस्तक यह बात पहुंची ही नहीं जिस कारण सरपंच द्वारा बाकी रुपयों की मांग लगातार की जा रही है | यह कहानी है कुम्हारी के पास धमधा रोड पर ग्राम ढाबा की है, जो दुर्ग जिले के धमधा तहसील में आता है | जिसकी महिला सरपंच श्रीमती बीना गेंद्रे सरपंच पति नरेंद्र कुमार गेंद्रे और ग्राम सचिव लोकेश वर्मा है | ऐसे में यह सवाल उठना तो लाजिमी है कि एक मंत्री जो प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने प्रयासरत हो दिल्ली में दावा करने बार-बार जाता हो और ऐसे प्रभावशाली मंत्री की बात अगर कलेक्टर ना सुने तो ऐसा मंत्री मुख्यमंत्री कैसे बन सकता है ? कैसे प्रदेश की कमान को संभाल सकता है ? कैसे प्रदेश को चला सकेगा ? जबकि मुख्यमंत्री बनने के बाद पूरे प्रदेश का भार और हर मामले के लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार होता है | *प्रदेश के जिस मंत्री की बात कोई कलेक्टर ना मानता हो वह व्यक्ति प्रदेश का मुख्यमंत्री कैसे बन पाएगा ?*



RELATED NEWS
Leave a Comment.