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करोना का डर, लोगों पर प्रतिबंध - फिर चुनावी रैलियों के लिए आमंत्रण क्यों ? 04-Jan-2022
भीड़ भाड़ वाली जगह पर ना जाएं, मुंह पर मास्क लगाएं, बिना वजह घर से बाहर ना निकले, सैनिटाइजर करते रहे, हाथ धोते रहें यह सब फार्मूले आम पब्लिक के लिए हैं | वहीं दूसरी तरफ यही नेता जो प्रतिबंध लगाते हैं, लोगों को सबक सिखाते हैं, लोगों को शिक्षा देते हैं, उपदेश देते हैं चाहे प्रधानमंत्री हो, चाहे प्रदेशों के मुख्यमंत्री हो, चुनावी प्रदेशों में लगातार रैलियां कर रहे हैं, चुनावी सभाएं कर रहे हैं और उन चुनावी सभाओं में आम लोगों को एकत्रित करते हैं, लोगों को ज्यादा से ज्यादा सभा स्थल पर आने को प्रेरित करते हैं, उन्हें बसों में भरकर बुलाया जाता है, ट्रकों में भरकर बुलाया जाता है, ट्रैक्टर में भरकर बुलाया जाता है उस समय करोना के निर्देश - करोना की गाइडलाइन और सरकारी डंडों सख्ती का पालन करने के सुझाव कहां जाते हैं ? देखा जाए तो सबसे पहले प्रधानमंत्री को ही चाहिए कि ऐसी रैलियां, आम सभाएं बंद कर दें | नियमानुसार वह देश के प्रमुख हैं उन्हें ही फरमान जारी करना चाहिए कि चुनावी प्रदेशों में या अन्य प्रदेशों में किसी भी तरह की रैली प्रदर्शन नारेबाजी धरना आमसभा प्रतिबंधित कर दें | एक तरफ लोगों को लॉक डाउन की बंदिशों में बांधा जा रहा है , स्कूल - कॉलेज, सिनेमा हॉल, नाइट कर्फ्यू, सटरडे, संडे का बंद, धार्मिक स्थलों में भीड़ करने की मनाही के फरमान जारी हो रहे हैं परंतु रैलियों आम सभाओं पर कोई भी राजनीतिक पार्टी अपनी तरफ से प्रतिबंध लगाने में आगे नहीं आ रही सब एक दूसरे के ऊपर नियमों का पालन ना करने का आरोप लगा रहे हैं परंतु स्वयं होकर नियमों में बंधना नहीं चाहते | अब इन रैलियों प्रदर्शनों आम सभा की स्थिति को देखकर आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि करो ना बढ़ाने और करो ना फैलाने और लोगों को मरीज बनाने और लोगों की जान से खिलवाड़ करने के लिए राजनीतिक पार्टियां ही जिम्मेदार हैं जो दावा करती हैं कि हम सुरक्षा देंगे हम व्यवस्था देंगे हम रोजगार देंगे लोग जिंदा रहेंगे तब तो सब कुछ दोगे ना ! सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेकर इस मामले में आगे आकर चुनावी प्रदेशों सहित पूरे देश में रैलियों आम सभाओं और चुनाव प्रचार ऊपर रोक लगा देना चाहिए जिसको भी अपने बारे में चुनाव प्रचार करना है वह टीवी के माध्यम से करें सोशल मीडिया के माध्यम से करें अखबारों के माध्यम से करें परंतु लोगों की जान के साथ खिलवाड़ ना करें | Sukhbir Singhotra - स्वतंत्र पत्रकार


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