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स्काईवॉक का फैसला करने से पहले इसे संबंधित सभी लोग पढ़े 13-Aug-2019
स्काईवॉक के भाग्य का फैसला करने राजधानी के सर्किट हाउस में शासन द्वारा बनाई गई समिति की बैठक चल रही है - जिसमें संबंधित सभी अधिकारी और समिति के सदस्य मौजूद हैं - यह बैठक कितनी देर चलेगी और क्या निर्णय निकल कर आएगा इसके बारे में अभी कहा नहीं जा सकता, परंतु राजधानी सहित प्रदेश के अधिकांश नागरिकों की राय है कि स्काईवॉक को तोड़कर वहां फ्लाईओवर ब्रिज बनाया जाना चाहिए - अगर स्काई वाक से संबंधित समिति और अधिकारी स्काईवॉक पर रूफ गार्डन, संडे मार्केट, स्ट्रीट फूड या किसी अन्य प्रयोजन के लिए निर्णय लेते हैं तो इसके नेगेटिव परिणाम पर विचार करना बहुत जरूरी है - सबसे पहली बात यह कि 38 सीढ़ियां चढ़कर कोई भी व्यक्ति, महिला, पुरुष, बच्चे - बूढ़े ऊपर किसी भी तरह की खरीदी करने नहीं जाएंगे - 2. 38 सीढ़ियां चढ़ने के बाद जब आदमी पसीने पसीने हो कर ऊपर पहुंचेगा तो गैलरी नुमा बंद , कम चौड़ाई वाली इस जगह पर बिना एसी और पंखा के रह नहीं पाएगा - 3. यदि शासन ने एसी कूलर पंखे की व्यवस्था कर भी दी तो मुख्य समस्या आएगी शौचालय की इतनी ऊपर शौचालय बनाना और उनके लिए पानी पहुंचाना और उसकी देखरेख करना संबंधित विभागों के लिए संभव नहीं होगा क्योंकि जो अधिकारी कर्मचारी या ठेकेदार जमीन पर मुख्य मार्गों पर बाजारों में शौचालय को साफ-सुथरा ठीक-ठाक से संचालित नहीं कर पा रहे हैं वह लोग इतनी ऊपर व्यवस्था को सुचारू रूप से कहां देख पाएंगे - अनेक शौचालयों को तो पिछले 5 सालों से प्रारंभ भी नहीं कर पाए हैं ऐसे अधिकारी या ठेकेदार ऊपर में क्या व्यवस्था कर पाएंगे ? 4. राजधानी के सब्जी बाजार में जहां हजार से दो हजार फ़ीट पैदल चलना होता है वहां पर आदमी स्कूटी और टू व्हीलर लेकर सब्जी खरीदने अंदर तक जाता है , ऐसे में इतनी ऊपर लोग पैदल चलेंगे संभव नहीं लगता - 5. सीढ़ियां चढ़ते समय या उतरते समय छोटे बच्चों के साथ महिलाएं या बुजुर्ग ठोकर खाकर गिरेंगे तो संभल नहीं पाएंगे जो बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है - 6. गुटखा तंबाकू खाने वाले लोग ऊपर से थूकेंगे तो जमीन पर चलने वाले लोगों पर गंदगी गिरेगी स्वच्छता मिशन में बाधा आएगी ही साथ ही साथ लड़ाई का कारण बनेगी - अगर बात आती है खर्च की कि 55 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं जो बर्बाद जाएंगे तो उसके लिए कहा जा सकता है कि भविष्य में राजधानी को फ्लाई ओवर की जरूरत जरूर पड़ेगी - तो इसके लिए 55 करोड रुपए के नुकसान को नजरअंदाज किया जा सकता है जो कि बहुत ज्यादा नहीं हैं - वैसे भी गुणवत्ता हीन कार्यों के कारण करोड़ों - अरबों रुपए के एनीकेट - पर्यटन विभाग के सैकड़ों मोटल - तालाबों के संरक्षण के लिए बनाई गई दीवाले, पचरी के अलावा लोक निर्माण विभाग के अनेक पुल - पुलिया निर्माण के दौरान या निर्माण के कुछ महीनों बाद ही टूटकर अरबों - खरबों रुपए का नुकसान दे चुके हैं - तो 55 करोड रुपए की कुर्बानी शहरवासियों के सुगम यातायात के लिए देना कोई बड़ी बात नहीं है - अगर नियमों में प्रावधान हो तो यह राशि स्काईवॉक प्रोजेक्ट बनाने वाले इंजीनियर, अधिकारी, विभाग के साथ-साथ तत्कालीन विभागीय मंत्री या मुख्यमंत्री से वसूल करें - cg24 news अतः सीजी 24 न्यूज़ चैनल स्काईवॉक समिति एवं अधिकारियों से अपील करता है कि उपरोक्त विषयों पर गहन विचार के बाद जनहित में ही कोई निर्णय लें -


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