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करवा चौथ व्रत की विधि और नियम
सरगी
करवा चौथ में सास अपनी बहू को सरगी देती है. इसमें श्रृंगार का सामान, मिठाइंया, फल, वस्त्र शामिल होते हैं. करवा चौथ के दिन सुहागिनें सूर्योदय से पूर्व उठकर सबसे पहले बड़ों का आशीर्वाद लें. फिर सरगी ग्रहण करना चाहिए. इसके बाद निर्जला व्रत की शुरुआत करें.
सोलह श्रृंगार
विवाह के बाद पहला करवा चौथ का व्रत बहुत खास माना जाता है. महिलाओं को इस दिन दुल्हन के भेष में तैयार होकर पूजा करनी चाहिए. मान्यता है इससे सौभाग्य में वृद्धि का आशीष मिलता है. हाथों में सुहाग के नाम की मेहंदी रचाएं, 16 श्रृंगार करें. पूजा में भी श्रृंगार की सभी सामग्री मां पार्वती को अर्पित करें. इससे सुहाग की दीर्धायु और अच्छे स्वास्थ का वरदान मिलता है.
रंग
लाल रंग प्रेम का प्रतीक माना जाता है साथ ही पूजा -पाठ में लाल रंग की विशेष महत्ता होती है. व्रती को करवा चौथ पर लाल रंग के वस्त्र पहनना चाहिए. जो महिलाएं पहली बार व्रत रख रही हैं इस दिन वह शादी का लाल जोड़ा या लाल साड़ी पहने तो शुभ होगा. सफेद, भूरा और काला रंग गलती से भी न पहने.
बाया
बाया सुहागिन महिलाओं के मायके से आता है. करवा चौथ के दिन बेटी के ससुराल में मिठाइंया, उपहार भेजने की परंपरा को ही बाया कहा जाता है. शाम की को करवा चौथ की पूजा शुरू होने से पहले बेटी के मायके से बाया सुसराल पहुंचा देना चाहिए.
व्रत कैसे खोलें
करवा चौथ पर शाम को शुभ मुहूर्त में पूजा करें और कथा जरूर सुनें. कहते हैं कथा के बिना करवा चौथ का व्रत पूर्ण नहीं माना जाता. पूजा का समय 13 अक्टूबर 2022 को शाम 06.01 से 07.15 तक है. चांद निकलने के बाद चंद्रमा को करवा से अर्घ्य दें और पति के हाथों पानी पीकर ही व्रत का पारण करें. इसके बाद सबसे पहले पूजा का प्रसाद खाएं और फिर भोजन किया जाता है. करवा चौथ का चांद 13 अक्टूबर 2022 कोर रात 08.19 पर निकलेगा.
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