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*सरदारों के 12 बज गए क्यों कहा जाता है ? हर किसी के लिए यह जानना जरूरी है* 03-Jan-2023
*हर किसी को यह जानना जरूरी है* *सिखों को अर्थात सरदारों के 12 बज गए क्यों कहा जाता है ?* *सिक्ख सेवा की ऐसी मिसाल जिसे पूरा विश्व देता है सम्मान* *जब रात के 12 बजते थे तब मुगलों से हिंदुस्तान की बहू-बेटियों की आबरू की रक्षा करते थे सरदार* अत्याचारी मुगल शासक अहमद शाह अब्दाली हिंदू लड़कियों और महिलाओं को घरों से उठाकर बेचने के लिए गजनी के बाजार में ले जाता था। अब्दाली के आतंक से बचने के लिए महिलाओं ने सिक्खों के समक्ष गुहार लगाई। इसके बाद सिक्ख जरनैल बाबा जस्सा सिंह अहलूवालिया ने रात को 12 बजे एक विशेष अभियान के तहत अटैक किया और 2200 लड़कियों और महिलाओं को जालिमों के अत्याचार से बचाया। न सिर्फ उनकी इज्जत और आबरू बचाई वरन उनके घरों तक छोड़ कर आए थे। इसके बाद सिक्ख जरनैल हर रात 12 बजे ही अत्याचार के खिलाफ अभियान चलाते थे। इसी अभियान का मुगलों में डर पैदा हो गया था। कहते थे कि 12 बज गए हैं, सावधान हो जाओ, सरदार आ जाएंगे | जब सिक्खों के 12 बजते थे तब हिंदुस्तान की बहू-बेटियों की रक्षा होती थी। सरदारों ने हमेशा चढदीकलां और पंथ की भलाई के लिए काम किया है। सिक्खों का धर्म की रक्षा और शहीदियों का लंबा इतिहास रहा है। सिक्खों की सेवा करने के जज्बे की आज पूरा विश्व प्रशंसा करता है। हिंदू बहू बेटियों की आबरू और जान की रक्षा करने वाले सिक्ख - सरदारों के साथ 12 बज गए, 12 बजने वाले हैं, सरदारों के 12 बजते हैं, 12 बजे सरदारों का दिमाग खराब हो जाता है कहने वालों - 12 बजे के समय को लेकर सरदारों के विरुद्ध चुटकुले बनाने वालों को सिक्ख इतिहास पढ़ लेना चाहिए | उन्हें अपने पूर्वजों के इतिहास और समस्याओं के बारे में भी पता करना चाहिए | ताकि वे कभी भी सरदारों के खिलाफ अपशब्द,अभद्र, धर्म विरुद्ध कोई टिप्पणी ना करें साथ ही देश के सभी हिंदू जान सकें की सिक्ख गुरुओं ने किस तरह बलिदान देकर हिंदू धर्म की रक्षा की है| ( सुखबीर सिंह सिंघोत्रा )


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