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जोशीमठ संकट - घरों में दरार मामला - मुआवजा देने में पीछे क्यों हट रही है सरकार?* 11-Jan-2023
*जोशीमठ संकट - घरों में दरार मामला* *मुआवजा देने में पीछे क्यों हट रही है सरकार?* *यह प्राकृतिक आपदा नहीं - शासकीय, सरकारी आपदा है* *विदेशों को सहायता करने वाला हिंदुस्तान अपने नागरिकों को पर्याप्त मुआवजा देने से पीछे क्यों हट रहा - बड़ा सवाल?* यहां यह उल्लेख करना अति आवश्यक है कि भारत सरकार द्वारा करीना काल में 48 देशों को निशुल्क कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराई गई थी, परंतु जब भारत में आपदा आती है तो भारत के नागरिकों के लिए सरकारी खजाने में कमी क्यों हो जाती है ?* जोशीमठ में लगभग अधिकांश घरों दुकानों में दरार आने के बाद मकान और दुकान गिरने के संकट से जोशीमठ दहशत में है वहां के नागरिक अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं क्योंकि उनके ऊपर जो विपदा आपदा आई है वह कोई प्राकृतिक आपदा नहीं है वह सरकार चाहे व केंद्र सरकार हो जाए राज्य सरकार या पर्यटन विभाग पर्यटन की दृष्टि से विकास के लिए किए जा रहे विकास में अधिकारियों ठेकेदारों और संबंधित विकास एजेंसियों की नाकारा हरकतों और भ्रष्टाचार का भुगतान जोशीमठ वासियों को करना पड़ रहा है मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एनटीपीसी द्वारा टनल और अन्य विकास कार्यों के दौरान किए जा रहे बारूदी विस्फोट के कारण पूरा जोशीमठ हिल गया मकान दुकान होटल सब गिरने की कगार पर हैं और इन सब के लिए अगर जिम्मेदार माना जाए तो केंद्र एवं राज्य सरकार ही हैं | अरबों खरबों के प्रोजेक्ट में इंजीनियर और आर्किटेक्ट की लापरवाही और कमाई में बंदरबांट का भुगतान जोशीमठ के नागरिकों को करना पड़ रहा है इन सब के बावजूद केंद्र एवं राज्य सरकार जोशीमठ के पीड़ित नागरिकों को पर्याप्त मुआवजा देने में आनाकानी कर रही है देखा जाए तो राज्य एवं केंद्र सरकार को पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए पीड़ितों को विकास के लिए भू अर्जन करने के नियमों के तहत 4 गुना मुआवजा देकर उन्हें किसी अन्य जगह व्यवस्था पित्त करना चाहिए परंतु देखने में आ रहा है कि वहां का शासन प्रशासन और केंद्र सरकार उन्हें अस्थाई आवासों में जगह उपलब्ध करा रही है उनके रहने खाने और व्यवसाय की चिंता सरकार नहीं कर रही है उनके लाखों करोड़ों के मकान को ध्वस्त करने के एवज में राशि उपलब्ध कराने कोई लिखित आश्वासन भी नहीं दे रही है | राज्य एवं केंद्र सरकार के रवैए से नाराज वहां के पीड़ित नागरिक बच्चे महिलाएं युवा बुजुर्ग सड़कों पर आंदोलन करने बाध्य हो गए हैं | पीड़ितों की एक ही मांग है कि उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए वह भी लिखित में और उन्हें कहीं उचित जगह पर व्यवस्थापन उपलब्ध कराया जाए | अब देखने वाली बात यह है कि शासन प्रशासन और केंद्र का व्यवहार परिवर्तित होता भी है या नहीं या उन्हें अपने हाल पर जीने मरने के लिए छोड़ दिया जाता है | *सुखबीर सिंघोत्रा - जर्नलिस्ट* 9301094242


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