State News
आरक्षण पर राज्यपाल सचिवालय को नोटिस: छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई, 2 सप्ताह में मांगा जवाब 06-Feb-2023
मन्नू मानिकपुरी संवाददाता बिलासपुर राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और महाअधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने पैरवी की है। छत्तीसगढ़ में आरक्षण का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है, इससे पहले बढ़ाए गए आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। जिसके बाद 58% से घटकर 50% आरक्षण हो गया है। जैसे ही सितंबर में हाईकोर्ट का आरक्षण को लेकर आदेश पारित हुआ था, उसके बाद से प्रदेश भर में आरक्षण को लेकर धरना प्रदर्शन और विरोध लगातार चल रहा है। छत्तीसगढ़ में आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर से हाईकोर्ट में पहुंच गया है। राज्य सरकार की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सोमवार को राज्यपाल सचिवालय को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा गया है। मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया। उन्होंने कहा कि, राज्यपाल को विधेयक रोकने का अधिकार नहीं है। मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे की सिंगल बेंच में हुई है। याचिका में कहा- अनुच्छेद 200 का उल्लंघन दरअसल, विधानसभा में आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद से ही राज्यपाल ने रोक रखा है। इसे न तो सरकार को लौटाया गया और न ही इस पर राज्यपाल ने अब तक हस्ताक्षर ही किए हैं। इसे लेकर राज्य सरकार अब हाईकोर्ट पहुंच गई है। सरकार की ओर से कहा गया कि राज्यपाल की ओर से इस पर हस्ताक्षर नहीं किया जा रहा है, जो अनुच्छेद 200 का उलंघन है। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और महाअधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने पैरवी की है। राज्यपाल अनुमति दें या न दें, या राष्ट्रपति को भेजें कोर्ट से बाहर आने के बाद अधिवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि, बिल दिसंबर में पास हुआ था, अब फरवरी हो गया है। अब तक राज्यपाल ने कोई कदम नहीं उठाया है। संविधान के मुताबिक, इस पर अनुमति दें या न दें या फिर राष्ट्रपति को भेजें। राज्यपाल ने कोई कदम नहीं उठाया, इसलिए हम यहां आए हैं। यह असंवैधानिक है या नहीं, से कोर्ट तय करेगी। इसमें राज्यपाल को देर नहीं करनी चाहिए। यह छत्तीसगढ़ की जनता खासकर आदिवासियों के लिए महत्वपूर्ण कदम है। राज्य सरकार ने आरक्षण 76 फीसदी किया राज्य सरकार ने दो दिसंबर को विधानसभा में विधेयक पारित कर आरक्षण 50 से बढ़ाकर 76% कर दिया। इस बिल को राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा था, लेकिन अब तक सरकार को वापस नहीं मिला है। इसे लेकर राजनीतिक गलियारे में भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा। पोस्टर वॉर भी चली। अब मामला राज्य सरकार हाईकोर्ट में ले गई है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि राज्यपाल बिल पास करें या वापस करें। फिलहाल इस मामले में अब अगली सुनवाई 20 फरवरी को होगी। राज्य के 76 फीसदी आरक्षण को कोर्ट ने किया था खरिज दरअसल, अधिवक्ता हिमांग सलूजा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 18 जनवरी 2012 को आरक्षण एससी वर्ग के लिए 12, एसटी के लिए 32 और ओबीसी के लिए 14 प्रतिशत किया था। जिसे हाईकोर्ट ने असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया। इसके बाद सरकार ने जनसंख्या के आधार पर आरक्षण का प्रतिशत 76 फीसदी कर दिया। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए चार फीसदी व्यवस्था दी गई।


RELATED NEWS
Leave a Comment.