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*छत्तीसगढ़ में पहली बार - आधी रात को महिला आयोग में हुई सुनवाई : 07-Feb-2023
*आधी रात को आयोग की बैठक में महिला को दिलाया उसका बच्चा* *पुलिस अधीक्षक रायपुर और पूरी टीम को आयोग ने दी बधाई* रायपुर 7 फरवरी 2023/आवेदिका ने आयोग में प्रकरण प्रस्तुत किया था कि विभिन्न न्यायालयों में बच्चे की कस्टडी पाने के आवेदन में बच्चे का पिता कभी भी किसी भी न्यायालय में नहीं पहुंचा था और लगातार न्यायालयों की अवहेलना कर रहा था। जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने उसे प्रकरण पुनः लगाने का निर्देश दिया था जिस पर आवेदिका ने महिला आयोग में आवेदन प्रस्तुत किया था। यहां भी अनावेदक लगातार 2 बार सुनवाई में अनुपस्थित रहा, फिर पुलिस अधीक्षक धमतरी के विशेष सहयोग से अनावेदक और उसके बच्चे को आयोग के समक्ष उपस्थित कराया था। जहां बाल संरक्षण आयोग की उपस्थिति में 8 वर्षीय नाबालिग बच्चे की काउंसलिंग किया गया जिसमें पता चला कि बच्चे के अंदर आपराधिक भावनाएं जागृत किया गया है और उसके बात व्यवहार में ऐसा ही लक्षण पिता के द्वारा भरे गये थे जिस पर नाबालिग बालक को बाल कल्याण समिति माना में भेजा गया था ताकि उसके मन, मस्तिष्क से सारी नाकारात्मक बातें समाप्त किया जा सकें पर अनावेदक ने यहां भी बाल कल्याण समिति के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत कर पुनः अस्थायी अभिरक्षा प्राप्त कर लिया और दिनांक 06.02.2023 को आयोग की बैठक में बच्चे को अनुपस्थित रखकर अलग-अलग तरह से बहाने बनाता रहा। बाल कल्याण समिति के माननीय अध्यक्ष और सदस्यों के समक्ष बच्चे की कस्टडी में अपना अड़ियल रवैया बनाया रखा जबकि वह बाल कल्याण समिति में शपथ पत्र देकर आया था कि बच्चे को आयोग की सुनवाई में उपस्थित रखेगा। लेकिन लगातार 6 घण्टे तक इंतजार करने के बावजूद बच्चे को उपस्थित नहीं करने पर अंततः महिला आयोग की ओर से पुलिस अधीक्षक रायपुर से टैलीफोनिक चर्चा किया गया और अनावेदक से बच्चे के बचाव करने के लिये पुलिस विभाग के द्वारा कार्यवाही किये जाने का समिति का आदेश भी दिया गया। जिस पर पुलिस अधीक्षक रायपुर और उनकी टीम ने रात 10ः30 बजे बच्चे को प्राप्त किया और आयोग की अध्यक्ष से टैलीफोन पर चर्चा किया। मामला नाजुक और संवेदनशील होने पर आयोग की अध्यक्ष ने तत्काल अपने कार्यालय में इस प्रकरण की सुनवाई किया और चूंकि अनावेदक लगातार लापरवाही और न्यायालय के आदेशो की अवहेलना करता आ रहा था। अतः आधी रात तक चली कार्यवाही के अंत में यह निर्णय लिया गया कि नाबालिग बच्चे की अभिरक्षा अनावेदक के हाथ में देना उचित नहीं है। इसलिए नाबालिग बच्चे को आवेदिका बच्चे की मां को दिया जाना चाहिये। यह पहला मौका था जब ऐसी आपात स्थिति में संवेदनशील मामले में महिला आयोग ने आधी रात को कार्यवाही किया गया। इस कार्य को त्वरित रूप से पूर्ण करने में पुलिस प्रशासन एवं उनकी पूरी टीम को आयोग की अध्यक्ष द्वारा धन्यवाद पत्र प्रेषित किया गया। CG 24 News-Singhotra


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