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*स्मार्ट राजधानी के स्मार्ट शौचालय की कहानी*
*शौचालय की कहानी*
मैं शौचालय हूं, मुझ पर सरकार ने प्रति शौचालय 6 लाख रुपए अर्थात 5 शौचालय के एक सेट पर 30 लाख रुपए खर्च किए थे, लेकिन अब तक मेरा उपयोग किसी ने नहीं किया, शुरू शुरू में जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों एवं कुछ लोगों ने मुझे चेक करने, मेरे द्वारा दी जाने वाली आधुनिक तरीके की सेवाओं को परखने के लिए उपयोग था उसके बाद कभी कभार ही किसी ने मेरा उपयोग किया | नगर निगम एवं स्मार्ट सिटी लिमिटेड के जिम्मेदार अधिकारियों ने तमाम शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया और मैं देखरेख के अभाव में बद से बदतर स्थिति में पहुंच गया | करोड़ों की लागत से जनता की सुविधा के लिए बनाए गए स्मार्ट शौचालयों की देखभाल के जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया | इन अधिकारियों को कमांड करने वाले निगम के महापौर एजाज ढेबर और नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया ने संज्ञान क्यों नहीं लिया ? अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन क्यों नहीं किया ? समझ से परे है | रायपुर नगर निगम के महापौर एजाज ढेबर की पत्रकार वार्ता में स्मार्ट रायपुर के स्मार्ट शौचालयों के बंद होने की जानकारी देकर उनका ध्यान आकर्षित किया गया तो महापौर एजाज ढेबर ने पत्रकार को आड़े हाथों लेते हुए कैमरों के सामने ही सफेद झूठ बोलते हुए कहा कि आप अभी बहुत दिनों से उधर गए नहीं है, शौचालय चालू हैं |
महापौर एजाज ढेबर ने साफ कहा कि सभी शौचालयों को मैंने स्वयं चालू करवाया है हो सकता है मेंटेनेंस के नाम से बंद हों | इन वीडियो को देखकर आप ही फैसला कीजिए कि महापौर एजाज ढेबर सच बोल रहे हैं या यह कैमरा झूठ बोल रहा है ? यह जेल रोड पर अंबेडकर अस्पताल के बाहर का आधुनिक स्वचालित 30 लाख के शौचालय का है, इस शौचालय में लाइट नहीं है, सभी दरवाजे बंद हैं,पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, शौचालय के सामने और आसपास गंदगी का आलम है, लोग बाहर ही बाथरूम करने मजबूर हैं | यह टूट-फूट और गंदगी जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की लापरवाही का प्रत्यक्ष प्रमाण है | अब इस दूसरे शौचालय को देखिए यह कटोरा तालाब के सामने कैनाल रोड का है इसके सिक्के डालने वाले आधुनिक सिस्टम टूटे उखड़े हैं शौचालय के अंदर की स्थिति से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इसका उपयोग बरसों से बंद है अंदर सब कुछ टूटा फूटा है ईट पत्थर भरे पड़े हैं परंतु महापौर की नजर में यह शौचालय भी चालू है | स्मार्ट रायपुर का यह तीसरा स्मार्ट आधुनिक शौचालय कैनाल रोड पर ही आनंद नगर के सामने का है यहां भी सभी शौचालयों के सभी दरवाजे बंद हैं, क्वाइन सिक्के डालने का सिस्टम टूटा फूटा है, शौचालय के ऊपर झाड़ - झंगाड़ शौचालय के मेंटनेंस का प्रमाण हैं जो अपना और इनका उपयोग करने वाले जरूरतमंदों के दर्द की गाथा सुना रहे हैं | खासकर महिलाओं को होने वाली असुविधा का अंदाजा कौन लगाएगा ? छत्तीसगढ़ की स्मार्ट राजधानी के मात्र 3 स्मार्ट आधुनिक शौचालयों का जब यह हाल है तो पूरी राजधानी के शौचालय की क्या स्थिति होगी आसानी से समझा जा सकता है | छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री, सभी मंत्री और तमाम वरिष्ठ अधिकारी निवास करते हैं, अगर वहां बंद शौचालयों को चालू बताया जा रहा है तो पूरे प्रदेश के सभी विभागों के निर्माण उनकी गुणवत्ता के साथ-साथ निर्मित व्यवस्थाओं के सुचारू चलने पर भरोसा कैसे किया जा सकता है ? छत्तीसगढ़ में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव हैं, शासन प्रशासन की इस तरह की लापरवाही चुनावी मुद्दे का रूप ले सकती है जो कांग्रेसी सरकार के लिए सिरदर्द बन सकता है, जनता के गाढ़े पसीने की कमाई से टैक्स के रूप में वसूली गई राशि का दुरुपयोग शासन प्रशासन की आंख के सामने अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा किया जाना जनता बर्दाश्त नहीं करेगी, कहीं ना कहीं यह दुख - दर्द और आक्रोश वोटों के रूप में सामने आ सकता है | CG 24 News-Singhotra
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