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बैसाखी - खालसा पंथ का स्थापना दिवस 14-Apr-2023
पंजाबी नववर्ष का प्रतीक तथा सिख धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक बैसाखी पर्व माना जाता है। इसे वैशाखी भी कहा जाता है। इसी दिन सूर्यदेव मेष राशि में प्रवेश करते हैं, अत: यह दिन मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। *इस पर्व की खास बातें* • दरअसल, इस त्योहार पर फसल पकने के बाद उसके कटने की तैयारी का उल्लास साफ तौर पर दिखाई देता है, इसीलिए बैसाखी एक लोक त्योहार है। • पूरे देश में श्रद्धालु गुरुद्वारों में अरदास के लिए इकट्ठे होते हैं। मुख्य समारोह आनंदपुर साहिब में होता है, जहां पंथ की नींव रखी गई थी। • पंजाब और हरियाणा सहित कई क्षेत्रों में बैसाखी मनाने के आध्यात्मिक सहित तमाम कारण हैं। बैसाखी पर्व हर साल विक्रम संवत के प्रथम महीने में पड़ता है। • बैसाखी के दिन ही सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है अत: इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं। यह पर्व पूरी दुनिया को भारत के करीब लाता है। • वैशाख मास के प्रथम दिन को बैसाखी कहा गया और पर्व के रूप में मनाया जाता है। • वैसे तो भारत में महीनों के नाम नक्षत्रों पर रखे गए हैं। बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है। • विशाखा युवा पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाखी कहते हैं। • बैसाखी पर्व के दिन गुरुद्वारों में विशेष उत्सव मनाए जाते हैं। • बैसाखी पर्व के दिन समस्त उत्तर भारत की पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व माना जाता है, अत: इस दिन प्रात: नदी में स्नान करना पवित्र माना जाता है। • गुरुद्वारा में विशेष कीर्तन कथा का आयोजन होता है। • जगह-जगह लंगर का आयोजन किया जाता है और इसे प्रसाद के रूप में सिख समाज सहित गुरु नानक नाम लेवा संगत ग्रहण करती हैं | • इस दिन श्रद्धालु कारसेवा भी करते हैं। • दिनभर गुरु गोविंदसिंह और पंच प्यारों के सम्मान में शबद् और कीर्तन गाए जाते हैं। • इस दिन पंजाब का परंपरागत नृत्य भांगड़ा और गिद्दा किया जाता है। • शाम को आग के आसपास इकट्ठे होकर लोग नई फसल की खुशियां मनाते हैं। • बैसाखी मुख्य रूप से कृषि का पर्व है, लेकिन फसल के अलावा और भी कई बातें हैं, जो बैसाखी पर्व से जुड़ी हुई हैं। इसी दिन सिख धर्म के अंतिम यानी 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने सन् 1699 में आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की थी, जो मुगलों के अत्याचारों से मुकाबला करने के लिए बहुत खास मानी गई है। • सिख धर्मावलंबियों के लिए बैसाखी का त्योहार बहुत खास होता है। अत: बैसाखी को सिख समुदाय नए साल के रूप में प्रसन्नतापूर्वक मनाते हैं। बैसाखी पर खेत में खड़ी फसल पर हर्षोल्लास प्रकट किया जाता है। इस पर्व को कई अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे बंगाल में नबा वर्ष, केरल में पूरम विशु, असम में बिहू आदि नाम से इस पर्व को मनाते हैं।


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