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अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी और धोखाधड़ी गिरोह का पर्दाफाश 09-Oct-2024
छत्तीसगढ़ बिग ब्रेकिंग : दुर्ग साइबर पुलिस का बड़ा खुलासा, अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी और धोखाधड़ी गिरोह का पर्दाफाश पुलिस को यह बड़ी सफलता दुर्ग रेंज के आईजी रामगोपाल गर्ग के मार्गदर्शन और एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव के निर्देशन में मिली है। ????????????????यह गिरोह देशभर से लोगों को विदेशों में आकर्षक नौकरियों का झांसा देकर साइबर अपराध और मानव तस्करी के जाल में फंसाने का काम करता था। दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की साइबर थाना पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी और साइबर धोखाधड़ी के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस अभियान में पुलिस ने मुंबई से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें साजन शेख, रफीक खान और एक महिला आरोपी शामिल हैं। पुलिस को यह बड़ी सफलता दुर्ग रेंज के आईजी रामगोपाल गर्ग के मार्गदर्शन और एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव के निर्देशन में मिली है। यह गिरोह देशभर से लोगों को विदेशों में आकर्षक नौकरियों का झांसा देकर साइबर अपराध और मानव तस्करी के जाल में फंसाने का काम करता था। लाओस में नौकरी का झांसा देकर 2 लाख की ठगी भिलाई निवासी एक युवक ने दुर्ग साइबर थाना में शिकायत दर्ज कराई कि उसे लाओस स्थित गोल्डन लिंक सर्विस ट्रेड कंपनी में कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी देने का झांसा दिया गया। इस नौकरी के बदले आरोपियों ने युवक से 2 लाख रुपये की ठगी की। युवक को थाईलैंड के रास्ते लाओस भेजा गया, जहां उसे साइबर अपराध करने के लिए मजबूर किया गया। पीड़ित ने जब इस अवैध काम में शामिल होने से इनकार किया, तो उसे आरोपियों द्वारा धमकाया गया और कई दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया। गिरफ्तारियों से पहले लंबी घेराबंदी जांच के दौरान साइबर थाना की टीम ने तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों के मोबाइल फोन की लोकेशन ट्रैक की, जो मुंबई के गोरेगांव इलाके में पाई गई। दुर्ग से मुंबई के लिए एक विशेष पुलिस टीम को रवाना किया गया। टीम ने दो दिनों तक आरोपियों पर नजर रखी और गोरेगांव रेलवे स्टेशन के भीड़भाड़ वाले इलाके से साजन शेख और रफीक खान को घेराबंदी कर पकड़ा। महिला आरोपी को गोरेगांव स्थित एक घर से स्थानीय पुलिस की मदद से गिरफ्तार किया गया। कंपनी के नाम पर साइबर अपराध का जाल आरोपियों ने ‘VS Enterprises Manpower Consultancy Pvt. Ltd.’ के नाम से एक फर्जी कंपनी बना रखी थी, जिसके जरिए वे लोगों को विदेशों में नौकरी दिलाने का झांसा देते थे। जांच में यह बात सामने आई कि यह कंपनी बिना किसी वैध लाइसेंस के काम कर रही थी। आरोपियों ने ओमान, सऊदी अरब, दुबई और कुवैत जैसे देशों में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से बड़ी रकम वसूल की। पीड़ित को लाओस में कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर नौकरी देने का झांसा देकर भेजा गया था, लेकिन वहां पहुंचने पर उसे साइबर ठगी और ऑनलाइन धोखाधड़ी के अवैध काम में लगाया गया। मानव तस्करी के अंतरराष्ट्रीय तार जांच में खुलासा हुआ कि यह गिरोह न केवल भारत से लोगों को विदेशों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगता था, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी के एक बड़े नेटवर्क से भी जुड़ा हुआ था। लाओस और थाईलैंड के गोल्डन ट्रायंगल क्षेत्र में यह गिरोह सक्रिय था, जहां वे पीड़ितों को साइबर स्लेवरी में धकेलते थे। पुलिस ने जानकारी दी है कि लाओस में इस समय करीब 8 से 10 भारतीय नागरिक इस गिरोह के चंगुल में फंसे हुए हैं, जिन्हें वापस लाने के लिए इंटरपोल की मदद ली जा रही है। आरोपियों से मोबाइल फोन और दस्तावेज जब्त गिरफ्तार किए गए आरोपियों के पास से तीन मोबाइल फोन और विदेशों में नौकरी दिलाने से संबंधित दस्तावेज बरामद किए गए हैं। पुलिस को संदेह है कि इस गिरोह के और भी कई पीड़ित हो सकते हैं, जिन्हें नौकरी का लालच देकर ठगा गया है। पुलिस आगे की जांच कर रही है और अन्य संभावित पीड़ितों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। पुलिस टीम का सराहनीय योगदान इस महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन में डीएसपी शिपा साहू, एसडीओपी देवांश सिंह राठौर, निरीक्षक नवीन राजपूत और साइबर थाना दुर्ग की विशेष टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कार्रवाई से एक अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध और मानव तस्करी के बड़े गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है, जिससे कई मासूम लोगों को इस जाल में फंसने से बचाया जा सका है।


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