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एयर इंडिया, एयरलाइंस को बेचने की तैयारी के बाद अब एलआईसी का शेयर बेचने की तैयारी 01-Feb-2020

इस महत्वपूर्ण विषय पर आपके विचार आमंत्रित हैं 

केंद्र सरकार ने कोल सेक्टर को बेचा, रेलवे को बेचने की तैयारी, एयर इंडिया एयरलाइंस को बेचने की तैयारी अब एलआईसी का शेयर बेचने की तैयारी -
यह महत्वपूर्ण बड़े बड़े प्रोजेक्ट हैं जिन्हें सरकार बेचने की तैयारी कर रही है और बेच भी रही है -- इसके अलावा ना जाने कितने ऐसे शासकीय प्रोजेक्ट हैं जिन्हें सरकार बेच चुकी है या बेचने की तैयारी में है जो आम लोगों की नजरों में नहीं है |
ऐसे में क्या सोचा जाए कि सरकार देश को बेच कर शासन करेगी ?

अगर शासकीय प्रोजेक्ट बेचकर ही शासन चलाना है तो फिर टैक्स लेने की क्या जरूरत है ? जनता पर टैक्स क्यों लगाया जा रहा है ?

देश का भविष्य संकट में नजर आ रहा है | पूर्व में केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक से लाखों करोड़ रुपए निकाल कर खर्च किए फिर भी देश की अर्थव्यवस्था नीचे ही जा रही है क्यों ?

बैंक व्यवस्था
एनपीए के कारण बैंकों की हालत पहले ही खस्ताहाल है - केंद्र सरकार ने ऐसा नियम बनाया है कि घर में पैसा नहीं रख सकते, जितना भी पैसा है बैंकों में रखना अनिवार्य किया गया है |
वहीं दूसरी तरफ यदि बैंक डिफाल्टर होता है तो इंश्योरेंस के नाते सिर्फ एक लाख रुपए देने का प्रावधान रखा गया था जिसे इस बजट में बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया गया है,

अर्थात यदि आपका करोड़, दो करोड़, 5 करोड़, 25 करोड़, रूपया बैंक में जमा है और अगर किसी कारणवश बैंक डिफाल्टर हो जाता है या सरकार के नियमों के कारण, एनपीए बढ़ने से बैंक रकम वापस करने में असमर्थ हो जाता है तो मानिए आपके 25 करोड़ के बदले आपको 5 लाख ही सरकार या बैंक देगी |
इसे कहां तक सही माना जा सकता है ? जब बैंक या सरकार मूल रकम भी वापस नहीं कर सकते तो आप बैंकों में पैसा रखना अनिवार्य किस आधार पर कर रहे हैं ? --

केंद्र सरकार जो नियम बना रही है उससे देखा जाए तो सरकार की --- चित भी मेरी - पट भी मेरी - अंटी मेरे बाप की --- वाली कहावत चरितार्थ हो रही है |

सरकार के नियमो के अनुसार खर्च करना है तो चेक से करो, लेनदेन करना है तो चेक से करो, और हर ट्रांजैक्शन के पीछे सर्विस चार्ज भी दो - यह कहां तक सही है ? - अगर यही हाल रहा तो हिंदुस्तान की जनता सड़क पर आकर आंदोलन करने पर बाध्य हो जाएगी - 

 
 


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