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परिवहन आयुक्त का तुगलकी फरमान गया रद्दी की टोकरी में - 01-Mar-2020

सुप्रीम कोर्ट के नियमों को ताक पर रखकर जारी किया था फरमान - 

क्या था वह फरमान और क्यों गया वह रद्दी की टोकरी में ?

 

 

छत्तीसगढ़ के परिवहन आयुक्त डॉ कमलप्रीत सिंह द्वारा 22 फरवरी को जारी किए गए फरमान जिसमें सभी परिवहन अधिकारियों के माध्यम से वाहन डीलरों को 29 फरवरी तक बिक्री किए गए समस्त वाहनों के संपूर्ण दस्तावेज परिवहन कार्यालयों में जमा करवाने की हिदायत दी गई थी |
 इस फरमान के पीछे का कारण यह था कि 1 अप्रैल 2020 से bs4 वाहनों का पंजीयन प्रतिबंधित हो जाएगा, 31 मार्च 2020 तक बिक्री हुए bs4 के वाहन जो 31 मार्च से पहले तक रजिस्ट्रेशन करवा लेंगे वहीं वाहन सड़कों पर चल सकेंगे |

परिवहन आयुक्त डॉक्टर कमलप्रीत सिंह ने फरमान जारी करने के पीछे का कारण वाहनों के पंजीयन का अत्यधिक दबाव होना बताकर कर्मचारियों के बोझ को कम करने की बात कही थी, जबकि नियमानुसार 31 मार्च तक बिक्री हुए समस्त वाहनों का पंजीयन करना अधिकारी कर्मचारियों की जिम्मेदारी है 

 अब ऐसे में एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा कर्मचारियों के बोझ की चिंता कर कानून का उल्लंघन करना कहां तक उचित है |
 जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि 31 मार्च तक बिके वाहनों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य रूप से किया जाना है और एक अप्रैल से bs4 वाहनों का रजिस्ट्रेशन पूरी तरह से प्रतिबंधित हो जाएगा |

 परिवहन आयुक्त के इस फरमान को चुनौती देते हुए वाहन डीलरों ने परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर के पास अपनी बात रखी और इस फरमान को निरस्त करने की मांग की |
 वाहन डीलरों की मांग पर गौर करते हुए परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर ने नियमानुसार 30 मार्च तक वाहन बेचने को उचित करार देते हुए परिवहन आयुक्त के 29 फरवरी तक के फरमान को निरस्त कर दिया |



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