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बजट संबंधी विनियोग विधेयक 2020 पर राज्यपाल की अनुमति 31-Mar-2020

बजट संबंधी विनियोग विधेयक 2020 पर राज्यपाल की मिली अनुमति : आहरण एवं संवितरण अधिकारियों को तत्काल बजट आबंटन करें जारी : अपर मुख्य सचिव

 

बजट आबंटन की प्रक्रिया का पालन और उपयोग करने संबंधी
दिशा-निर्देश जारी

       रायपुर, 31 मार्च 2020

राज्य शासन के वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान से संबंधी विनियोग विधेयक 2020 पर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ने अनुमति प्रदान कर दी है। वित्त विभाग द्वारा बजट पुस्तिकाएं विभागों को पृथक से भेजी गई है तथा इसे वित्त विभाग के वेबसाईट http://finance.cg.gov.in पर भी उपलब्ध करायी गई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट के लिए अपर मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन ने बजट नियंत्रक अधिकारियों से अधिनस्थ आहरण एवं संवितरण अधिकारियों को तत्काल बजट आबंटन जारी करने के निर्देश दिए है।
    वित्त विभाग मंत्रालय महानदी भवन द्वारा राज्य के समस्त अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, अध्यक्ष राजस्व मंडल एवं समस्त विभागाध्यक्षों को शासकीय व्यय में गुणवत्ता के उद्देश्य सेे कैश मैनेजमेंट सिस्टम लागू करने और वित्तीय वर्ष के बजट में समुचित उपयोग के लिए कार्य योजना तैयार करने तथा बजट का व्यय नियंत्रित करने व अंतिम तिमाही में व्यय का आधिक्य न होने के निर्देश दिए गए हैं।
    विभागों को वित्तीय वर्ष प्रथम छःमाही में बजट प्रावधान का 40 प्रतिशत जिसमें प्रथम तिमाही में 25 प्रतिशत तथा द्वितीय तिमाही में 15 प्रतिशत व्यय शामिल है। द्वितीय छःमाही में कुल बजट का 60 प्रतिशत जिसमें तृतीय तिमाही में 25 प्रतिशत एवं चतुर्थ तिमाही में 35 प्रतिशत व्यय करना शामिल होगा। बजट आबंटन के सर्वर में प्रविष्टि दो किस्तों में प्रथम छःमाही तथा द्वितीय छःमाही के लिए की जाएगी।
    वित्त विभाग के निर्देश में वित्तीय वर्ष के अंतिम माह मार्च में व्यय की अधिकतम सीमा कुल बजट प्रवधान का 15 प्रतिशत तक होगी। प्रथम छःमाही में निर्धारित सीमा से कम व्यय करने की स्थिति में बजट राशि का 50 प्रतिशत व तृतीय तिमाही में व्यय के लिए अग्रेषित की जा सकेगी, जिसका उपयोग तृतीय तिमाही में करना अनिवार्य होगा। साथ ही कम व्यय का औचित्य स्पष्ट करते हुए वित्त विभाग से सहमति प्राप्त करनी होगी। बचत की शेष 50 प्रतिशत राशि आवश्यकता के आधार पर अन्य विभागों को आबंटित की जाएगी।
    केन्द्रीय योजनाओं में प्राप्त अंतिम किश्त मार्च के महीने के व्यय के लिए निर्धारित सीमा लागू नहीं होगी। साथ ही स्थापना अनुदान एवं अशासकीय संस्थाओं को अनुदान अंतर्गत प्रथम छःमाही के लिए 40 प्रतिशत एवं द्वितीय छःमाही के लिए 60 प्रतिशत व्यय सीमा निर्धारित की गई है। प्रथम छःमाही में निर्धारित सीमा से कम व्यय करने के स्थिति में बचत राशि का 50 प्रतिशत, तृतीय तिमाही में व्यय के लिए अग्रेषित की जा सकेगी। जिसका उपयोग तृतीय तिमाही में करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही निर्धारित सीमा निम्न शीर्ष के अंतर्गत वेतन भत्ते, मजदूरी, कार्यालय व्यय, डाक कार्य पर व्यय, दूरभाष व्यय, बिजली एवं जल प्रभार, आकस्मिकता स्थापना, पेंशन एवं हितलाभ, भारित धन का भुगतान तथा वाहन क्रय पर लागू नहीं होगी। केन्द्र प्रवर्तित, केन्द्र क्षेत्रीय तथा अतिरिक्त और विशेष केन्द्रीय सहायता प्राप्त योजनाओं के केन्द्रांश पर भी लागू नहीं होगी, इसके साथ ही ऐसी केन्द्र प्रवर्तित योजनाएं जिनमें भारत सरकार के दिशा-निर्देशानुसार राज्यांश की आनुपातिक राशि केन्द्रांश के साथ विमुक्त किया जाना आवश्यक है, पर भी यह सीमा लागू नहीं होगी।
बजट आबंटन की प्रक्रिया
    वित्त विभाग ने विभागीय बजट नियंत्रक अधिकारियों द्वारा अधीनस्थ आहरण एवं संवितरण अधिकारियों को निर्धारित समय-सीमा में बजट आबंटन जारी करने के निर्देश जारी किया गया है। जिसके अंतर्गत वित्तीय वर्ष की प्रथम छःमाही के लिए 40 प्रतिशत जारी कर सीमा बजट नियंत्रण अधिकारी के कुल बजट प्रावधान पर लागू होगी अर्थात कुल बजट प्रावधान के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं में आवश्यकतानुसार व्यय की सीमा में शिथिलता रहेगी। इस पर संचालनालय, कोष, लेखा एवं पेंशन के मुख्य सर्वर का नियंत्रण रहेगा, ताकि उपरोक्तानुसार निर्धारित सीमा से अधिक आबंटन जारी नहीं हो सके।
    कैश मैनेजमेंट सिस्टम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी विभागाध्यक्ष को उनके अधिनस्थ आहरण एवं संवितरण अधिकारी को आगामी छःमाह के लिए बजट आबंटन के लिए अनिवार्यतः 22 अप्रैल 2020 तक मुख्य सर्वर में अपलोड करने के निर्देश जारी किए गए है। बजट नियंत्रण अधिकारी जो आहरण एवं संवितरण अधिकारियों को बजट आबंटन जिला कार्यालयों के माध्यम से करते हैं, यह सुनिश्चित करें कि जिला कार्यालयों द्वारा पुर्नआबंटन की कार्यवाही सर्वर में 26 अप्रैल तक अनिवार्य रूप से कर लिया जाए। इस हेतु यह व्यवस्था की गई है कि बजट नियंत्रण अधिकारियों हेतु 22 अप्रैल एवं जिला कार्यालयों हेतु 26 अप्रैल के पश्चात मुख्य सर्वर स्वतः लॉक हो जाए एवं इसके पश्चात किए जाने वाले बजट आबंटन हेतु वित्त विभाग से अनुमति प्राप्त करनी होगी एवं इसकी जानकारी समन्वय में मुख्यमंत्री जी के ध्यान में लायी जाएगी।
    वित्तीय वर्ष 2013-14 से निर्माण विभागों तथा वन विभाग के लिए ई-वर्क्स प्रणाली लागू की गई है। नवीन व्यवस्था के अंतर्गत संबंधित बजट नियंत्रक अधिकारियों को निर्धारित समय-सीमा 26 अप्रैल  तक मुख्य सर्वर में अपने अधीनस्थ आहरण एवं संवितरण अधिकारियों को बजट आबंटन की प्रविष्टि अपलोड करना होगा। सामन्यतः निर्माण विभागों एवं वन विभागों की अधिनस्थ कार्यालयों द्वारा मार्च माह के अंत में अधिक राशि आहरण की प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए यह स्पष्ट किया जाता है कि विभाग अधिनस्थ कार्यालयों को समय पर राशि का आबंटन एवं आहरण किया जाना सुनिश्चित करें, ताकि अंतिम समय में व्यय की प्रवृत्ति को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सके। अधिनस्थ कार्यालयों को बजट आबंटित करते समय बजट नियंत्रण अधिकारियों द्वारा जिला मुख्यालयों एवं दूरस्थ अंचलों में पदस्थ शासकीय कर्मचारियोें के लिए चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए समुचित धन राशि आबंटित की जाए। इसके साथ ही विभिन्न मांग संख्या के अधीन प्रावधानित राशि का आबंटन आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा निर्धारित शर्तों के अधीन दिया जाएगा।

बजट आबंटन का उपयोग करने संबंधी दिशा-निर्देश
    वित्त विभाग ने विभागीय बजट नियंत्रक अधिकारियों को अपने अधीनस्थ आहरण एवं संवितरण अधिकारियों को बजट आबंटन का उपयोग करने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि आबंटनों के विरूद्ध व्यय, वित्तीय अधिकारों का प्रत्यायोजन पुस्तिका की भाग एक एवं दो में दिए गए अधिकारों के अंतर्गत किया जाए। जिन प्रकरणों में वित्त विभाग की सहमति-स्वीकृति प्राप्त करना आवश्यक है। वित्तीय स्वीकृति जारी करने के पूर्व नस्ती विभाग को भेजी जाए।
    ‘अपरीक्षित नवीन मद‘ के प्रकरणों में वित्त विभाग के निर्देश में उल्लेखित सक्षम समिति के अनुमोदन अनुसार प्रशासकीय विभाग को प्रत्यायोजित वित्तीय अधिकार के अनुसार कार्यवाही की जाए। किसी भी हालत में अतिरिक्त आबंटन की प्रत्याशा में बजट आबंटन से अधिक व्यय नहीं किया जाए। निर्माण कार्य विभागों के बजट में ‘डिपाजिट मद‘ में रखी गई राशि का आबंटन, व्यय एवं वर्षान्त से पूर्व समायोजन, वित्त विभाग के निर्देश के अनुसार किया जाए।
    नाबार्ड पोषित योजनाओं में नाबार्ड की स्वीकृति प्राप्त होने के उपरांत ही योजनाओं में व्यय किया जाए। साथ ही व्यय की गई राशि के प्रतिपूर्ति दावे तत्काल एवं नियमित रूप से वित्त विभाग के माध्यम से नाबार्ड को प्रेषित किए जाए, ताकि राज्य के वित्तीय संसाधनों पर दबाव की स्थिति निर्मित न हो। इसके अलावा कई मदों में व्यय का प्रवधान इस आधार पर रखा गया है कि उसकी अनुपातिक राशि संस्थागत वित्तीय संस्थाओं अथवा भारत सरकार से प्राप्त होंगे। ऐसे प्रकरण जैसे केन्द्र क्षेत्रिय योजना, केन्द्र प्रवर्तित योजना, अतिरिक्त-विशेष केन्द्रीय सहायता, विदेशी सहायता प्राप्त परियोजना तथा 14वें वित्त आयोग अंतर्गत प्राप्त अनुदान राशि में सहायता राशि राज्य शासन की खाते में जमा होने के बाद ही व्यय की जाएगी।
    वित्त विभाग के निर्देश के अनुसार केन्द्र क्षेत्रिय योजना, केन्द्र प्रवर्तित योजना, अतिरिक्त-विशेष केन्द्रीय सहायता, विदेशी सहायता परियोजनाओं में केन्द्रांश-राज्यांश की विमुक्ति के लिए प्रशासकीय विभाग को प्रत्यायोजित वित्तीय अधिकार के अनुसार कार्यवाही की जाए। जिन प्रकरणों में व्यय की प्रतिपूर्ति के आधार पर सहायता प्राप्त होती (आरआईडीएफ ऋण, एडीबी ऋण) में व्यय की प्रतिपूर्ति दो माह के अंदर सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी विभागाध्यक्ष की होगी।
    ऐसे प्रकरण जो राज्य शासन द्वारा किसी अन्य संस्था-व्यक्ति को ऋण देने से संबंधित है, में राशि वित्त विभाग की पूर्व स्वीकृति के बिना जारी नहीं की जाएगी। (मुख्य शीर्ष 6000 से 7998 तक शासकीय सेवकों को दिए जाने वाले अग्रिम को छोड़कर) ऐसे प्रकरणों में विभाग द्वारा ऋण की शर्तें, जिसमें ब्याज की दर, भुगतान की अवधि, मोरेटोरियम की अवधि सम्मिलित है, के प्रस्ताव पर वित्त विभाग की सहमति प्राप्त करने के उपरांत ही राशि जारी तथा आहरण की कार्यवाही की जाए तथा विभागाध्यक्ष इसके लेखे व वसूली की पंजी संधारित करने के लिए उत्तरदायी है।  
    जिन प्रकरणों में अनुदान बाबत् प्रावधान का आधार विभिन्न राजस्व की प्राप्ति हो, उनमें अनुदान के विमुक्तिकरण से पूर्व सक्षम अधिकारी से राजस्व प्राप्ति की पुष्टि करा ली जाए। यह प्रावधान विभिन्न निधियों द्वारा पोषित योजनाओं के अंतर्गत किए गए बजट प्रवधानों पर भी लागू होगा। ऐसे प्रकरणों में संबंधित विभाग, विभागाध्यक्ष, महालेखाकार पिछले वित्तीय वर्ष में संबंधित मंद में प्राप्त वार्षिक आय की पुष्टि करा लेने के पश्चात ही वित्त विभाग की सहमति से स्वीकृत किया जाए।
    कतिपय विभागों को पंचायत एवं नगरीय संस्थाओं को अनुदान स्वीकृत करने हेतु आबंटन सौंपे जा रहे हैं। उन प्रकरणों में पंचयात-नगरीय निकायों के माध्यम से कराए जाने वाले कार्यों के लिए उन्हें आबंटन आदि समय पर देने का दायित्व संबंधित विभाग का होगा। व्यय करते समय शासन के मितव्ययता संबंधी समय-समय पर जारी आदेशों का कड़ाई से पालन किया जाए। मैदानी कार्यालयों में आबंटन की संसूचना प्राप्त होने में बिलंब को देखते हुए आबंटन की प्रत्याशा में 1 अप्रैल 2020 से वेतन, मजदूरी तथा अन्य अत्यावश्यक व्यय के देयकों को जिसमें आबंटन प्राप्त होना सुनिश्चित हो पारित किया जाए। ‘6 अप्रैल 2020 तक आबंटन प्राप्त करने की जिम्मेदारी आहरण एवं संवितरण अधिकारी इस आशय का प्रमाण पत्र कोषालय-उप कोषालय द्वारा प्राप्त कर लिया जाए।



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