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  • आखिर ऐसा क्या हुआ कि विपक्ष के ये नेता ईडी के मकड़जाल में फंसे हैं और क्यों ये सरकार के रडार पर हैं?

    देश की राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों और बीती सरकारों में मंत्री रहे कई बड़े नेताओं पर इन दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ED) का शिकंजा कसा हुआ है. फिर चाहे वह कांग्रेस पार्टी के राहुल गांधी (Rahul Gandhi) हो या फिर शिवसेना के संजय राउत . आखिर ऐसा क्या हुआ कि विपक्ष के ये नेता ईडी के मकड़जाल में फंसे हैं और क्यों ये सरकार के रडार पर हैं?

    हालिया मामलों में ईडी (ED) ने पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार किए गए पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को 5 अगस्त तक हिरासत में रखा था. उधर दूसरी तरफ नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मंगलवार 26 जुलाई को ही ईडी की पूछताछ खत्म हुई है. यहां हम जानने की कोशिश करेंगे कि हाल के दिनों में किस-किस  विपक्षी नेताओं को या तो ईडी ने गिरफ्तार किया है या वो जांच के दायरे में हैं. 

    विपक्षी नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार अपने खिलाफ बढ़ते विरोध की वजह से विपक्षी नेताओं को निशाना बना रही है. अपने खिलाफ बढ़ते विरोध के स्वरों को दबाने के लिए केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल कर रही है. 

    नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी भी ED के शिकंजे में है. इस मामले में ईडी कांग्रेस के इन दोनों नेताओं से पूछताछ की है. हाल ही में इस केस में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मंगलवार 26 जुलाई को ही ईडी की पूछताछ खत्म हुई. इन दोनों नेताओं पर नेशनल हेराल्ड न्यूज पेपर चलाने वाली कंपनी एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के अधिग्रहण में धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है.

    ये केस यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Young India Private Ltd) नाम की नई कंपनी और एजेएल के बीच हुए सौदे का है. गौरतलब है कि यंग इंडिया में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ ही ऑस्कर फर्नांडिस, सैम पित्रोदा, मोतीलाल वोरा और सुमन दुबे को डॉयरेक्टर बनाया गया था.

    कंपनी में 76 फीसदी शेयर सोनिया और राहुल गांधी के नाम है. बाकि के 24 फीसदी शेयर अन्य डॉयरेक्टर्स के पास है. कांग्रेस पार्टी ने इस नई कंपनी को 90 करोड़ रुपये कर्ज के तौर पर दिए और बाद में इसी कंपनी को अधिगृहित कर लिया. इसी को लेकर ईडी कांग्रेस के नेताओं पर मनीलॉड्रिंग (Money Laundering) का केस चला रही है. उधर दूसरी तरफ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने अपने नेताओं पर चल रहे इस केस को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन किया.

    संजय राउत भी मनी लॉन्ड्रिंग के दायरे में

    शिवसेना सांसद संजय राउत भी अपनी पत्नी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस की वजह से ईडी की जांच के दायरे में है. उन पर ईडी मुंबई के गोरेगांव उपनगर की पात्रा चॉल घोटाला (Patra Chawl Land Scam) में एक पुनर्विकास परियोजना में कथित अनियमितताओं पर जांच चला रही है. इस केस में गुरु कंस्ट्रक्शन कंपनी के निदेशक प्रवीण राउत को गिरफ्तार किया था. इसके बाद ही संजय राउत और उनकी पत्नी वर्षा राउत ईडी के निशाने पर आए थे. इन पर आरोप था कि प्रवीण ने 55 लाख रुपये वर्षा राउत के अकाउंट में डाले. इसी पैसे वर्षा राउत ने दादर में फ्लैट खरीदा था.

    इस मामले में आरोपों का सामना कर रहे  सांसद संजय राउत और उनकी पत्नी वर्षा को शुक्रवार पांच अगस्त को ईडी ने पूछताछ के लिए समन भेजा था. रविवार 31 जुलाई को शिवसेना सांसद संजय राउत को इस मामले में गिरफ्तार किया और उनके घर से 11.50 लाख रुपये बरामद किए गए अदालत ने राउत को चार दिन के रिमांड पर भेजने के ऑर्डर दिया. 

    TMC के पार्थ चटर्जी भी ईडी के दायरे में

    बेहाला दक्षिण से तृणमूल कांग्रेस (TMC) के विधायक पार्थ चटर्जी और उनकी साथी अर्पिता मुखर्जी को 23 जुलाई को गिरफ्तार किया था. इन दोनों पर साल 2014 और 2021 के बीच पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में करोड़ों रुपये के भर्ती घोटाले के आरोप पर ये कार्रवाई की गई थी.

    इस घोटाले के वक्त पार्थ चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री (Teacher Recruitment Scam) थे. ईडी ने छापेमारी में अर्पिता मुखर्जी के घरों से 50 करोड़ से ज्यादा नकदी और सोना भी बरामद किया था. बीते हफ्ते टीएमसी ने चटर्जी को मंत्री पद से हटा दिया और पार्टी से भी सस्पेंड कर दिया था. पांच अगस्त को कोलकाता की अदालत ने पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को की जमानत की दलीले सुनने से भी इंकार कर दिया. अदालत ने इन दोनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. 

    टीएमसी के सांसद अभिषेक भी ईडी के निशाने पर

    पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी भी ईडी (ED) के निशाने पर है. टीएमसी (TMC) सांसद अभिषेक पर प्रदेश में कोयले घोटाले के मामले में ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं. ईडी ने सांसद बनर्जी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है. टीएमसी सांसद बनर्जी पर आरोप है कि आसनसोल (Asansol) के निकट कुनुस्तोरिया और कजोरा इलाके में ईस्टर्न कोलफील्ड्स (Eastern Coalfields) की पट्टों पर दी गई खदानों में कोयले का अवैध खनन (Illegal Mining Of Coal) किया गया,इसमें सांसद बनर्जी का भी हाथ रहा.

    सीबीआई (CBI) के मुताबिक जांच में 1,300 करोड़ रुपये के वित्तीय लेन-देन का पता चला है. इस मामले में दो महीने पहले ही ईडी ने उनकी पत्नी रुजीरा बनर्जी से भी पूछताछ की. उधर पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में भी बीजेपी नेताओं ने सीएम ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के शामिल होने का आरोप लगाया है. 

    AAP नेता सत्येंद्र जैन पर भी ED का शिकंजा

    आम आदमी पार्टी (AAP) नेता सत्येंद्र जैन भी ईडी (ED) के शिकंजे में है. 30 मई को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 2017 में दर्ज किए एक केस के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में आप नेता जैन को गिरफ्तार किया था. उन पर दिल्ली में जमीन खरीदने में काले धन का पैसा लगाने का आरोप है. 

    फारूक अब्दुल्ला, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस

    जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की जांच के दायरे में हैं. यह केस जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ (JKCA) में 113 करोड़ रुपये की अनियमितता का है. जब ये घोटाला हुआ था, तब अब्दुल्ला जेकेसीए के चीफ थे. मई में ईडी ने उनके खिलाफ एक एक्सट्रा चार्जशीट दायर की थी. इससे अलावा दिसंबर 2020 में ईडी ने अब्दुल्ला की 11.86 करोड़ रुपये की आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियों की कुर्की की थी. लेकिन अब्दुल्ला इन आरोपों को नकारते रहे हैं.

    अजित पवार, NCP

    एनसीपी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) अपने परिवार के सदस्यों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की जांच के घेरे में हैं. ED ने आरोप लगाया है कि कई बेनामी संपत्तियों में अवैध धन का इस्तेमाल किया गया था, जिन्हें हाल ही में कुर्क किया गया था. एनसीपी के ही नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) को ईडी ने गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके कुछ नजदीकी साथियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्त में लिया था. मलिक के खिलाफ ईडी ने अदालत में पांच हजार से अधिक पृष्ठों की चार्जशीट दायर की थी. हालांकि मलिक ने इन आरोपों को नकारा था. इन दिनों एनसीपी के नेता जेल में हैं.

    पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी

    पंजाब के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी से भी ईडी के निशाने पर है. साल 2018 में उनके भतीजे भूपिंदर सिंह हनी के अवैध रेत खनन मामले में पूछताछ के लिए ईडी उन्हें भी तलब कर चुकी है. पंजाब के चुनावी अभियान में अवैध रेत खनन का मुद्दा सबसे चर्चित मुद्दों में से एक था.

  •  भ्रष्टाचारियों - रिश्वतखोरों के लिए 2000 के नोट वरदान साबित हुए - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाती

    माननीय आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी,

    जो नोटों का पहाड़ ईडी द्वारा इकट्ठा किया जा रहा है चाहे वह पश्चिम बंगाल की बात हो चाहे वह उत्तर प्रदेश के कन्नौज की बात हो चाहे वह पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के विधायकों से मिला हो, इन सब के लिए आप ही जिम्मेदार हैं, क्योंकि नोटबंदी के समय आपने 1000 के नोट को बंद करके 2000 के नोट चालू किए - यही 2000 के नोट भ्रष्टाचारियों - रिश्वतखोरों के लिए वरदान साबित हुए | उनकी काली कमाई को संग्रहण करने की क्षमता बढ़ गई | जहां एक करोड़ के लिए अगर 1 फुट की जगह की जरूरत पड़ती थी तो उसी 1 फुट की जगह में उन्हें 2 करोड रुपए रखने की सुविधा मिल गई |


    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अगर यदि आप बड़े नोटों को जैसे कि तत्कालीन समय में प्रचलित 1000 और 500 के नोटों को बंद कर 100 और 200 के नोट ही चलन में रखते तो काला धन इकट्ठा करने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ता |  कार में भी 1 - 2 करोड रुपए परिवहन में असुविधा होती !

    परंतु आपके द्वारा 1000 के नोट बंद कर 2000 के नोट चालू करने से काला धन इकट्ठे करने वालों को सुविधा हो रही है और यही कारण है कि ईडी द्वारा छापे के दौरान करोड़ों - अरबों रुपए के नोट ढेर की शक्ल में बरामद हो रहे हैं|  इन्हीं 2000 के नोटों की जगह यदि सौ सौ के नोट होते तो यह जमाखोरी और काले धन को इकट्ठा करने की संख्या सिर्फ लाखों में होती, अर्थात भ्रष्टाचारियों . रिश्वतखोरों को इतने ही नोटों को रखने के लिये एफसीआई जैसे बड़े बड़े गोदाम बनाने पड़ते जो संभव ही नहीं नामुमकिन  होता |


    अभी भी अगर आप दिल बड़ा करके एक बार 2000 और 500 के नोटों को बंद करते हैं तो देश में काला धन जमा करने वालों के ऊपर पहाड़ टूट पड़ेगा, साथ ही भविष्य में रिश्वतखोरों - भ्रष्टाचारियों और काला धन जमा करने वालों की संख्या नाम मात्र होगी |

  • *तिल्दा पटवारी संस्कृति शर्मा के द्वारा भूमि प्रमाणीकरण के लिए १०००० रूपये की मांग - स्टिंग आया सामने*
    तिल्दा पटवारी संस्कृति शर्मा के द्वारा भूमि प्रमाणीकरण के लिए १०००० रूपये की मांग रायपुर जिले का तिल्दा तहसील के अंतगत तिल्दा पटवारी हल्का नंबर ८ पटवारी संस्कृती शर्मा के द्वारा अर्पिता दत्ता पति सुजोय दत्ता तिल्दा के निवासी ने सासाहोली स्थित भूमि जिसमे १५०० वर्ग फुट भूमि क्रय की है जिस भूमि का रजिस्ट्री के उपरांत प्रमाणीकरण के लिए मेरे पति सुजॉय के द्वारा पटवारी के कर्मचारी सतीश चौधरी pata पता मौली मंदिर के पास तिल्दा को ₹5000 नगद दिया तथा साथ में रजिस्ट्री की मूल प्रति प्रदान की गई इसके पश्चात सतीश चौधरी के द्वारा मेरे पति को फोन कर पटवारी ऑफिस में बुलाया गया जहां पर ₹5000 अतिरिक्त की राशि की मांग की जो कि उक्त कार्य होने के पश्चात फिर से दूसरे रजिस्ट्री जिसमें मेरे पिता विद्युत मजूमदार के द्वारा भूमि नामांतरण के लिए सतीश चौधरी के द्वारा ₹5000 की मांग की गई जिस पर मेरे पति के द्वारा सतीश चौधरी को 5000 को प्रदान किया गया तथा रजिस्ट्री की मूल प्रति प्रदान कर कुछ समय के बाद मेरे द्वारा कॉल करने पर पटवारी ऑफिस पहुंचने की बात कही तथा कुछ दिनों के बाद सतीश चौधरी के द्वारा मेरे पति को फोन कर पटवारी कार्यालय बुलाया जिस पर तत्पर पटवारी संस्कृति शर्मा के द्वारा ₹5000 की और मांग की गई जिस पर मेरे पिता ने नामांतरण के लिए इतना अधिक राशि नहीं लगता है की बात कही तुम लोग जबरदस्ती शासकीय कार्य होने के बाद भी जहां पैसा नहीं लगने पर भ्रष्टाचार के रूप में खुद के रूप में पैसा लेने की बात कही जिस पर पटवारी के द्वारा पता में आकर आकर मेरे पिता को कई अपशब्द कहे तथा मेरे पिता के ऊपर उक्त रजिस्ट्री की मूर्ति को उसके मुंह पर दे मारा जो कि उक्त कृत्य अश्वनी है तथा अशोभनीय है तथा पटवारी के द्वारा शासकीय शुल्क से अतिरिक्त की राशि की वसूली मुझ से की गई है तथा मेरे साथ साथ और कई भी किसानों से जिनसे बटवारा नामा के लिए ₹40000 तथा भूमि नामांतरण भूमि के प्रमाणीकरण भूमि के नक्शा बटन के लिए अपना एजेंट नियुक्त कर कई हजारों रुपए की वसूली प्रतिमाह में लगभग कई लाखों की वसूली कर रहे हैं इससे शासन प्रशासन के कार्यों को आम जनता के लिए सुविधाजनक ना कर भ्रष्टाचार करते हुए अपने जेब को भरते जा रहे हैं तथा मेरी शासन से यह गुहार है कि क्या पटवारी अपने अंदर कोई कर्मचारी नियुक्त कर सकता है पर अगर नियुक्त कर सकता है तो उसकी पद उसकी नियुक्ति कैसे होगी रकम उगाही कैसे कैसे की जा रही है क्या सोच से परे है तथा उक्त प्रकरण के संबंध में इसकी शिकायत मेरे द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से किया गया भ्रष्टाचारी पटवारी के साथ-साथ इसके अतिरिक्त कर्मचारी सतीश चौधरी के ऊपर भी कार्यवाही होना चाहिए क्योंकि कोई भी अधिनस्थ कर्मचारी शासकीय दस्तावेजों में अपनी लिखित हस्ताक्षर त्रुटि सुधार कैसे कर सकता है क्या सब समझ से परे है इसमें बड़े से बड़े अधिकारी मिले हुए हैं जिसकी खोजबीन अवश्य की जाए तथा मेरे तरह कई गरीब किसान मध्यमवर्ग ई महिलाएं पुरुषों की जेब से शासन से अतिरिक्त राशि उगाही ना हो तरह तिल्दा में कई पटवारियों के द्वारा भी घुस लिया जाता है संबंध में मेरे द्वारा आम किसानों से बटवारा नामा, भूमि सीमांकन, भूमि के नक्शा दुरुस्ती के लिए किसानों से हजारों रुपए लिए गए हैं तथा खासकर दारु भट्टी के सामने सासाहोली भूमि मालिकों से नक्शा दुरुस्ती एवं भूमि के नाप के लिए कई हजारों रुपए दिए हुए हैं तथा साथ ही साथ तिल्दा और सासाहोलीहोली से लगा हुआ सरहद जहां पर कई जमीन को जहां पर कई लाखों करोड़ों की शासकीय भूमि को पैसे वाली पार्टी को दे दिया गया है इसके बारे में भी विगत कई माह से उक्त मार्ग के लिए वार्ड क गणमान्य नागरिक गण भी उक्त संबंध में मौखिक अपत्ति किए थे परंतु उसका आज दिनांक तक कोई भी हल नहीं निकला है | CG 24 News
  • नोट गिनने के लिए मंगाई गईं 5 मशीनें टॉयलेट में भी छिपा था खजाना

    पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले (SSC Scam) की जांच में जुटी प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम नोटों का एक और जखीरा बरामद हुआ है. नए खजाने से ईडी ने 28 करोड़ 90 लाख रुपये और लगभग 5 किलो सोना जब्त किया है. पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी की काली कमाई के रहस्यलोक का दूसरा दरवाजा खुल गया है. पहले टॉलीगंज और अब बेलघरिया. यह अर्पिता मुखर्जी का दूसरा फ्लैट है जहां से गुलाबी नोटों का अंबार बरामद हुआ है. नोटों को प्लास्टिक की थैली में भरकर रखा गया था.

    इस कैश को गिनने के लिए कई मशीनों को मंगवाया गया. यहां से ईडी को 28 करोड़ 90 लाख रुपये कैश मिला था, जिसकी गिनती की गई. लगभग 5 किलो गोल्ड भी बरामद हुआ है. अर्पिता मुखर्जी के नाम पर ऐसे दो फ्लैट हैं इसमें एक है ब्लाक-5 और रहस्य लोक से मिले नए खजाने का नया पता बेलघरिया के रथाला इलाके का ब्लॉक नंबर-5 है. पश्चिम बंगाल शिक्षक घोटाले के मास्टर माइंड माने कहे जाने वाले मंत्री पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी ईडी कस्टडी में हैं. 

    नोट गिनने के लिए मंगाई गईं 5 मशीनें

    प्रवर्तन निदेशालय की टीम के लिए पार्थ चटर्जी का मुंह खुलवाना मुश्किल हो रहा है, लेकिन अर्पिता मुखर्जी काली कमाई का राज लगातार खोल रही है. मिली जानकारी के मुताबिक मुखर्जी ने ही ईडी को कोलकाता के आसपास की अपनी संपत्ति की जानकारी दी है. ED को अर्पिता के एक और फ्लैट से बेशुमार कैश मिला, जिसके बाद ED के अफसरों ने बैंक के अधिकारियों को फ्लैट पर बुलाया. नोटो का जखीरा इतना बड़ा था कि इसके लिए नोट गिनने की पांच मशीने मंगाई गईं.

  • द्रौपदी मुर्मू ने देश की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में शपध ले ली है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana) ने उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई. द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं. वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होने वाली पहली आदिवासी महिला (tribal woman) और स्वतंत्र भारत में पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति हैं.

    द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद अपने पहले औपचारिक अभिभाषण के दौरान वहां मौजूद गणमान्य लोगों को संबोधित किया. अपने अभिभाषण ने कोरोना, डिजिटल, शिक्षा कई अहम मुद्दों को लेकर संबोधन दिया. 

    द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद संसद के सेंट्रल हॉल में अपना पहला औपचारिक भाषण दिया. इस दौरान उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है. मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूं जिसका जन्म आज़ाद भारत में हुआ है." राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी योगदान को सराहना करते हुए कहा, "संथाल क्रांति, पाइका क्रांति से लेकर कोल क्रांति और भील क्रांति ने स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी योगदान को और सशक्त किया था."

  • नक्सली हमला : बेकसूर 121 आदिवासियों के 5साल जेल में : जिम्मेदारों पर जुर्म दर्ज क्यों नहीं ?

    नक्सलियों ने 24 अप्रैल, 2017 को सुकमा में बुरकापाल के पास सीआरपीएफ की एक टीम पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें अर्धसैनिक बल की 74वीं बटालियन के 25 जवानों की मौत हो गई थी|

     जिन आदिवासियों के 5 साल जेल में कटे हैं उसका हर्जाना कौन देगा ? इस दौरान इनके परिवारों को हुई पीड़ा, परेशानियों और तकलीफों के लिए जिम्मेदार कौन होगा ?

    *सरकार को चाहिए कि तत्कालीन संबंधित सभी अधिकारियों को इस कृत्य के लिए सजा दे, उन पर जुर्म दर्ज कर कार्यवाही करें*

    2017 में बस्तर क्षेत्र के सुकमा जिले के बुर्कापाल गांव के पास नक्सली हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 25 जवान शहीद हो गए थे। इस मामले में पुलिस प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए बुर्कापाल एवं आसपास के गांवों के 121 ग्रामीणों को इस नक्सली हमले के लिए, नक्सलियों का साथ देने के आरोप में गिरफ्तार कर जेलों में डाल दिया था | *

    अदालत ने मामले के 121 आरोपियों को रिहा किया*

    राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) मामलों के विशेष न्यायाधीश दीपक कुमार देशलहरे ने जुलाई 2022 में यह देखते हुए 121 आरोपियों को बरी कर दिया था कि अभियोजन अपराध में उनकी संलिप्तता और नक्सलियों के साथ संबंध साबित करने में विफल रहा |

    *पुलिस महानिदेशक (बस्तर रेंज) सुंदरराज.पी ने कहा कि अदालत के आदेश के बाद 113 आरोपियों को शनिवार को रिहा कर दिया गया जिनमें से 110 जगदलपुर केंद्रीय जेल और तीन दंतेवाड़ा जिला जेल में बंद हैं। उन्होंने कहा कि शेष आठ, अन्य मामलों में भी आरोपी हैं और इसलिए उन्हें रिहा नहीं किया गया है। अधिकारी ने कहा कि फैसले के दस्तावेज और कानूनी संभावनाओं की जांच के बाद मामले में आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला किया जाएगा।*

    बुर्कापाल मामला cg राज्य के बस्तर क्षेत्र में आदिवासियों के साथ हुए गंभीर अन्याय का एक उदाहरण है - बेला भाटिया 

    नक्सली हमले में 25 जवानों की हुई थी मौत*

    नक्सलियों ने 24 अप्रैल, 2017 को सुकमा में बुरकापाल के पास सीआरपीएफ की एक टीम पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें अर्धसैनिक बल की 74वीं बटालियन के 25 जवानों की मौत हो गई थी। इस घटना को अंजाम देने के लिए इनमें से अधिकांश को 2017 में गिरफ्तार किया गया था जबकि कुछ को 2018 और 2019 में गिरफ्तार किया गया था। उन पर भारतीय दंड संहिता, शस्त्र अधिनियम, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, छत्तीसगढ़ विशेष सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

    *शादी के बाद से पत्नी को नहीं देखा* 113 आदिवासियों के जेल से बाहर आने के बाद उनमें से कुछ ने कहा कि उनके परिवार बर्बाद हो गए क्योंकि वे अकेले कमाने वाले थे। जगरगुंडा गांव के रहने वाले हेमला आयुतु ने कहा, हमने जो अपराध किया ही नहीं , उसके लिए हमने पांच साल जेल में बिताए। हेमला आयुतु ने कहा कि घटना कुछ दिन पहले मेरी शादी हुई थी जिसके बाद मुझे गिरफ्तार कर लिया गया था। मैंने तब से अपनी पत्नी को नहीं देखा है। मेरे चाचा डोडी मंगलू (42 वर्षीय) को भी इसी मामले में गिरफ्तार किया गया था, वो जेल में ही मारे गए। उन्होंने दावा किया कि मांगने के बाद भी जेल प्राधिकरण ने उन्हें उनसे (डोडी मंगलू) संबंधित कोई दस्तावेज नहीं दिया। मंगलू इस मामले में 121 आरोपियों के अलावा था।

     

    *आदिवासियों को बेचने पड़े अपने खेत और बेल* मामले में बरी किए गए एक अन्य आदिवासी ने कहा कि उसके परिवार ने अदालत की सुनवाई के खर्च के लिए बुरकापाल गांव में अपने खेत और बैल बेच दिए। व्यक्ति ने कहा कि वह शादीशुदा है और उसके कोई बच्चे नहीं हैं।

     

    बचाव पक्ष के वकीलों में से एक मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया ने दावा किया कि बुरकापाल मामला बस्तर क्षेत्र में आदिवासियों के साथ हुए गंभीर अन्याय का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इन आदिवासियों को आखिरकार न्याय मिल गया है लेकिन उन्हें एक अपराध के लिए इतने साल जेल में क्यों बिताने पड़े?* बेला भाटिया ने पूछा, उन्हें मुआवजा कौन देगा? उनके परिवार बर्बाद हो गए हैं और अधिकांश गिरफ्तार आदिवासियों के परिजन जगदलपुर और दंतेवाड़ा की जेलों में भी उनसे मिलने नहीं गए क्योंकि उनके पास पैसे नहीं थे।

     

    *नक्सली हमले में बरी हुए 121 आदिवासियों में से आठ अब भी जेल में है, कार्यकर्ता बोले - यह घोर अन्याय*

    2017 में बस्तर क्षेत्र के सुकमा जिले के बुर्कापाल गांव के पास नक्सली हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 25 जवान शहीद हो गए थे। शुक्रवार को अदालत के आदेश के बाद 121 आरोपियों को मामले से बरी कर दिया गया। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले की एक अदालत ने साल 2017 के बुरकापाल नक्सली हमले के मामले में हाल ही में 121 आदिवासियों को बरी किया। इनमें से आठ अभी भी जेल में हैं, क्योंकि वे अन्य मामलों में भी आरोपी हैं।

     

    2017 बुर्कापाल नक्सली हमले में शहीद हुए 25 सीआरपीएफ जवानों की मौत के लिए जिम्मेदारी तय करते हुए पुलिस एवं सीआरपीएफ ने जिन 121 बस्तर के आदिवासी ग्रामीणों को नक्सलियों की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया था उन्हें एनआईए की अदालत ने बरी कर दिया |

     

    बस्तर पुलिस एवं उनके अधिकारियों द्वारा आदिवासी ग्रामीणों को आरोपी बनाकर जेल में तो डाल दिया गया परंतु 5 साल तक भी यह प्रमाणित नहीं कर पाए कि उस नक्सली घटना में यह सभी शामिल थे और अंततः आरोप प्रमाणित ना होने के आधार पर दंतेवाड़ा कि एनआईए अदालत ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया |

    अपने परिजनों को जेल से छुड़ाने के लिए जेल में बंद इन आदिवासी ग्रामीणों के परिजनों ने जमीन - जायदाद, बैल बेचकर न्यायालय की प्रक्रिया के लिए खर्च किए , आवक विहीन ग्रामीण इन खर्चों के कारण सड़क पर आ गए, कईयों के रिश्तेदार परिजन इस दौरान मृत्यु को प्राप्त हो गए |

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    अब सवाल यह उठता है कि जिन आदिवासियों के 5 साल जेल में कटे हैं उसका हर्जाना कौन देगा ? इस दौरान इनके परिवारों को हुई पीड़ा, परेशानियों और तकलीफों के लिए जिम्मेदार कौन होगा ?

    *सरकार को चाहिए कि तत्कालीन संबंधित सभी अधिकारियों को इस कृत्य के लिए सजा दे, उन पर जुर्म दर्ज कर कार्यवाही करें*

    इस मामले की सीबीआई जांच होना चाहिए क्योंकि निरपराध भोले भाले, मासूम ग्रामीण आदिवासियों को इस झूठे मामले के कारण 5 साल जेल की सजा भुगतनी पड़ी, साथ ही उनके परिजन दाने-दाने को मोहताज हो गए,अपनी जमीन जायदाद और बैल बेचने को मजबूर हुए और इस बिना वजह के झूठे अपराध में गिरफ्तार किए जाने से उनके भरण-पोषण, पालन पोषण करने वालों को पुलिस ने जबरन जेल भेज दिया, जिससे इन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा|

    यहां यह सवाल उठता है कि जब पुलिस अधिकारियों के पास इस बात का कोई प्रमाण नहीं था कि इन ग्रामीण आदिवासियों ने नक्सलियों का साथ दिया है या उस घटना में शामिल थे तो फिर इन्होंने झूठे प्रकरण किसके कहने पर बनाएं ? इसके पीछे की भी जांच होना अति आवश्यक है |

    केन्द्र सरकार को भी नियमों में बदलाव कर यह तय करना चाहिए कि दुर्भावनावश या बिना प्रमाण किसी को भी जेलों में डालने पर संबंधित अधिकारियों पर ऐसे कृत्य के लिए कड़ी सजा मिले | साथ ही बिना वजह, अपराध किए बिना या अपराध में शामिल ना होने पर भी जेल में बंद दिनों की तकलीफों और मानसिक शारीरिक प्रताड़ना सहने एवं इस दौरान हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई संबंधित अधिकारियों से वसूलने की व्यवस्था कानून में की जाय|

    होना यह चाहिए

    किसी भी अपराध की जांच के दौरान शक होने पर संबंधित पुरुष, महिला या नाबालिग बच्चे बच्चियों से पुलिस द्वारा पूछताछ की जाय और अपराध में लिप्त होने के पक्के प्रमाण मिलने पर ही जेल भेजा जाना चाहिए अन्यथा पूछताछ के बाद छोड़ देना चाहिए!

  • ट्रेनों में वरिष्ठ नागरिकों को छूट देने को लेकर रेल मंत्री का जवाब*
    रेलवे ने 11 श्रेणियों में जारी रखी रियायत, वरिष्ठ नागरिकों को छूट देने को लेकर रेल मंत्री का जवाब* नई दिल्ली. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि विभिन्न चुनौतियों के मद्देनजर वरिष्ठ नागरिकों सहित सभी श्रेणियों के रेल यात्रियों को रियायतें देने का विचार नहीं है. हालांकि रेलवे ने दिव्यांग की चार श्रेणियों, रोगियों और विद्यार्थियों की 11 श्रेणियों के लिए किराये में रियायत जारी रखी है. एक सवाल के लिखित जवाब में रेल मंत्री ने कहा कि भारतीय रेल वरिष्ठ नागरिकों सहित सभी यात्रियों की औसतन यात्रा की लागत का 50 प्रतिशत से अधिक भार पहले से ही वहन कर रही है. इसके अलावा, कोरोना के कारण बीते दो वर्ष की यात्री आमदनी 2019-2020 की तुलना में कम है. इसलिए वरिष्ठ नागरिकों सहित सभी श्रेणियों के यात्रियों को रियायतें देने का दायरा बढ़ाना वांछनीय नहीं है. यात्री ट्रेन निजी संचालकों को देने का प्रस्ताव नहीं रेल मंत्री ने शुक्रवार को राज्यसभा को बताया कि यात्री ट्रेनों का संचालन निजी संचालकों को सौंपने संबंधी कोई प्रस्ताव नहीं है. राष्ट्रीय परिवहन की अपने नेटवर्क में चरणबद्ध तरीके से निजी ट्रेनों की शुरुआत करने की योजना है. कुछ ट्रेनों का संचालन 2023-24 में शुरू होगा और 2027 तक सभी 151 ऐसी ट्रेनों का परिचालन होने लगेगा. रेल मंत्री ने कहा कि रेल परिचालन में समयबद्धता और सुरक्षा महत्वपूर्ण है इसलिए रेलगाड़ियों के 2500 से अधिक ठहराव समाप्त कर दिए गए हैं. रेल मंत्री ने एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि 7 अगस्त 2020 को किसान रेल सेवाओं के शुरू होने के बाद 30 जून 2022 तक रेलवे ने करीब 2359 ऐसी ट्रेन का संचालन किया. उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान शीघ्र खराब होने वाली करीब 7.9 लाख टन वस्तुओं की ढुलाई रेलवे की ओर से की गई. अग्निपथ आंदोलन से रेलवे को 259 करोड़ का नुकसान सेना में अग्निपथ योजना लागू करने के विरोध में आंदोलन के चलते 2100 से अधिक ट्रेन रद की गईं. इस कारण रेलवे को टिकट रिफंड मद में103 करोड़ रुपये की हानि हुई. एक हफ्ते तक चले विरोध प्रदर्शन में बड़े पैमाने पर प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन और इंजनों में आग लगा दी थी. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि अग्निपथ योजना के विरोध की वजह से 15 जून से 23 जून के बीच 2132 ट्रेन रद्द की गईं. 14 जून से 30 जून 2022 के बीच ट्रेन रद्द होने के कारण 102.96 करोड़ का रिफंड दिया गया. विरोध प्रदर्शन के चलते रेलवे को 259.44 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ. अग्निपथ योजना के विरोध के कारण रद्द की गई सभी प्रभावित ट्रेन सेवाओं को बहाल कर दिया गया है. *केंद्र के पास 1500 करोड़ नहीं : राहुल गांधी* कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रेल किराये में वरिष्ठ नागरिकों को छूट नहीं दिए जाने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने केंद्र सरकार और रेलवे पर निशाना साधते हुए शुक्रवार को कहा कि सरकार के पास 8400 करोड़ रुपये का हवाई जहाज खरीदने के लिए पैसे हैं, लेकिन रेल किराये में बुजुर्गों को रियायत देने के लिए 1500 करोड़ रुपये नहीं हैं |
  • एंबुलेंस व्यवस्था की आम आदमी पार्टी ने खोली पोल
    *कोरोना काल में एम्बुलेंस हो गई 19गुना ज्यादा, फिर भी न आती है और ना ही इनमें उपकरणों की सुविधा है - कोमल हुपेंडी, प्रदेश अध्यक्ष, आप* *कब तक छत्तीसगढ़ की भोली भाली जनता स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर लुटती रहेगी - आप* आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने बताया कि प्रदेश में कोरोनाकाल में 19 गुना बढ़ीं प्राइवेट एंबुलेंस, 13 सौ रजिस्टर्ड है पर न सरकारी एंबुलेंस आती नहीं और न ही प्राइवेट में उपकरण और न स्टाफ, जान का जोखिम लगातार बना है।कोरोनाकाल के दो साल में प्रदेश में प्राइवेट एंबुलेंस की संख्या 19 गुना बढ़ गई है। प्रदेश में 2019 में सिर्फ 127 प्राइवेट एंबुलेंस परिवहन विभाग से रजिस्टर्ड थे। ढाई साल में ही 13 सौ से ज्यादा प्राइवेट एंबुलेंस रजिस्टर्ड हो चुकी हैं। आम आदमी पार्टी की टीम ने प्राइवेट एंबुलेंस के पड़ताल की तो खुलासा हुआ कि ज्यादातर एंबुलेंस मानकों के अनुसार नहीं हैं। एक बेसिक लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस में 23 से ज्यादा उपकरण और इन्हें चलाने के लिए विशेषज्ञ तकनीकी स्टाफ होना चाहिए। अमूमन हालत ये है कि ये एंबुलेंस गंभीर मरीजों को टूटे फूटे स्ट्रेचर से अस्पताल तक लेकर आ रही है। प्राइवेट एंबुलेंस संचालक छोटी गाड़ियों को इसके लिए रजिस्टर्ड करवा रहे हैं, फिर दिखावे के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर रखते हैं। दुर्घटना, हार्ट-अटैक, यहां तक कि कोरोना के दौरान सांस की दिक्कत वाले गंभीर मरीजों से जुड़े डेथ के अधिकांश मामलों में ये बड़ी वजह बनकर उभरा है। सुविधा का ऑडिट नहीं, रेट तो ऐसा की मजबूरी में मरता क्या न देता वाला हाल है। रेट भी मर्जी का लिया जा रहा है। प्रदेश में थोक में इस तरह की एंबुलेंस मरीजों के साथ धोखाधड़ी क्यों कर रही है? विस्तृत जांच पड़ताल की तो सामने आया कि प्राइवेट एंबुलेंस की रुटीन ऑडिट, फिटनेस चैकअप के लिए कोई नियामक नहीं है। स्वास्थ्य विभाग में 108. और महतारी जतन की 102 एंबुलेंस के नोडल अफसरों ने बताया कि वे केवल सरकारी एंबुलेंस की ऑडिट करते हैं। निजी एंबुलेंस का ऑडिट नहीं होने से ये बिना मानक गंभीर मरीजों को बेरोकटोक लेकर आ जा रही हैं। इतना ही नहीं, रेट भी फिक्स नहीं है। निजी एंबुलेंस मरीज को लाने-ले जाने का 12 रुपए से 25 रुपए किमी चार्ज कर रही है या मर्जी से एकमुश्त जितना मोटा आसामी हो उस हिसाब से पैसे लिए जाते है। एक ताजा केस में अभनपुर से नहीं आ पाई जीवित एक महिला पेशेंट जो 32 साल की थी और उनकी अभनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मे डिलीवरी हुई। प्रसव के दौरान बहुत अधिक ब्लीडिंग हुई। महिला को एक निजी एंबुलेंस से अंबेडकर अस्पताल लाया गया, रास्ते में उसकी मौत हो गई। वजह थी ब्लीडिंग जैसे स्थिति से निपटने एंबुलेंस में पर्याप्त व्यवस्था नहीं होना। इतना ही नहीं अधिकतर प्राइवेट एंबुलेंस में लाइफ सपोर्ट सिस्टम नहीं है। ऑक्सीजन नहीं थी इसलिए मौत होना भी साधारण बात हो गई है। इस साल फरवरी में रायपुर के होम आइसोलेशन के एक करोना मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने के बाद परिजनों ने निजी एंबुलेंस से एम्स रायपुर में शिफ्ट करवाया। वहां उसे ले जाते वक्त एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर तो था लेकिन इसे लगाने पर्याप्त उपकरण नहीं थे। मरीज ने आधे रास्ते में ही दम तोड़ दिया। आम तौर पर एंबुलेंस में ये गड़बड़ियां जैसे साधारण है। ऑक्सीजन सिलेंडर के अटैचमेंट नहीं होना और यदि है तो टूटे फूटे होना , कुछ खराब होना,या स्ट्रेचर हैं • डायबिटीज, बीपी के जांच उपकरण नहीं , गर्भवती महिलाओं के •लिए सीट ही नहीं है। बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस में पोर्टेबल ग्लूकोमीटर, ग्लूकोमीटर स्ट्रिप, इलेक्ट्रिक नेबोलाइजर, सक्शन डिवाइस (मैनुवल-इलेक्ट्रिक), लैरिगोस्कोप विथ ब्लेड, बीपी इंस्ट्रूमेंट, स्टेथोस्कोप, मैनुअल बीथिंग यूनिट (एडल्ट चाइल्ड), हेड इमोबिलाइजर, एयर स्पीलिंट्स, सरवाइकल कॉलर, क्लोस्पिबल स्ट्रैचर, स्कूप स्ट्रैचर, स्पिन बोर्ड, कैनवास स्ट्रैचर (फोल्डिंग), गॉज कटर, आर्टरी फोरसेप, मैगलिस फोरसेप, ऑक्सीजन सिलेंडर आदि रहना ही चाहिए। आम आदमी पार्टी की टीम ने पाया है कि प्रदेश में एंबुलेंस के ये हालात और बदहाल व्यवस्था पूरे प्रदेश में ऐसे ही है। राजधानी के सबसे बड़े सरकारी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल की प्राइवेट एंबुलेंस हैं। एक निजी एंबुलेंस में फोटो कॉपी की दुकान चल रही थी। संचालक ने बताया कि अस्पताल के मरीजों के दस्तावेज यहां फोटो कॉपी किए जाते हैं। अगर मरीज मिल गया तो दुकान बंद कर एंबुलेंस से उसे ले जाते हैं। फोटोकॉपी मशीन के बाद इस एंबुलेंस में मरीज के लायक जगह कम थी। हमने पाया की निजी एंबुलेंस के लिए नियामक संस्था की जरूरत है। रेट तय होने चाहिए। सरकारी और प्राइवेट के कलर कोड भी अलग रहना चाहिए। रजिस्ट्रेशन से पहले मानकों के आधार पर जांच हो। नर्सिंग होम एक्ट की तरह प्राइवेट एंबुलेंस के लिए भी नियम कायदे होने चाहिए। डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के सामने एंबुलेस के कर्मचारी ने स्वीकार किया कि मरीज के सिर पर चोट थी। स्ट्रेचर का साइज ऐसा था कि उसका सिर वाला हिस्सा गाड़ी के फ्लोर को छू रहा था, पैर वाला हिस्सा काफी ऊंचा था। सिर पर चोट वाले मरीज को लाते समय कितने झटके लगे होंगे, यह समझा जा सकता था। यही नहीं, आक्सीजन सिलेंडर थे पर अटैचमेंट नहीं दिखा। गंभीर मरीजों के लिए एंबुलेंस में क्रिटिकल केयर सुविधाएं होनी चाहिए। ऐसा हो तो मरीज के अस्पताल में ठीक होने के चांस बढ़ते हैं। राजधानी में हालत ऐसे है तो प्रदेश के गांव देहात में तो अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल नहीं है। आप आवाज उठाए तो सरकार कल बड़े बड़े पोस्टर्स के मार्फत सुविधाओं का अंबार लगा देगी और जन मानस को लगेगा पहले की बात झूठ थी, फिर वस्तुतः हालत जस के तस और बदहाल पाएंगे। प्रदेश बन कर 22वर्ष हो गए क्या भाजपा और क्या कांग्रेस दोनो ने मूल भूत स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर जनता को छला है और प्राइवेट हाथों में पूरी तरह लूटकर बर्बाद होने छोड़ दिया है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार ने कितनी मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था यथार्थ में आम लोगो के आसपास निर्मित की है जो जाग जाहिर है और तारीफे काबिल है, फिर छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं हो सकता , ये सिर्फ सरकारों की नियत नही होने का नतीजा है चाहे भाजपा हो या कांग्रेस । आम आदमी पार्टी अब ऐसा होने नही देगी और लोगों के साथ मिलकर इन सारी समस्याओं के लिए समाधान निकलेगी और नही तो आने वाले दिनों में दिल्ली बदलीस, पंजाब बदलिस अब बदलबों छत्तीसगढ़2023।
  • शिक्षक भर्ती घोटाला मामले को लेकर छापेमारी और पूछताछ के बाद पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया गया है.

    ईडी ने ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के मंत्री पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) को गिरफ्तार कर लिया है. शिक्षक भर्ती घोटाला (SSC Scam) मामले को लेकर छापेमारी और पूछताछ के बाद चटर्जी को गिरफ्तार किया गया है. उनके करीबियों से ईडी ने करोड़ों रुपये कैश और सोना बरामद किया है. शुक्रवार 22 जुलाई को ईडी ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के मंत्रियों पर छापेमारी शुरू की थी. जिसके बाद ये छापेमारी अब तक जारी है. पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता के घर से ईडी ने 20 करोड़ रुपये से ज्यादा बरामद किए थे. ईडी ने अर्पिता को भी हिरासत में लिया है. 

    बताया जा रहा है कि पिछले कई घंटों से ममता बनर्जी के मंत्री पार्थ चटर्जी से पूछताछ चल रही थी, इस दौरान ईडी ने उनसे कई सवाल पूछे, जिनका जवाब मंत्री नहीं दे पाए. जिसके बाद अब उनकी गिरफ्तारी हो चुकी है. इस मामले में कुछ और लोगों की भी गिरफ्तारी हो सकती है. 

    क्या है शिक्षक भर्ती घोटाला?
    पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्रियों के खिलाफ हो रही ये पूरी कार्रवाई शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़ी है. ये भर्ती प्रक्रिया साल 2016 में शुरू हुई थी. जिसमें आरोप लगाया गया कि फर्जी तरीके से भर्ती कराने के लिए ओएमआर शीट में हेरफेर किया गया. इसमें लाखों रुपये घूस लेकर फेल उम्मीदवारों को पास कराया गया. आरोप है कि इस मामले में सीधे शिक्षा मंत्री शामिल थे. बताया जा रहा है कि इसमें कई लोग शामिल थे, जिनकी गिरफ्तारी जल्द हो सकती है. 

    बता दें कि ईडी ममता के एक और मंत्री परेश अधिकारी के घर पर छापेमारी कर रही है. साथ ही उनके करीबियों से भी पूछताछ की जा रही है. इनके अलावा भर्ती घोटाले से जुड़े अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई जारी है. पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद अब ईडी पूछताछ के लिए उनकी रिमांड मांग सकती है. 

  • गुरुद्वारे के पूर्व ग्रंथी के काटे बाल,विशेष समुदाय के लोगों पर आरोप, गुस्से में सिख समाज
    उदयपुर मर्डर के बाद अलवर में माहौल बिगाड़ने की कोशिश के तहत एक सिख के साथ बेअदबी का मामला सामने आया है. गुरुद्वारे के पूर्व ग्रंथी के काटे बाल,विशेष समुदाय के लोगों पर आरोप, गुस्से में सिख समाज पीड़ित के मुताबिक जब उसने खुद को पुजारी बताया तो उसे छोड़ दिया गया. पुलिस मामले की सत्यता की जांच कर रही है. रामगढ़ : राजस्थान के अलवर जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र में एक सिख समाज से जुड़े ग्रन्थि के केश काटे जाने का मामला सामने आया है. पीड़ित ने ये आरोप विशेष समुदाय के लोगों पर लगाये है , घटना की जानकारी मिलते ही क्षेत्र में आक्रोश फैल गया और भारी संख्या में सिख समाज के लोग थाने में जमा हो गए. वही मामले की गम्भीरता को देखते हुए एसपी तेजस्वीनी गौतम और जिला कलेक्टर भी रामगढ़ पहुंचे और पूरी जानकारी लेते हुए आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर लेने का आश्वासन दिया. राजस्थान के अलवर में एक गुरुद्वारे के पूर्व ग्रंथि पर हमला किया गया है। मामला रामगढ़ के मिलकपुर गांव स्थित गुरुद्वारे से जुड़ा है, जहां पूर्व ग्रंथि गुरुबख्श सिंह को समाज विशेष के अज्ञात बदमाशों ने मारपीट की। यही नहीं आरोपियों ने उनके केश (बाल) भी काट दिए। उसके बाद उनकी आंखों में मिर्ची डालकर पट्टी बांधकर छोड़ गए। घटना की जानकारी मिलने के बाद ग्रामीणों ने तुरंत ही पूर्व ग्रंथी को अस्पताल में भर्ती कराया। रामगढ़ थाने में देर रात मुकदमा दर्ज कराया गया है। गुरुद्वारे के पूर्व ग्रंथि पीड़ित गुरबख्श सिंह ने बताया कि वह दवाई लेने के लिए अलावड़ा गए थे। रास्ते में कुछ लोगों ने हाथ देकर रोका। उन्होंने कहा कि मिलकपुर का कोई आदमी पड़ा हुआ है इसे ले जाओ मैंने बाइक रोकी तो उन्होंने खींचते हुए एक साइड में ले गए और फिर मारपीट की। इस सनसनीखेज वारदात की सूचना के बाद एसपी अलवर तेजस्विनी गौतम रामगढ़ पहुंची। घटना स्थल का जायजा लिया और पुलिस टीम के साथ अस्पताल पहुंची और घायल पूर्व ग्रंथि से मुलाकात की। उन्होंने आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने के निर्देश भी दिए हैं। मिलकपुर गांव निवासी पूर्व ग्रंथि गुरबख्श सिंह का रामगढ़ के अस्पताल में इलाज चल रहा है।
  • मुख्यमंत्री सरेआम मां के दूध को चुनौती दे रहे हैं। मां का दूध अकेले राहुल गांधी या भूपेश बघेल ने नहीं पिया है।- विष्णुदेव

    छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा ईडी द्वारा सोनिया गांधी से पूछताछ के विरोध में आयोजित प्रदर्शन में दिए गए भाषण पर पलटवार करते हुए कहा है कि वे मुख्यमंत्री पद की गरिमा गिराने की प्रवृत्ति छोड़ें और प्रदेश के हित में वहां वहां कैमरे लगवाने की हिम्मत दिखाएं, जहां इनकी वाकई जरूरत है। मुख्यमंत्री जिस भाषा का उपयोग करते हुए जांच एजेंसी को धमका रहे हैं, वह कांग्रेस की संस्कृति हो सकती है लेकिन छत्तीसगढ़ की संस्कृति इसकी इजाजत नहीं देती। मुख्यमंत्री सरेआम मां के दूध को चुनौती दे रहे हैं। मां का दूध अकेले राहुल गांधी या भूपेश बघेल ने नहीं पिया है। देश की सभी संतानों ने भी पिया है। ईडी के उन अफसरों ने भी पिया है जो कांग्रेस की राजमाता से 2 हजार करोड़ के नेशनल हेराल्ड घोटाले की पूछताछ कर रहे हैं। इससे राहुल गांधी के साथ साथ भूपेश बघेल को नानी क्यों याद आ रही है? इस महाघोटाले में भूपेश बघेल को कुछ नहीं मिलने वाला है। हां, वे अपनी कुर्सी बचाने के लिए खानदान की नजर में खुद को चापलूस शिरोमणि साबित करने की कोशिश अवश्य कर रहे हैं।

    प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि कोयले, रेत, गिट्टी की दलाली करने वाले उन ठिकानों पर कैमरे लगवा लें, जहां इनकी जरूरत है। सभी थानों में कैमरे लगवा लें, जहां राजनीतिक प्रताड़ना परवान चढ़ा रहे हैं और मदिरा दुकानों में अंदर कैमरा लगवा लें जहां एक नंबर से तीन गुनी दो नंबर की शराब बेच रहे हैं और दो दो कैशबॉक्स रखते हैं। छत्तीसगढ़ की जनता देख रही है कि कांग्रेस की सरकार किस प्रकार गोरखधंधा कर रही है।

    प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी से किस मामले में, किसके आदेश पर ईडी जांच कर रही है, यह भी अपने भाषण में उन कार्यकर्ताओं को भूपेश बघेल बता दें, जो उनकी अभद्रतापूर्ण बातों पर ताली पीटते हैं। भूपेश बघेल ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि वे जानते हैं कि यदि कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मरा हुआ स्वाभिमान पुनर्जीवित हो गया तो वे ताली पीटने की जगह कुछ और ही करेंगे। यदि कांग्रेस नेता पाक साफ हैं तो उनसे पूछताछ पर भूपेश बघेल को आखिर क्या दिक्कत है, वे क्यों डर रहे हैं कि उनके मालिक बेनकाब हो जाएंगे।

  • रविंद्र चौबे संभालेंगे बाबा का पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग
    *रायपुर बिग ब्रेकिंग* गरीबों का आवाज बनाने की जिम्मेदारी मंत्री रविंद्र चौबे पर *मंत्री रविंद्र चौबे को मिला पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग* मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सदन में दी जानकारी *राज्यपाल की अनुमति के पश्चात सौंपा जिम्मा* मंत्री रविंद्र चौबे अपने विभागों के अलावा अब ग्रामीण एवं पंचायत विभाग की भी संभालेंगे जिम्मेदारी बीते दिनों मंत्री टी एस सिंहदेव ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से दिया था इस्तीफा