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  • बिलासपुर : सिम्स के सीनियर डॉक्टर को मिली धमकी...डॉक्टर भी नही रहे सुरक्षित
    मन्नू मानिकपुरी संवाददाता / बिलासपुर- सिम्स के डॉक्टर भी अब सुरक्षित नही रह गए है अभी ताजा मामला रहा कि किसी अंजान व्यक्ति द्वारा सिम्स के सीनियर डॉक्टर भानु प्रताप सिंह को फोन पर ट्रांसफर व एआईआर दर्ज करवाने की धमकी दी जा रही है । डॉक्टर ने इसकी शिकायत सिविल लाइन थाने में दर्ज करवा दी है कि किसी अज्ञात व्यक्ति मोबाइल न 8770836763 से फ़ोन आया और उन्हें धमकाने लगा और कहने लगा कि उनके द्वारा स्टाफ को परेशान किया जा रहा । भानु प्रताप सिंह सिम्स में पैथोलॉजी विभाग के एच ओ डी है ऐसा प्रतीत हो रहा कि सिम्स के ही किसी स्टाफ ने किसी अज्ञात व्यक्ति से डॉक्टर को फ़ोन करवाया है। फिलहाल मामले को सिविल लाइन थाने में दर्ज कर विवेचना में लिया गया देखने वाली बात होगी कि आखिरकार किसने और क्यों डॉक्टर को फ़ोन पर धमकी दी।
  • आदिवासियों की प्राचीन संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य कर रही है राज्य सरकारः पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम
     प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और कोण्डागांव विधायक मोहन मरकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार आदिवासियों की प्राचीन संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में काम कर रही हैं। बस्तर की आदिम संस्कृति की पहचान देवगुड़ियो में ही है। प्रदेश की भूपेश सरकार बस्तर के आदिवासी संस्कृति की धार्मिक पहचान को सहेजने के लिए ग्राम पंचायतों में देवगुड़ी का निर्माण करा रही है। जिनमें से दर्जनों देवगुड़ी स्थल सज सँवरकर आदिवासी अंचलों की संस्कृति से रूबरू करा रहे हैं। पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने आज कोण्डागांव के ग्राम भाटागांव, पुसापाल, सोड़सिवनी, तितना, लुभा, ग्राम संडसा, खुड़ी, बागबेडा और ग्राम भतवा में सरकार द्वारा बनवाए जा रहे इन देवगुड़ियों में पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि के लिए पूजा-अर्चना कर देवगुड़ियों में शेड निर्माण के लिए भूमि पूजन किया। 
    उल्लेखनीय है कि दूरस्थ वनांचलों में बसे गावों में आदिवासी संस्कृति के संवर्धन के लिए राज्य सरकार देवगुड़ी के कायाकल्प में जुटा है ताकि बस्तर भ्रमण में आने वाले सैलानी बस्तर की संस्कृति को जान-समझ सके। इन देवगुड़ियों मे आदिवासी संस्कृति को चित्रकला से भी उकेरा गया है।
    पत्थरो में देवी देवताओं के चित्रों को बनाया गया है। देवगुड़ी में हिंगराज देवता विराजते हैं। इन देवगुड़ियों में आदिवासियों की आस्था है। देवगुड़ी में फल, फूल के पौधे चारों ओर लगाया जाता है। ग्रामीणों के लिए बैठने से लेकर तमाम सुविधाएं यहां मुहैया कराई जा रही है। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में बनने वाली देवगुड़ियां आदिवासी संस्कृति की मूल पहचान है। आने वाले समय मे सैलानियों के लिए यही देवगुड़ियां आकषर्ण का मूल केंद्र भी रहेगी।
  • दुर्ग : राज्य की सभी प्रमुख सिंगल लेन सड़कों को डबल लेन करने किया जाएगा कार्य -मंत्री  ताम्रध्वज साहू

    दल्ली राजहरा रेलवे क्रॉसिंग पर आज ठगड़ा बांध रेलवे ओवरब्रिज का लोकार्पण पीडब्ल्यूडी मंत्री  ताम्रध्वज साहू ने किया। इस मौके पर श्री साहू ने कहा कि रेलवे ओवरब्रिज के बनने से लोगों को अब लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। श्री साहू ने इस मौके पर कहा कि मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल के नेतृत्व में जिले में बड़े पैमाने पर  विकास के कार्य किए जा रहे हैं। अभी दुर्ग शहर के भीतर ही इतने बड़े पैमाने पर विकास के कार्य हो रहे हैं कि कोई साल बाद यदि दुर्ग आए तो उसे अपने पुराने शहर को पहचानना मुश्किल हो जाएगा। मंत्री ने कहा कि दुर्ग में प्रमुख सड़कों का चौड़ीकरण एवं सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। गुरुद्वारा चौकवाय शेप ब्रिजमालवीय चौक मिनीमाता चौक आदि का चौड़ीकरण एवं सौंदर्यीकरण कार्य हो रहा है। इसके साथ ही आंतरिक सड़कों को भी विकसित करने के लिए राशि उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी अंडर ब्रिज या पुल की जरूरत है वहां इसे उपलब्ध कराया जा रहा है। रसमड़ा में अंडर ब्रिज स्वीकृत किया गया है।  नगपुरा के लिए डायरेक्ट अप्रोच तैयार किया जा रहा है। श्री साहू ने इस मौके पर कहा कि दुर्ग शहर के विकास के लिए किसी तरह की कमी नहीं होने दी जाएगी। इस मौके पर विधायक श्री अरुण वोरा ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल एवं पीडब्ल्यूडी मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने दुर्ग जिले की और दुर्ग शहर की जरूरतों को समझा और उसके मुताबिक निर्णय लिए जिसके फलस्वरूप आज रेलवे ओवरब्रिज का लोकार्पण हो सका है। श्री वोरा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपनी सहृदयता से लगातार जिले में और शहर में निर्माण कार्यों को स्वीकृति दी है उन्होंने कहा कि 118 करोड रुपए की लागत से दुर्ग शहर में चौड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है। इससे नेहरू नगर मिनीमाता चौक अंजोरा चौक तक 118 करोड रुपए की राशि से सड़क चौड़ीकरण एवं सौंदर्यीकरण का कार्य हो पाएगा। इसके अलावा सिकोलाकातुलबोड  में अंडरब्रिज का नि भूपेश बघेल का मार्गदर्शन मिल रहा है।  उल्लेखनीय है कि रेलवे अंडर ब्रिज का निर्माण 17 महीनों में पूर्ण हुआ है इसमें एक 41 करोड रुपए की लागत आई है यह लगभग किलोमीटर लंबा है और इसकी चौड़ाई 13 मीटर है इसमें 36 स्लैब हैं। लोकार्पण के अवसर पर महापौर  धीरज बाकलीवालपूर्व विधायक श्रीमती प्रतिमा चन्द्राकर एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

  • विश्व जल दिवस पर जल संरक्षण एवं जल संवर्धन की शपथ

    विश्व जल दिवस के अवसर पर जल ही जीवन है, जल की उपयोग, संरक्षण और की शपथ ली गई। जशपुर जिले में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना के तहत कार्यरत स्वच्छग्रहियोे, ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा जल संरक्षण एवं जल स्रोतों की बचाव के लिए सामुहिक श्रमदान करके स्वच्छ जल बेहतर कल का संदेश दिया गया। जिले के कुनकुरी, फरसाबहार, जशपुर पत्थलगांव सहित अन्य विकासखंडो के ग्राम पंचायतों में सामूहिक श्रम दान किया गया। जिसके अंतर्गत विकासखंड फरसाबहार के ग्राम पंचायत बोखी, पत्थलगांव के ग्राम पंचायत खरीढोढ़ी सहित अन्य स्थानों पर स्वच्छाग्रही एवं ग्रामीणों द्वारा तालाब, नाला, हेण्डपंप, कुंआ सहित अन्य जल स्त्रोतों के पास श्रम दान कर एवं हाथ धुलाई, रैली, स्वच्छता संवाद कार्यक्रम आयोजित कर सभी स्वच्छाग्रहियों एवं ग्रामीणों के हाथ धुलाकर जल स्त्रोतों के संरक्षण, एवं स्वच्छता का संदेश दिया गया। साथ ही विभिन्न ग्राम पंचायतों में जल संरक्षण एवं पेयजल के सुरक्षित उपयोग हेतु विश्व जल दिवस के अवसर पर जल संरक्षण एवं जल संवर्धन की शपथ ली गई।

          इस दौरान स्वच्छाग्रहियों द्वारा पेय जल का सुरक्षित रख-रखाव एवं डंडी वाले लोटे के इस्तेमाल हेतु प्रेरित किया गया वही दूसरी और जल स्रोतों के आसपास बर्तन ना साफ करने के लिए लोगों को समझाईश दी गई एवं अपील की गई कि हैंडपंपों के पास बर्तन साफ ना करें, साथ ही जल स्रोतों से बहने वाले बेकार पानी को सड़कों पर बहाने की बजाय इनका उपयोग छोटी-छोटी पोषण बाड़ी में उपयोग किया जा सकता है। जिससे पोषण बाड़ी में जल की उपलब्धता होगी एवं गंदगी से निजात मिल पाएगी। इसके साथ ही ग्रामीणों को जल जनित बिमारियों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई।

  • CG हाईकोर्ट के जस्टिस शरद कुमार गुप्ता ने दिया इस्तीफा, राष्ट्रपति कोविंद को भेजा पत्र, राज्य सरकार में मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
    बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस शरद कुमार गुप्ता ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपना इस्तीफा पत्र भेज दिया है। भेजे गए इस्तीफा पत्र में उन्होंने राज्य सरकार की ओर से नए जिम्मेदारी मिलने की बात कही है। वहीं दूसरी ओर उनके इस्तीफे के बाद सियासी गलियारों में तरह तरह की चर्चा सामने आ रही है। कयास लगाया जा रहा है कि राज्य सरकार की ओर उन्हें कोई बड़ा पद दिया जा सकता है। चर्चा यह भी है कि राज्य सरकार उन्हें किसी बड़े पद या आयोग की जिम्मेदारी दे सकती है।बताया जा रहा है कि उनका कार्यकाल अभी एक महीना बाकी है। अप्रैल माह के अंतिम में उनकी रिटार्यमेंट थी। लेकिन उन्होंने एक महीने पहले ही अपना इस्तीफा पत्र राष्ट्रपति रामनाम कोविंद को भेज दिया है। इस्तीफा मंजूर होते ही जस्टिस गुप्ता नई भूमिका में नजर आएंगे। राज्य सरकार के आयोगों में जस्टिस स्तर के कई पद खाली है। मानवाधिकार आयोग, इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल, रेरा अपीलीय ट्रिब्यूनल, पुलिस बोर्ड, जीएसटी ट्रिब्यूनल जैसे पदों पर उन्हें जिम्मेदारी दी जा सकती है।
  • श्रद्धा आत्मनिर्भर होकर, दूसरों को भी दे रही है स्वरोजगार

    शहर के मांझापारा निवासी श्रीमती श्रद्धा मिश्रा स्नातक की पढ़ाई की है तथा अपने पति के दुकान में सहायता कर पति के साथ दुकान संभाल रही थी, पति के दुकान से आर्थिक स्थिति से संतुष्ट नहीं होने से स्वयं कुछ करने की चाह रखने वाली श्रद्धा परिवार के जिम्मेदारी उठाने के लिए शहर से सटे ग्राम-मनकेशरी में कम्प्यूटर एवं फोटोकाॅपी सेंटर संचालित करने का निश्चय किया। श्रद्धा ने अपने परिवार के लिए स्वयं कुछ करने के सपने देख रखे थे और पढ़ाई के बाद रोजगार से जुड़ने का उसका यह फैसला अटल था।
     स्वावलम्बी बनने की इच्छा रखने वाली श्रद्धा ने अपने स्वयं की दुकान संचालित करने के लिए  बैंक से ऋण के लिए संपर्क करने लगी। जब श्रद्धा पंजाब नेशनल बैंक शाखा-कांकेर में ऋण हेतु जानकारी प्राप्त करने गयी तब वहां उसे शाखा प्रबंधक द्वारा जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र में संचालित प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना की जानकारी प्रदान की गई। श्रद्धा ने देर न करते हुए कार्यालय में आकर योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम का चयन कर नियमानुसार पंजाब नेशनल बैंक शाखा-कांकेर से ऋण लेने के लिए आवेदन प्रस्तुत कर बैंक के माध्यम से 5 लाख रूपये का ऋण प्राप्त कर स्वयं का कम्प्यूटर एवं फोटोकाॅपी सेंटर स्थापित कर संचालित करने गली।  
     श्रद्धा ने कम्प्यूटर एवं फोटोकाॅपी मशीन लगाकर आस-पास के लोगों को सेवा प्रदान कर लगभग 20 हजार रूपये प्रतिमाह कमाती है एवं अपने दुकान में 5 बेरोजगारों को रोजगार प्रदान कर उनके जीवन यापन में भी मददगार साबित हो रही है। श्रद्धा ने रोजगार मिलने के बाद आय के कुछ हिस्से से परिवार की भी आर्थिक मदद करती है, जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुई है। श्रद्धा की स्वावलम्बी बनने की इच्छा ने उसे नया रास्ता दिखाया और आर्थिक रूप से सशक्त होकर जीवन में आगे बढ़ने के लिए आत्मविश्वास भी जगाया।

  • दुर्गूकोंदल विकासखण्ड के 44 ग्राम पंचायतों को 19 लाख  44 हजार रूपये आबंटित

    छत्तीसगढ़ शासन द्वारा दिये गये निर्देशों के परिपालन में जिला पंचायत कांकेर के द्वारा प्रत्येक विकासखण्डों के ग्राम पंचायतों को मूलभूत कार्यों के लिए अनुदान मद अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए राशि आबंटित किया गया है, जिसके तहत् दुर्गूकोंदल विकासखण्ड के 44 ग्राम पंचायतों को 19 लाख 44 हजार 250 रूपये आबंटित किया गया है। 
    जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डाॅ संजय कन्नौजे ने बताया कि विकासखण्ड दुर्गूकोंदल़ के ग्राम पंचायत तराईघोटिया को 42 हजार 358 रूपये, ग्राम पंचायत कलंगपुरी को 36 हजार 940 रूपये, झिटकाटोला को 46 हजार 263 रूपये, भिरावाही को 30 हजार 700 रूपये, पर्रेकोड़ो को 33 हजार 568 रूपये, हाटाकोंदल को 57 हजार 363 रूपये, सिवनी को 37 हजार 47 रूपये, दमकसा को 37 हजार 764 रूपये, तरहुल को 47 हजार 935 रूपये, पेवारी को 55 हजार 716 रूपये, आमकड़ा को 28 हजार 469 रूपये, बरहेली को 62 हजार 700 रूपये, लोहत्तर को 51 हजार 362 रूपये, जाडे़कुर्से को 52 हजार 210 रूपये, परभेली को 27 हजार 327 रूपये, चिंहरो को 39 हजार 888 रूपये, राऊरवाही को 50 हजार 697 रूपये, भण्डारडिगी को 51 हजार 69 रूपये,  हांनपतरी को 44 हजार 748 रूपये, गुदुंम को 49 हजार 263 रूपये, कराकी को 63 हजार 72 रूपये, कोंडरूज को 28 हजार 256 रूपये, गोड़पाल को 58 हजार 266 रूपये, ओटेकसा को 24 हजार 830 रूपये, चांउरगांव को 17 हजार 425 रूपये, कोड़ेकुर्से को 77 हजार 970 रूपये, करकापाल को 33 हजार 64 रूपये, संुरूगदोह को 56 हजार 274 रूपये तथा सराधुमिचगांव को 38 हजार 958 रूपये आबंटित किया गया है। 
    इसी प्रकार   दुर्गूकोंदल को 56 हजार 459 रूपये, खुटगांव को 32 हजार 187 रूपये, कर्रामाड़ को 48 हजार 68 रूपये, सिहारी को 48 हजार 865 रूपये, मेड़ो को 44 हजार 536 रूपये, सुखई को 33 हजार 993 रूपये, कोण्डे को 48 हजार 970 रूपये, हामतवाही को 69 हजार 977 रूपये, चिखली को 40 हजार 100 रूपये, मंगहूर को 40 हजार 446 रूपये, पचांगी को 42 हजार 145 रूपये, सराधुघमरे को 35 हजार 347 रूपये, बांगाचार को 51 हजार 42 रूपये, पाउरखेड़ा को 33 हजार 885 और ग्राम पंचायत कोदापाखा को 36 हजार 728 रूपये आबंटित किया गया है। उक्त राशि का उपयोग ग्राम पंचायतों द्वारा मूलभूत नागरिक सुविधाओं के स्तर को सुधारने तथा अन्य बुनियादी नागरिक सेवाओं के लिए उपयोग में लाया जा सकेगा। 

  • 24 मार्च को होने वाला रोजगार मेला स्थगित

    छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार, कोविड-19 के बढ़ते प्रसार को देखते हुए 24 मार्च को लाईवलीहुड काॅलेज गोविन्दपुर कांकेर में आयोजित होने वाली रोजगार मेला स्थगित कर दिया गया है। राज्य शासन द्वारा कौशल विकास तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग के अंतर्गत आने वाले समस्त औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान एवं राज्य कौशल विकास के सभी प्रशिक्षण, शैक्षणिक कार्य को तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश पर्यन्त बंद करने के आदेश जारी किया गया है, जिसके परिपालन में 24 मार्च को आयोजित होने वाले रोजगार मेला को स्थगित किया गया है।

  • आओं लाए हरियाली, गौ-काष्ठ की जलाए होली : इकोफ्रेंण्डली होली मनाकर पर्यावरण संरक्षण में निभा सकते हैं अपनी भूमिका

    नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया ने प्रदेश के सभी नगरीय निकायों के अंतर्गत होने वाले दाह संस्कार में गौ-काष्ठ के उपयोग को प्राथमिकता से करने का निर्देश पहले से ही जारी किया हुआ है। अब उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए होलिका दहन में गौ-काष्ठ और कण्डे के उपयोग करने की अपील की है। कुछ माह पहले ही गौ-काष्ठ को लेकर जारी उनके निर्देशों अमल भी हुआ है। जागरूक एवं पर्यावरण के प्रति सचेत नागरिक, समाजसेवी गौ-काष्ठ और गोबर से कण्डे से दाह संस्कार भी करने लगे हैं। इससे बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई रूकी है। चूंकि होली जैसे पर्व में सर्वाधिक पेड़ों की कटाई होती है। जिससे पर्यावरण असंतुलन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में इकोफ्रेण्डली होली और गौ-काष्ठ का उपयोग बहुत बड़ी संख्या में हरे-भरे पेड़ों की कटाई पर अंकुश लगाने के साथ पर्यावरण के संतुलन को सतत् बनाए रखने में मददगार साबित हो सकती है।
        वैसे प्रदूषण को लेकर अक्सर चर्चाएं होती है। निःसंदेह छत्तीसगढ में वायु प्रदूषण की स्थिति अन्य कई राज्यों की तुलना में बेहतर तो है। औद्योगिक जिला सहित शहरी इलाकों में शुद्ध वायु की कमी है। इसके लिए जरूरी है कि हम अधिक से अधिक पौधे लगाए और पेड़ों को कटने से बचाए। छत्तीसगढ़ राज्य का भौगोलिक क्षेत्रफल 1,35,191 वर्ग किलोमीटर है, जो देश के क्षेत्रफल का 4.1 प्रतिशत है। राज्य का वन क्षेत्र लगभग 59,772 किलोमीटर है, जो राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 44.21 प्रतिशत है। ऑक्सीजन का एकमात्र स्रोत वृक्ष है। इसलिए वृक्ष पर ही हमारा जीवन आश्रित है। यदि वृक्ष ही नहीं रहेंगे तो किसी भी जीव जंतु का अस्तित्व नहीं रहेगा। छत्तीसगढ़ की सरकार ने गौ- काष्ठ के इस्तेमाल को लेकर जो आदेश जारी किया है, वह आने वाले समय में पर्यावरण संरक्षण और वृक्षों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। यह मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और उनके सरकार के सदस्यों की सोच थी कि नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी का मॉडल तैयार किया गया। इस दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए सरकार ने अपनी संकल्पना को साकार भी करके दिखाया। नगरीय निकाय क्षेत्रों में होने वाले दाह संस्कार और ठण्ड के दिनों में जलाए जाने वाले अलाव में लकड़ी की जगह गोबर से बने गौ-काष्ठ और कण्डे के उपयोग को जरूरी किया जाना सरकार के दूरदर्शी सोच का हिस्सा है। अब होली जैसे पर्व में यदि पेड़ों की कटाई को रोकने की दिशा में गौ-काष्ठ और गोबर के कण्डे का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा तो निश्चित ही यह पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सरोकार, की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
        आप सभी को मालूम होगा कि बीते साल के आखिरी महीने में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा वायु प्रदूषण के चलते उतरी एवं मध्य भारतीय राज्यों में भारी आर्थिक क्षति होने की रिर्पोट भी जारी की गई थी। आईसीएमआर ने उत्तर प्रदेश और बिहार में वायु प्रदूषण की स्थिति खराब होने का जिक्र किया था। लासेंट प्लेनेटरी हेल्थ में प्रकाशित रिपोर्ट इंडिया स्टेट लेबल डिजीज बर्डन इनीसिएटिव के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद के 1.4 फीसदी के बराबर की क्षति हो रही है। यह चिंता का विषय है और वायु प्रदूषण को लेकर ठोस रणनीति के साथ आगे आना होगा।
        एक अनुमान के अनुसार होली जैसे पर्व में एक होली के पीछे दो से तीन क्विंटल लकड़ियां जला दी जाती है। शहरों सहित कई इलाकों में होलिका दहन की औपचारिकता की खातिर आस-पास के हरे-भरे पेड़ काट दिए जाते हैं और पुराने टायरों को भी आग में झोंक दिया जाता है। शहरों में बनने वाली होली की संख्या ही बहुत अधिक होती है। सामूहिक के अलावा अनेक लोग अपने घरों के आसपास होलिका जलाते हैं। इकोफ्रेण्डली होली की अपील और प्रतिदिन हो रहे दाह संस्कार में गौ काष्ठ के इस्तेमाल को बढ़ावा देने से एक ओर जहां वायु प्रदूषण में कमी आएगी वहीं इस पहल से साल भर में लाखों पेड़ों की बलि नहीं चढ़ेगी और हमारी अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
        गौ सेवा की दिशा में सतत् कार्य कर रही एक पहल सेवा समिति के उपाध्यक्ष श्री रितेश अग्रवाल का कहना है कि होली और दाह संस्कार को इको फ्रेण्डली बनाने  की दिशा में लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। पिछले साल भी इकोफ्रेण्डली होली जलाई गई थी और दाह संसकर में गौ-काष्ठ सहित गोबर के कण्डे का लगातार उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गौ-काष्ठ से होलिका दहन, दाह संस्कार बहुत आसान और पर्यावरण के लिए उपयोगी है। उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी धारणाएं बदलनी होगी ताकि हम शुद्ध हवा में सांस ले सके।
        स्वाभाविक है कि गोठानों के संचालन से प्रदेश में गौ संरक्षण को बढ़ावा मिलने लगा है और गोबर उत्पादों के साथ रोजगार के नये विकल्प भी बनने लगे हैं। सरकार द्वारा गोबर को दो रुपए प्रति किलों की दर से खरीदे जाने के बाद पशुपालकों की आमदनी भी बढ़ी है। इससे आर्थिक सशक्तीकरण को भी बल मिला है।
        बीते साल कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से उबरने के बीच पुनः कोरोना के बढ़ते प्रभाव ने सभी को चिंता में डाल दिया है। एक बार फिर कठिन समय में हम होली जैसे पर्व को मनाने की तैयारी कर रहे हैं। जरा सी लापरवाही और असावधानी हमें ही नहीं, परिवार सहित हमारे परिचितों को भी खतरे में डाल सकती है। चुनौतियों से भरे जीवन में हमें भी नई सीख और आने वाली पीढ़ी को सीख देने की जरूरत है। गौ काष्ठ और गोबर के कण्डे को होलिका दहन में अपनाकर हम ग्रीन तथा क्लीन छत्तीसगढ़ के कान्सेप्ट को भी सफल बना सकते हैं। हमारे इस प्रयास से ऑक्सीजन, औषधि देने वाले, मृदा संरक्षण करने वाले, पक्षियों के बैठने की व्यवस्था, कीडे़-मकोड़े, मधुमक्खी के छत्ते से वातावरण को अनुकूलन बनाने वाले वृक्षों के साथ पशु-पक्षियों को भी संरक्षण मिलेगा और हम सभी एक महान कार्य का हिस्सा भी बन सकते हैं। प्रदेश में पांच हजार से अधिक गौठान है। इनमें से अधिकांश गौठानों में गौकाष्ठ व गोबर के कंडे बनाए जा रहे हैं। होलिका में इन गौठानों के गौकाष्ठ और कंडे का उपयोग आसानी से किया जा सकता है।

  • कोविड-19 का उत्सव मना रही है सरकार : पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल
    *सरकार के लिए कोविड-19 उत्सव हो गया है राज्य सरकार* के अस्पतालों की हालत मुझे बताने की जरूरत नहीं सरकार ने खुद ही कोविड-19 के मामले बढ़ाए हैं मैं पूछना चाहता हूं कि कोविड 19 के मामले में अब देश में कौन सा नंबर है छत्तीसगढ़ का ..... कोई रणनीति नहीं है सरकार की... सरकार में बैठे लोग अनिर्णय की स्थिति में है..... *कांग्रेस न्याय योजना को लेकर बूथ स्तर पर जाएगी इस पर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का विवादित बयान इस* योजना को लेकर जब कांग्रेस जाएगी तो लोग जूते मारेंगे.... कांग्रेस अपने राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के पहली किस्त में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को बुलाया था मुख्यमंत्री ने और चौथी किश्त देने के मामले में भी राहुल गांधी को बुलाया अपने ही नेताओं को बेवकूफ बना रहे हैं अमरजीत भगत के बेटे के द्वारा पहाड़ी कोरवा जनजाति के जमीन अधिग्रहण फर्जी तरीके से कराने को लेकर बयान पर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का बयान मंत्री कोई अपने खिलाफ जांच कैसे करवाएगा शासन का इस पर वक्तव्य आना चाहिए शासन ने अभी तक इस पर कोई जांच नहीं करवाई है
  • अवैध गौ तस्करी का भंडाफोड़, दो तस्कर को पुुलिस ने किया गिरफ्तार
    दंतेवाड़ा: गीदम टीआई जयसिंह खूटे के नेतृत्व में पेट्रोलिंग पुलिस पार्टी ने पशु तस्करी का भंडाफोड़ करते हुए पशु तस्करों के कब्जे से 32 गौवंश को बचा लिया। दरअसल मामला यह है कि मवेशियों से भरे ट्रक को कांकेर से सिद्दीपेट तेलंगाना ले जाया जा रहा था। और इस ट्रक को हैदराबाद निवासी इम्ब्राहिम रिसीव करने वाला था।गौवंशों को कांकेर से तेलंगाना ले जाने के दौरान नगर की रात्रि पेट्रोलिंग पार्टी को संदेह होने पर टीआई के नेतृत्व वाली पेट्रोलिंग पार्टी ने ट्रक को रोककर ड्राइवर से पूछताछ की। पूछताछ के दौरान गीदम टीआई ने ट्रक ड्राइवर से पूछा कि ट्रक में क्या है तो ड्राइवर ने ट्रक में राशन होने की बात कही। संदेह के आधार पर ट्रक को चेकिंग के लिये रुकने के लिये कहा गया और ट्रक ड्राइवर ने आगे रुकने की बात कर वह ट्रक को तेज गति से भगाते हुऐ ट्रक को लेकर जा रहा था। टीआई गीदम और पेट्रोलिंग पार्टी ने ट्रक का पीछा किया और सुरोखी कैम्प की मदद से घेराबंदी कर ट्रक व चालक को पकड़ लिया गया।
  • 250 एकड़ में बन रहा जैव विविधता पार्क अगले दो महीनों में होगा तैयार, नेचर लवर एवं बर्ड साइट के लिए होगी बेहतरीन जगह -सबसे खूबसूरत प्राकृतिक परिवेश  बनेगा तालपुरी का जैव विविधता पार्क -जैव विविधता पार्क तालपुरी के मेमोरियल कॉर्नर में कल विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर लगाये गए पौधे

    वनमण्डल द्वारा विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर आज तालपुरी जैव विविधता पार्क के मेमोरीयल कॉर्नर में वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मेमोरियल कॉर्नर की स्थापना किसी खास अवसर (जन्मदिन, सालगिरह, इत्यादि) पर नागरिकों  द्वारा पौधरोपण करने के लिए की गई है। मौके पर इस मौके पर नागरिकों ने बड़ी संख्या में पौधे रोपे। डीएफओ  धम्मशील गणवीर ने इस मौके पर कहा कि जैव विविधता पार्क 250 एकड़ में स्थापित किया जा रहा है। यहां पर काफी सारे पेड़ है इसके अलावा भी यहां पर 6000 पौधे और भी लगाए जा रहे हैं। लोग स्मृति और शुभ अवसरों पर यह पौधे लगा रहे हैं  गणवीर ने बताया कि इसके बगल में जो तालाब है वह पक्षियों के लिए एक अच्छा वेटलैंड है और इसमें स्वाभाविक तौर पर पक्षियों की बसाहट की समृद्ध संभावना है। यहां पर जलकुंभियों को साफ कराया जाएगा और बर्ड वाचिंग के लिए अनुकूल परिसर तैयार होगा। श्री गणवीर ने बताया कि यहां पर पैराडाइज फ्लाई कैचर, ग्रे हॉर्नबिल, विसलिंग डक्स जैसे पक्षी देखे गए हैं यहां से जलकुंभी हटने के बाद और यहां के वेटलैंड के विकास के बाद यहां पर काफी संख्या में पक्षी भी आएंगे। उन्होंने कहा कि पक्षियों के बसाहट के लिए वेटलैंड में बड़ी समृद्ध संभावनाएं बनती है यहां पर बड़ी संख्या में पौधरोपण होने से और साथ ही पक्षियों के अनुकूल बसाहट वाले पौधे लगने से यह क्षेत्र पक्षियों से भी गुलजार होगा और यहां जैव विविधता पार्क में सुबह के समय और शाम के समय में अच्छा वातावरण घूमने फिरने के लिए बनेगा। यह एक बेहतरीन प्राकृतिक परिवेश होगा जो भिलाई और दुर्ग के प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श जगह स्थापित होगी। उन्होंने कहा कि अगले 2 महीने में इसका पूरा विकास कर लिया जाएगा। यहां पर इस प्राकृतिक परिवेश में लोगों के बैठने के लिए बेंच वगैरा बनाए जाएंगे तथा साथ ही उनकी सुविधाओं के लिए इस प्राकृतिक परिवेश को सुरक्षित रखते हुए अन्य उपाय भी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि तालाब के संरक्षण के लिए भी विशेष उपाय किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जैव विविधता क्षेत्र भविष्य में एक बहुत ही खूबसूरत धरोहर साबित होगा।