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हरतालिका तीज : छत्तीसगढ़ में 'करू-भात' खाकर महिलाएं रखती हैं निर्जला व्रत 20-Aug-2020

बालोद: छत्तीसगढ़ मे हरतालिका तीज का विशेष महत्व है. राज्य में इसे तीजा कहा जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. इस बार 21 अगस्त को महिलाएं तीज का व्रत रखेंगी. कोरोना काल ने सभी त्योहारों का रंग फीका कर दिया. वहीं इस बार महिलाएं तीजा मनाने अपने मायके नहीं जा पाईं. तीजा के एक दिन पहले 'करू भात' खाने की खास परंपरा है.छत्तीसगढ़ी बोली में कड़वा मतलब 'करू' होता है और पके हुए चावल को 'भात' कहा जाता है. तीजा पर्व के एक दिन पहले करेले का विशेष महत्व है. तीज के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं एक दिन पहले करेले की सब्जी और चावल खाती हैं. जिसके बाद कुछ भी नहीं खाती हैं. इस दिन छत्तीसगढ़ के हर घर में करेले की सब्जी खासतौर पर बनाई जाती है.

100 रुपए प्रति किलो बिक रहा करेला

बाजारों में इस दिन करेले की सर्वाधिक मांग होती है. यही वजह है कि करेले का भाव भी बढ़ जाता है. बालोद में करेला 100 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है. महंगा होने के बावजूद लोग इसे खरीद रहे हैं, क्योंकि करू-भात के रिवाज के बिना व्रत अधूरा माना जाता है.

करू भात रिवाज के पीछे की मान्यता

महिलाएं बताती हैं कि तीज व्रत के एक दिन पहले करेला इसलिए खाया जाता है, क्योंकि करेला खाने से कम प्यास लगती है. हरतालिका तीज का उपवास महिलाएं निर्जल होकर करती है. इस दिन करेला खाने का दूसरा कारण ये भी है कि मन की शुद्धता के लिए करेले की कड़वाहट जरूरी है, जिससे मन शांत हो जाता है.



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