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सब्जी की खेती और वर्मी खाद ने बढ़ाई कमाई 21-Aug-2020

नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना के तहत मनरेगा और उद्यानिकी विभाग का अभिसरण

 

रायपुर. 20 अगस्त 2020

 मनरेगा और नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना के अभिसरण से किसानों की आमदनी बढ़ रही है। कबीरधाम जिले के सिंगारपुर के श्री चेतन वर्मा मनरेगा के अंतर्गत बाड़ी विकास योजना से अपनी बाड़ी विकसित कर सब्जी उत्पादन कर रहे हैं। जैविक खाद का उपयोग कर वे अपनी बाड़ी में भिन्डीमिर्चीलौकीबैगनधनियाटमाटर, कुंदरू, लाल भाजीगिल्कीबरबट्टी और पालक भाजी की पैदावार ले रहे हैं। वे पास के ही बिरोड़ा बाजार में इन सब्जियों को थोक में बेचते हैं, जिससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है।

सहसपुर लोहारा विकासखंड के सिंगारपुर के किसान श्री चेतन वर्मा वर्मी खाद भी बनाते हैं। इसे स्वयं वे अपनी बाड़ी में उपयोग करने के साथ ही इसका विक्रय भी करते हैं। इससे भी उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो रही है। उद्यानिकी विभाग ने पिछले साल उन्हें राष्ट्रीय बागवानी मिशन से जोड़ते हुए वर्मी बेड प्रदान किया था। वे अब तक सात क्विंटल वर्मी खाद बनाकर बेच चुके हैं और यह सिलसिला अभी भी जारी है। जैविक विधि से सब्जी उगाने के कारण बाजार में उनकी सब्जी की अच्छी मांग रहती है।

नरवागरवाघुरवा और बाड़ी योजना के तहत मनरेगा से स्वीकृत 16 हजार 200 रूपए से श्री चेतन वर्मा ने सब्जी की खेती शुरू की है। मनरेगा से बाड़ी के समतलीकरण के बाद उद्यानिकी विभाग द्वारा उन्हें सब्जियों के बीज दिये गये। लगभग 13 हजार 200 रूपए भूमि समतलीकरण में खर्च होने के बाद शेष राशि से उन्हें बीज के साथ जैविक कीटनाशक मिला। भूमि विकास करने से मिट्टी उपजाऊ हो गई है, जिसके कारण सब्जियों की अच्छी पैदावार हो रही है। श्री वर्मा सब्जी की खेती से जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि इससे वे हर महीने करीब 5-6 हजार रूपए की कमाई कर रहे हैं। उद्यानिकी विभाग से मिले वर्मी बेड से वे वर्मी खाद भी तैयार कर रहें है।

श्री वर्मा बताते हैं कि वर्मी खाद तैयार करते समय पता चला कि वर्मी बेड को छाया (Shed) की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने लकड़ी का ढांचा तैयार किया और उसे ढंकने के लिए देशी कुन्दरू के पौधों को चारों ओर लगा दिया। पौधे नार के रूप में लकड़ी के ढांचे पर चारों ओर फैल गए और वर्मी बेड को प्राकृतिक छाया देने लगे। इस तरह वर्मी खाद के साथ कुन्दरू की फसल भी तैयार होने लगी। राज्य शासन द्वारा विभिन्न योजनाओं के अभिसरण से ग्रामीणों की आजीविका मजबूत की जा रही है। जैविक खाद के निर्माण और उपयोग को बढ़ावा देते हुए उन्हें जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है।

 


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