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सभी की आजीविका और बेहतर आमदनी की व्यवस्था समावेशी विकास का मूलमंत्र - भूपेश बघेल 13-Sep-2020

मुंगेली : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 10वीं कड़ी का प्रसारण आज 13 सितम्बर  को किया गया। मुख्यमंत्री  बघेल लोकवाणी में इस बार ‘‘समावेशी विकास आपकी आस’’ विषय पर प्रदेशवासियों से बात की। लोकवाणी का प्रसारण छत्तीसगढ़ स्थित आकाशवाणी के सभी केन्द्रों, एफ.एम. रेडियो और क्षेत्रीय न्यूज चैनलों से सुबह 10.30 से 10.55 बजे तक किया गया । मुख्यमंत्री  बघेल की ‘‘समावेशी विकास आपकी आस’’  विषय पर आयोजित मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी को मुगेली जिले के नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने भी उत्साह पूर्वक और तन्मयता से सुना।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समावेशी विकास आपकी आस विषय पर आज अपनी मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 10वीं कड़ी का प्रसारण में कहा कि समाज के जो लोग चाहे वे छोटे किसान हों, गांव में छोटा-मोटा काम-धंधा करने वाले लोग हों, खेतिहर मजदूर हांे, वनोपज पर आश्रित रहने वाले वन निवासी तथा परंपरागत निवासी हों, चाहे कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवार की महिलाएं हों, ग्रामीण अंचलों में परंपरागत रूप से काम करने वाले बुनकर हांे, शिल्पकार हांे, लोहार हों, चर्मकार हों, वनोपज के जानकार हों, ऐसे सभी लोगों की आजीविका और बेहतर आमदनी की व्यवस्था करना ही समावेशी विकास का मूलमंत्र है। उन्होने कहा कि सभी के पास कोई न कोई हुनर है, जो उन्हे परंपरागत रूप से मिलता है। समय की मार ने उनकी चमक, उनकी धार को कमजोर कर दिया है। ऐसे समय में राज्य सरकार द्वारा उनके कौशल को बढ़ाया देने, उनके उत्पादों को अच्छा दाम देने हेतु सार्थक प्रयास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने ‘समावेशी विकास-आपकी आस’ विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि देश और प्रदेश की आर्थिक- सामाजिक समस्याओं का समाधान, समावेशी विकास से ही संभव है। हम अपने राज्य में समावेशी विकास की अलख जगा रहे हैं और इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ के वेदवाक्य में भी यही भावना है, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत है। उन्होने कहा कि थोड़ा पीछे जाकर देखें तो महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, डॉ. अम्बेडकर, शास्त्री, आजाद, मौलाना जैसे हमारे नेता जिस न्याय की बात करते थे, उसी साझी विरासत से हमें छत्तीसगढ़ी मॉडल मिला है।
मुख्यमंत्री ने रेडियो वार्ता के श्रोताओं से कहा कि किसान को जब हम अर्थव्यवस्था की धुरी मान लेंगे तो समझ लीजिए कि समावेशी विकास की धुरी तक पहुंच गए हैं। ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ से प्रदेश के 19 लाख किसानों को लाभ मिल रहा है। दो किस्तों में 3 हजार करोड़ का भुगतान हो चुका है। अब जल्दी ही पूरे 5 हजार 7 सौ करोड़ रूपये का भुगतान का वादा भी पूरा हो जाएगा। हमने न सिर्फ धान के किसानों को 2500 रूपए प्रति क्विंटल देने का वादा पूरा किया है, बल्कि मक्का, गन्ना के साथ छोटी-छोटी बहुत सी फसलों का भी बेहतर दाम देंगे। राज्य सरकार ने कर्ज माफी की, सिंचाई कर माफ किया और अब न्याय योजनाओं का सिलसिला भी शुरू कर दिया है। गोधन न्याय योजना के चालू होते ही गौठान निर्माण में तेजी आई है। हर 15 दिन में हम खरीदे गए गोबर का भुगतान कर रहे हैं। स्व-सहायता समूह से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं गोबर खरीदकर, वर्मी कम्पोस्ट बना रही हैं। इस तरह से ग्रामीण जनता ही नहीं, बल्कि अनेक संस्थाओं को भी अपनी भूमिका निभाने का अवसर मिला। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए गांव के सभी वर्गों का एकजुट होना, मेरे ख्याल से सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति भी है। जिस तरह से कुछ लोग गाय और शिक्षा प्रणाली को लेकर सिर्फ बातें करते थे, करते कुछ नहीं थे। उन्हें यह देखना चाहिए कि हमारे 40 नए इंग्लिश मीडियम स्कूलों में प्रवेश भी अब सम्मान का विषय बन गया है। ‘पढ़ाई तुंहर दुआर’ ‘पढ़ाई तुंहर पारा’, जैसे लोक अभियानों से हमने बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखा है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि औद्योगिक विकास को ब्लाक स्तर पर पहुंचाने वाली नई औद्योगिक नीति लागू कर दी है। दो सौ फूडपार्क खोलने की योजना बनाई है और इनमें से एक सौ से ज्यादा के लिए जमीन का इतंजाम भी हो गया है।  उन्होने कहा कि सुराजी गांव योजना को लोगों ने हाथों हाथ लिया है। गांव के संसाधन को जब गांव के लोग अपना समझकर उसे आर्थिक उन्नति के लिए उपयोग में लाते है तो यह समावेशी विकास का सबसे अच्छा उदाहरण बन जाता है। उन्होने कहा कि मेरा पूरा विश्वास है कि आप सब लोग मिलकर गांव को सचमुच चमन बना देंगे और यही छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी ताकत होगी। लोकवाणी में  मुख्यमंत्री  बघेल ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम और उपचार के लिए किये जा रहे हर संभव उपाय की भी जानकारी दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने समावेशी विकास आपकी आस विषय पर श्रोताओं के साथ अपने विचार भी साझा किए।



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