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हाथों के हुनर से बुन रहे ’जिदंगी’ के ताने-बाने 02-Oct-2020

ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्रकुमार के मार्गदर्शन में  ग्रामोद्योग ग्रामीणों के जीवन यापन का जरिया बना है। वहीं बुनकर अपने  हाथों के हुनर से  जिंदगी के ताने-बाने बुन रहे हैं। इसी कड़ी में बस्तर जिले के आठ बुनकर सहकारी समितियों में से एक महात्मा गांधी बुनकर सहकारी, समिति मर्यादित, बस्तर में ग्राम कावड़गांव और गांरेगा के कुल 76 बुनकर परिवार जुड़कर वस्त्र उत्पादन कर रहे हैं। समिति के द्वारा वर्ष 2019-20 में लगभग 25 लाख रूपए तक वस्त्र तैयार किया गया है। समिति के बुनकर सदस्य शासकीय गणवेश, चादर, रूमाल, गमछा, परंपरागत साड़ी, टॉवेल आदि की बुनाई में कुशल हैं। अधिकांश बुनकर परिवार अपने घरों में हाथकरघा स्थापित कर कृषि कार्य के साथ-साथ वस्त्र बुनाई कर आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं। इसी प्रकार लॉकडाउन काल में भी जिले के सभी बुनकर लगभग 26 लाख रूपए का वस्त्र उत्पादन कर बुनाई में सक्रिय हैं। विभाग से मिली जानकारी अनुसार कुल 08 बुनकर समितियों के 224 बुनकर परिवार सहकारी समितियों के माध्यम से रोजगार में जुड़े हुए है। इन परिवारों के महिला सदस्य बिहान योजना से जुड़े हुए हैं।

    जिला हाथकरघा कार्यालय जगदलपुर द्वारा संबंधित बुनकरों को समितियों के माध्यम से विभागीय योजनाओं-कौशल उन्नयन प्रशिक्षण, उन्नत उपकरणें, बुनकर आवास, रिवाल्विंग फण्ड सहायता का लाभ दिया जा रहा है। इनकी मजदूरी का भुगतान शीर्ष बुनकर संघ, राजेन्द्र नगर रायपुर के द्वारा किया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन संघ, रायपुर के द्वारा नियमित धागा आपूर्ति और बुनाई मजदूरी का भुगतान होने से बुनकर आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बन रहे हैं साथ ही विभागीय योजनाओं का लाभ प्राप्त होने से बुनकरों के आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है।



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