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अबूझमाड़ में विकास के बढ़ते कदम माड़िया बच्चें भी बोलने लगे हिन्दी के साथ अंग्रेजी
ओरछा विकासखण्ड के ग्राम बासिंग में पहला मिनी थिएटर कम डेवलेपमेंटर सेंटर
नारायणपुर 30 अप्रैल 2019 - देश-दुनिया के लिए पहले अबूझ माने जाने वाले विकासखण्ड ओरछा (अबूझमाड़) इलाके में निवासरत आदिवासी ग्रामीण आधुनिकता की दौड़ से कोसो दूर थे। भौगोलिक परिस्थितियों से विषम इस क्षेत्र में सुविधाओं का अभाव होने के कारण अबूझमाड़िया देश-दुनिया में होने वाली गतिविधियों से अनजान बने रहते थे। लेकिन अब अबूझमाड़ को बूझने के लिए नई पहल शुरू की गई है। माड़ विकास की अंगड़ाईया ले रहा है, माड़िया जनजाति के लोग मुस्कराने लगे है। इसमें माओवादी प्रभावित अबूझमाड़ सहित दूरस्थ अंचल के इलाकों में मिनी थिएटर कम डेवलपमेंट सेन्टर का निर्माण होने लगा है। वहीं स्थानीय आम जनता के लिए आधुनिक व्यायाम शाला (जिम) खोलने का सिलसिला शुरू हो गया है। अबूझमाड़ियों को लिए स्थानीय युवा ने सरकारी कर्ज लेकर फोटो स्टूडियों के साथ फोटोकापी सेंटर भी खोला है। जहां ग्रामीण अपनी तस्वीर खिचवानें आने लगे है।
धुर नक्सल प्रभावित एवं चारों ओर से घने जंगलों, नदी-नालों और और पहाड़ों से घिरे नारायणपुर जिले के विकासखण्ड ओरछा मुख्यालय में धीरे-धीरे सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया हो रही है जो नगरीय क्षेत्र में होती है। अभी हाल ही में रामनवमी के दिन कुमारी किरता ने पहली दवाई की दुकान खोली तो वहीं कुछ समय पहले स्थानीय युवाओं ने मिलकर ओरछा मार्ट नाम से आधुनिक दुकान खोली। वही सुदूर अंचल सोनपुर के युवक ने सरकारी क़र्ज़ लेकर जनरल स्टोर की दुकान खोली है। जिसमें सभी दैनिक उपयोग की सामग्रियों मिलती है। जिसके लिए कभी यहां के लोग साप्ताहिक हाट -बाजार का इंतजार करते थे या जिसे खरीदने के लिए 70 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय नारायणपुर की ओर टकटकी लगाए देखा करते थे। आवाजाही के भी कोई साधन नहीं थे। लेकिन अब सड़क, पुल-पुलिया के साथ अन्य निर्माण काम तेजी के साथ हो रहा है। आवाजाही पहले से बेहतर हुई है। मुख्यालय नारायणपुर और ओरछा के बीच दिन में लगभग 4-5 बसें रोज चलती है। लोग विकास की मुख्यधारा से जुड़ने लगे है। इसके साथ ही पैसे के लेनेदेन के लिए ग्रामीण बैंक भी है। जहां कर्मचारी पूरी मुस्तैदी के साथ काम कर रहे है। यहां अब बेहतर नेट कनेक्टिविटी के लिए दूरसंचार ने टॉवर खडे़ किए है। पहले से काफी बेहतर नेट कनेक्टिविटी हो गयी है। बैंक के साथ अन्य सरकारी काम ऑनलाइन हो रहे है।
ओरछा में बच्चे-बच्चियों को गुणवत्तापूर्ण अच्छी शिक्षा के लिए छात्रावास-आश्रम, के साथ ही हाईस्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल संचालित है। जिसमें पर्याप्त संख्या में शिक्षकगण पदस्थ है। वहीं नक्सली हिंसा पीड़ित बच्चों के लिए पोटाकेबिन आवासीय विद्यालय संचालित है। जिसमें लगभग 650 बच्चे वहां रहकर अपनी पढ़ाई करते है। वहीं बच्चियों के लिए कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय चल रहा है। इसके साथ ही अंग्रेजी मीडियम में शिक्षा के लिए मुख्यमंत्री डी.ए.व्ही. पब्लिक स्कूल भी चल रहा है। यहां हायर सेकेण्डरी तक स्कूल संचालित है। इस स्कूल में बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा दी जा रही है। माड़िया जनजाति के बच्चे भी हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी में बातचीत करने लगे है। वहीं उनके अभिभावकों के रहन-सहन और खान-पान में परिवर्तन की झलक देखने को मिल रही है। बच्चें पढ़ाई के साथ खेल गतिविधियों में भी माड़ का नाम रोशन कर रहे है। पोटाकेबिन के बालक-बालकओं ने मलखम खेल में देश की राजधानी सहित विभिन्न प्रदेशों में राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर अगले ओलम्पियाड में 6 बच्चों के चयन की बात सामने आयी है। इसी प्रकार अंडर 14 और अंडर 17 में फुटबॉल में भी दो बच्चों का चयन हुआ है ।
ओरछा में नवीन तहसील कार्यालय के साथ-साथ अधिकारी कर्मचारियों को सरकारी आवास का निर्माण भी तेज गति से हो रहा है। वहीं 12 कमरों का ट्रांजिट हॉस्टल का काम भी लगभग पूरा हो गया है। प्रकृति को करीब से जानने और समझने वालों के लिए उनके रूकने के लिए आधुनिक सुख-सुविधाओं और स्थानीय कला से साज-सज्जित और फर्नीचर से परिपूर्ण नवीन रेस्ट हाउस बनकर तैयार हो गया है। ओरछा मुख्यालय में थाने के सामने स्थिति छोटी पहाड़ी पर बना है। यहां से सुबह और शाम के समय घने जंगल, खूबसूरत नजारे और पहाड़ियांे को निहारने का मजा ही अलग है।
ओरछा विकासखण्ड के ग्राम बासिंग में पहला मिनी थिएटर कम डेवलेपमेंटर सेंटर खोला गया। वहीं अब ओरछा मुख्यालय में इसके लिए जमीन चिन्हांकित कर ली गई है। इस थिएटर के खुल जाने से अबूझमाड़ियों को देश-दुनिया में होने वाले गतिविधियों से अवगत कर आधुनिकता की दौड़ में शामिल कर मुख्यधारा मंे लाने का प्रयास किया जा रहा है। इस थिएटर कम डेवलेपमेंटर सेंटर में ग्रामीणों को मनोरंजन के साथ ही ताजा खबरों और गतिविधियों की जानकारी मिलती रहेगी। जो एक नगरीय क्षेत्र के लोगों को आसानी से उपलब्ध होती है, लेकिन अब माओवादीगढ़ में यह सुविधा उपलब्ध होने लगी है। इसमें आसपास गांव के ग्रामीण शिक्षाप्रद सिनेमा के साथ ही देश-विदेश और जिले में चल रही विकास गतिवधियों के बारे में टेलीविजन के माध्यम से जान सकेंगे। इसमें प्रोजेक्टर के माध्यम से बड़ी स्क्रीन पर टेलीविजन दिखने की सुविधा उपलब्ध है। CG 24 News
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