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फर्जी नौकरी कर रहे का खुलासा 29-Jun-2019
बलरामपुर जिले में फर्जी नौकरी कर रहे का खुलासा सूचना के अधिकार के तहत पूरे मामले का खुलासा हुआ और अब जाकर इसमें कार्रवाई हुई है।सिक्षा विभाग की इस कार्रवाई के बाद चारों ओर हडकंप मच गया है वहीं आरटीआई एक्टीविस्ट ने दावा किया है की अगर साल 2005 और 2007 के भर्ती की पूरी जांच हो तो सैकडों सिक्षक ऐसे मिलेंगे जो फर्जी दस्तावेज के आधार पर नौकरी कर रहे हैं।बर्खास्त किए गए सिक्षक का नाम चन्द्रदेव राम है और वो रामानुजगजं के वार्ड क्रमांक 3 का निवासी है साल 2005में एसकी नियुक्ति सिक्षाकर्मी वर्ग 3 के रुप में हुई थी।आरटीआई एक्टीविस्ट बैजनाथ केसरी ने फर्जी भर्ती की सूचना मिलने के बाद आरटीआई के तहत सिक्षक की जानकारी निकाली तो उसके दस्तावेज में काफी फर्जीवाडा पाया गया जिसे चयन समिती से मिलकर कूटरचना कर भर्ती किया गया था।सिक्षक के अंकसूची में प्राप्तांक को बढाकर लिखा गया था वहीं सिक्षक ने जो खेल को प्रमाण पत्र लगाया था वह भी फर्जी बनाया गया था क्योंकी स्कूल में एडमिसन से पहले ही उसे तैयार कर लिया गया था।सिक्षक ने जो स्कूल में पढाने का अनुभव प्रमाण पत्र लगाया था वह भी फर्जी पाया गया।पिछले तीन सालों से इसकी जांच की जा रही थी और साल 2017 में ही सिक्षक के दस्तावेजों की जांच कर तात्कालिन कलक्टेर अवनिस कुमार सरण ने इसके बर्खास्तगी के आदेस जारी कर दिए थ्ेा लेकिन निचले स्तर के अधिकारियेां की सांठगाठ के कारण सिक्षक को बर्खास्त नहीं किया गया था।कार्रवाई नहीं होने पर आरटीआई एक्टीविस्ट ने वर्तमान कलेक्टर संजीव कुमार झा से मामले की सिकायत की और दस्तावेजों की जांच करने के बाद कलेक्टर ने जिला सिक्षा अधिकारी को इसमें कार्रवाई के आदेस दिए जिस पर डीईओ ने तत्काल संविलीयन हो चुके सिक्षक एलबी चन्द्रदेव राम को पद से बर्खास्त कर दिया है।सिक्षा विभाग अब फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे सिक्षक के खिलाफ रिकवरी और उसके खिलाफ एफआईआर करने के लिए सासन को पत्र लिखने की बात कर रहे हैं।इस बर्खास्तगी के बाद साल 2005 में हुए पूरी भर्ती प्रक्रिया में सवाल उठने लगे हैं क्येांकी इसमें साफ देखा जा रहा है की चयन समिती ने किस तरह दस्तावेजों में हेरफेर कर फर्जी नौकरी लगाई थी।


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