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MP: कांग्रेस के भीतर ही दिग्विजय सिंह के खिलाफ हो रही है लामबंदी, उनके बयानों से कई नेता नाराज 15-Jul-2021
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह के खिलाफ कांग्रेस के भीतर ही लामबंदी तेज हो गई है। कांग्रेस के नेता ही दिग्विजय सिंह की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगे हैं तो वही कई नेता उनके बयानों से नाराज हैं मगर खुलकर बोलने का साहस कम ही लोग जुटा पा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदूवादी संगठनों के सबसे बड़े विरोधियों के तौर पर दिग्विजय सिंह को पहचाना जाता है। जो अकेले कांग्रेस में ऐसे नेता हैं जो संघ, भाजपा और हिंदूवादी संगठनों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के साथ हमला करने से नहीं चूकते। यही कारण है कि उनकी पहचान अल्पसंख्यक परस्त नेता के तौर पर बनती जा रही है। अभी हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू और मुसलमानों के डीएनए को लेकर बयान क्या दिया उस पर दिग्विजय सिंह ने लगातार प्रतिक्रिया व्यक्त की। उनकी इन प्रतिक्रियाओं को कांग्रेस के किसी भी नेता का साथ नहीं मिला, मगर विरोध में जरूर बातें सामने आने लगी। महाराष्ट्र के नेता और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य विश्व बंधु राय ने तो दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा ही खोल लिया है। congressflag राय ने पार्टी की कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भी लिखा है और मांग की है कि दिग्विजय सिंह की जुबान पर रोक लगाई जाए। दिग्विजय सिंह पर यहां तक आरोप लगाया गया है कि कमलनाथ सरकार गिराने में भी उनकी भूमिका रही है , इसलिए उनकी भूमिका की जांच होनी चाहिए क्योंकि जहां-जहां वे रहे हैं पार्टी को नुकसान हुआ है और अभी जिस राज्य में है वहां भी पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। मध्य प्रदेश के कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का तो यहां तक कहना है कि, दिग्विजय सिंह ऐसे बयान देते हैं जिससे कांग्रेस को नुकसान होता है और पार्टी की छवि हिंदू विरोधी की बनती है । इतना ही नहीं वे पार्टी के तमाम ताकतवर नेताओं को किनारे लगाने में भी पीछे नहीं रहते। बात 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान की है, जब उन्होंने समन्वय के नाम पर बुंदेलखंड के कद्दावर नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी को अपने साथ लिया और पुराने गिले-शिकवे दूर करने का भरोसा भी दिलाया, मगर बाद में चतुवेर्दी के साथ सोची-समझी रणनीति के तहत छल किया गया। परिणाम स्वरूप चतुर्वेदी ने राजनीति से ही नाता तोड़ लिया है। यह तो एक घटना मात्र है। मध्यप्रदेश में तमाम जनाधार वाले नेताओं को किनारे लगाने के साथ पार्टी को नुकसान पहुंचाने में दिग्विजय सिंह कभी भी पीछे नहीं रहे हैं। सिर्फ उन्हें अपने हित, स्वार्थ और अपने करीबियों का लाभ ही देखता रहा है। पार्टी को चाहे जितना भी नुकसान क्यों न हो जाए।


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