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*आत्म निर्भर किसानों के सफलता की कहानियां* 03-Aug-2021

आत्म निर्भर किसानों के सफलता की कहानियां

किन कारणों से कृषकों ने कृषि के क्षेत्र में सफलता हासिल की है ?

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस के पाटिल के मार्गदर्शन में

निदेशालय विस्तार सेवाएं की कृषि विकास में अग्रणी नवोन्वेषी एवं सफल कृषको को आगे बढ़ाने की योजना 

प्रदेश में सफल कृषक कौन-कौन हैं ? और किन कारणों से उन्होंने कृषि के क्षेत्र में सफलता हासिल की है ? ऐसे 97 कृषकों की सफलता के बारे में हम विस्तार से जानकारी देंगे |

 

उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस के पाटिल के मार्गदर्शन, निदेशक डॉ एस आर के सिंह व निदेशक विस्तार डॉक्टर एसपी मुखर्जी के निर्देशन में निदेशालय विस्तार सेवाएं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की कृषि विकास में अग्रणी नवोन्वेषी एवं सफल कृषको को आगे बढ़ाने की योजना का लाभ छत्तीसगढ़ के किसानों को मिल रहा है | जीरो बजट फार्मिंग से कृषि समन्वित कृषि प्रणाली से आय में वृद्धि की है, बीज उत्पादन कार्यक्रम से आय दोगुनी की है , उन्नत कृषि तकनीक अपनाकर आय में वृद्धि की है, महिला समूह की सफलता के बारे में, असिंचित अवस्था में बिना बयासी के धान की कतार बोनी द्वारा विपुल उत्पादन, कृषि तकनीक के द्वारा कमाई, वर्षा आधारित धान में श्री पद्धति, फल सब्जी एवं दुग्ध उत्पादन से आय, चौड़ी क्यारी एवं मांदा विधि से खेती, बीज उपचार कतारों में बुवाई रासायनिक विधि से खरपतवार नियंत्रण, उचित फसल चक्र, प्राकृतिक खेती, रबी मक्का की उन्नत खेती, सुगंधित धान की जैविक खेती, गन्ने की फसल से आय में वृद्धि, पर्पल राइस एवं पर्पल गेहूं उत्पादन से कृषि व्यवसाय को बढ़ाने, मखाना की उन्नत खेती, उन्नत तकनीक से सब्जियों का उत्पादन, कंद वर्गीय फसलों की खेती, टपक सिंचाई पद्धति द्वारा मुनगै की खेती, केले की खेती की उन्नत तकनीक, हल्दी की जैविक खेती, देसी गुलाब एवं गेंदे की खेती के साथ संबंधित कृषि की सफलता, हाई टेक हॉर्टिकल्चर, हाईटेक सब्जी उत्पादन, फूलों की उन्नत खेती, मेढों में सब्जियों की खेती, बीडिंग द्वारा बेर की नई किस्म अंगूरी बेर, कर्मता भाजी की खेती, कमल ककड़ी की खेती, कड़कनाथ और कुक्कुट के साथ मछली पालन, नेपियर घास की खेती जैसे अनेक नवीनतम अनुसंधान एवं तकनीकियों के द्वारा आय के स्त्रोतों में बढ़ोतरी कर किसान खुशहाल हो रहे हैं| आइये आपको हम ऐसे उन्नत तकनीक से फसल उगा कर अधिकतम आय प्राप्त करने वाले किसानों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं | 1. कवर्धा के सुभाष चंद्र पांडे जीरो बजट फार्मिंग से कृषि कर लाखों रुपए की आय प्राप्त कर रहे हैं 2. बस्तर बड़ेचकवा के सुखमन बघेल और लखमू बघेल ने कृषि विज्ञान केंद्र बस्तर द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त कर समन्वित खेती के द्वारा लाखों रुपए वार्षिक लाभ प्राप्त करना शुरू कर दिया | 3. जिला बलौदा बाजार भाटापारा के गांव के रहने वाले टेकराम साहू बीज उत्पादन कार्यक्रम से अपनी आय दोगुनी करने में सफल हुए हैं| 4. जिला बलरामपुर शंकरगढ़ तैयारी गांव के केंद्र राम ने कृषि विज्ञान केंद्र से प्राप्त ज्ञान को अपनाकर एक सफल किसान के रूप में सुगंधित धान जीराफूल की जैविक खेती के माध्यम से ख्याति प्राप्त की है | 5. पिछले 45 वर्षों से स्वयं की भूमि पर पारंपरिक खेती से नुकसान सेहती आई अंबिकापुर के भगवानपुर में रहने वाली श्रीमती कानन मजूमदार ने कृषि विज्ञान केंद्र अंबिकापुर से कृषि तकनीकों की जानकारी प्राप्त कर खेती में लाभ प्राप्त करना शुरू कर दिया है इनके अनुसार कृषि की आधुनिक तकनीकों का उपयोग श्रीमती मजूमदार के लिए लाभकारी से सिद्ध हुआ है | 6. दंतेवाड़ा झोड़ियाबाडम की श्रीमती जानकी नाथ उर्दू कुटी धाम रागी एवं सब्जियों का उत्पादन करती रही हैं कृषि विज्ञान केंद्र के मार्गदर्शन में तकनीकी प्रशिक्षण के बाद इनके महिला समूह को मिनी राइस मिल प्रदान की गई जिससे इनके महिला समूह को अच्छी आए हो रही है | 7. कोरबा जिले के ग्राम जटगा निवासी राजेश सिंह 10 वर्षों से खेती कर रहे हैं लेकिन अनुभव व ज्ञान की कमी के कारण मुनाफा नहीं कमा पा रहे थे, कृषि अधिकारियों से जानकारी लेकर टपक सिंचाई से खेती शुरू की तो 40% अधिक उत्पादन प्राप्त कर लाखों रुपए मुनाफा कमाना शुरू कर दिया | 8. दुर्ग जिले के पाटन ब्लाक के गांव अरस नारा मैं रहने वाले नंद कुमार साहू ने सुगंधित धान की जैविक खेती करके अपने लाभ में वृद्धि की है वे गोमूत्र और गाय के गोबर से बने जैविक खाद का उपयोग कर रहे हैं | 9. ग्राम शेखरपुर ब्लॉक पत्थलगांव जिला जसपुर के रहने वाले छत्रमोहन विशाल अपने 4 एकड़ कृषि भूमि में जैविक विधि से फसल एवं सब्जी का उत्पादन करते हैं रासायनिक खाद की जगह गोबर की खाद ट्राइकोडर्मा आधारित वर्मी कंपोस्ट जीवामृत वेस्ट डी कंपोजर का उपयोग कर दुगुनी फसल प्राप्त कर रहे हैं, जिससे इन्हें अधिक मुनाफा हो रहा है | 10. इसी प्रकार राजनांदगांव जिले के सुरगी गांव निवासी राधेश्याम ढीमर मछली पालन का व्यवसाय कर रहे थे इन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र राजनांदगांव व कृषि महाविद्यालय के तकनीकी मार्गदर्शन एवं वित्तीय सहयोग से कृषि एवं मछली पालन के साथ-साथ कड़कनाथ कुकुट पालन का व्यवसाय भी शुरू किया जिससे इनके व्यवसाय के साथ-साथ आय में भी वृद्धि हुई | यह सभी 10 के 10 किसान विभिन्न प्रकारों की खेती एवं व्यवसाय कर मुनाफा कमाने में सफल हुए हैं और इसके लिए उपरोक्त किसान इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक तरीकों एवं आधुनिकीकरण के द्वारा खेती के प्रावधानों को सफलता का राज मानते हैं | उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस के पाटिल के मार्गदर्शन, निदेशक डॉ एस आर के सिंह व निदेशक विस्तार डॉक्टर एसपी मुखर्जी के निर्देशन में निदेशालय विस्तार सेवाएं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की कृषि विकास में अग्रणी नवोन्वेषी एवं सफल कृषको को आगे बढ़ाने की योजना का लाभ छत्तीसगढ़ के किसानों को मिल रहा है | CG 24 News 



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