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Delhi Pollution: दिल्ली की जहरीली हवा के लिए पंजाब के किसान जिम्मेदार, ग्राफ में हुआ साफ ‘पटाखे नहीं पराली है कारण’ 12-Nov-2021
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली से तकरीबन 376 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पंजाब के किसानों के गैर-जिम्मेदारना रवैये की भारी कीमत दिल्लीवासियों को दमघोटू हवा में सांस लेकर चुकानी पड़ रही है, लेकिन पंजाब सरकार से लेकर वहां के किसानों को इससे कोई फर्क पड़ता हुआ नहीं दिख रहा है। इसके विपरीत वे खुद को लाचार बेबस और और बदहाल बताने की कोशिश कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि हमारे पास पराली जलाने के इतर और कोई विकल्प नहीं है। हम विकल्प विहीन हैं और वैसे भी हमारे द्वारा जलाए जाने वाली पराली का राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से कोई सरोकार नहीं है, क्योंकि हम खुले मैदान में पराली जलाते हैं, जिसका धुआं कुछ मील तक जाकर सिमट जाता है। हमें ऐसा नहीं लगता है कि हमारे द्वारा जलाए जाने वाली पराली का राजधानी में बढ़ते प्रदूषण से कुछ लेना देना है। रही बात दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की, तो जहां तक हमें लगता है कि दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने का कारण हमारे द्वारा जलाई जाने वाली पराली नहीं, अपितु उनके खुद के अपने कारण हैं। चलिए, यह तो रही दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर पंजाब के किसानों की राय। अब इस पूरे मसले को गहनता समझने के लिए आइए एक बार राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति पर एक नजर डालते हैं और इसके साथ ही यह जानने की भी कोशिश करते हैं कि हकीकत में दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के लिए आखिर पंजाब के किसान जिम्मेदार हैं या खुद दिल्ली जिम्मेदार। राजधानी में प्रदूषण का मिज चौतरफा धुआं-धुआं होती राजधानी दिल्ली में गंभीर होते प्रदूषण का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि आज राजधानी में दिवाली से भी ज्यादा संजीदा स्थिति है। ऐसे में कायदे से देखे तो उन लोगों को इस पर कुछ न कुछ, तो बयानबाजी जरूर करनी चाहिए, जो दिवाली के मौके पर प्रदूषण का हवाला देकर पटाखा फोड़े जाने का विरोध करते ह ऐसे में अब उन्हें यह बात समझ में आ जाना चाहिए कि दिल्ली में इकलौता पटाखा ही प्रदूषण बढ़ने का कारण नहीं है, बल्कि कई ऐसे कारक हैं, जिस पर विवेचना कर उसका समाधान तलाशने की आवश्यकता है, अन्यथा स्थिति के गंभीर होने का सिलसिला यूं ही बढ़ता चला जाएगा और हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे। मौजूदा वक्त में राजधानी में प्रदूषण के बढ़ने का जिम्मेदार और कोई नहीं, बल्कि पंजाब के किसान ही हैं। पंजाब के किसान पराली जलाने की आदत से बाज नहीं आ रहे हैं और न ही वहां के किसान इस समस्या का समाधान तलाशने की जहमत उठाते दिख रहे हैं और न ही वहां की सरकार इस दिशा में कुछ कदम उठाने की शैली में नजर आ रही फिलहाल, पंजाब का सियासी पारा ही नवजोत और कैप्टन की लड़ाई में गरमाया हुआ है। ऐसे में भला कहां वहां के सियासी सूरमा इस गंभीर मसले पर कोई समधान निकालने की जहमत उठाएंगे। बात अगर दिल्ली की जाए, तो हर वर्ष सर्दी का मौसम आते ही दिल्ली सरकार अपनी तरफ से भरसक प्रयास करने का दावा तो करती है, लेकिन धरातल पर उसकी कोशिशें नजर नहीं आती है। दिल्ली की जनता हमेशा की तरह ही प्रदूषित आबोहवा में सांस लेने पर बाध्य रहती है। गौर करने वाली बात यह है कि दिल्ली ऐसी स्थिति तब है, जब यहां कोई पटाखा नहीं फोड़ा जा रहा इस समय वक्त तो पंजाब के किसान ही पराली जलाते दिख रहे हैं। जिसका नतीजा क्या हो रहा है। हम सब देख ही रहे हैं। अब ऐसे में पंजाब सरकार व वहां के किसान अपने हठ पर कायम रहेंगे या जनहित की दिशा में कुछ कदम भी उठाएंगे। यह दोनों ही प्रश्न तो फिल हाल भविष्य के गर्भ में छुपे हुए हैं।


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