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जब लता दीदी के गाने सुनकर रोए थे जवाहरलाल नेहरू, जानिए उनकी जिंदगी से जुड़े अनसुने किस्से 06-Feb-2022

नई दिल्ली। स्वर कोकिला लता मंगेशकर भले ही आज इस दुनिया को अलविदा कह गई हों, मगर उनकी आवाज हर एक भारतवासी के दिल में हमेशा कायम रहेगी। वो अपनी आवाज को अपनी पहचान बताया करती थी। उन्होंने अपनी आवाज के जरिए दशकों तक संगीत की दुनिया में अपना जादू बरकरार रखा। साल 2001 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी समानित किया गया। म्यूजिक इंडस्ट्री में लता मंगेशकर का योगदान अतुलनीय था। जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। उनके सदाबहार गानें लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे। लता मंगेशकर के निधन की खबर से मनोरंजन जगत में सन्नाटा पसर गया है। लता मंगेशकर बीते एक महीने से बीमार चल रही थीं।

जब लता ने की एक्टिंग

बात अगर उनके फिल्मी संगीत करियर की करें तो, उनका सफर आधी सदी से भी ज्यादा लंबा रहा। जिसमें उन्होंने 36 भारतीय भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गाने गाए। लता मंगेशकर का करियर केवल संगीत तक सिमित नहीं था, उन्होंने कई मराठी और हिंदी फिल्मों में अभिनय भी किया। साल 1943 में आई मराठी फिल्म ‘गजभाऊ’ में अभिनय के साथ उन्होंने संगीत की कुछ लाइनें भी गाई। ये फिल्मों में उनका पहला गीत था।

लता मंगेशकर ने पहला हिंदी फिल्मी गाना साल 1949 में आई फिल्म ‘महल’ के लिए गाया था। उनका पहला हिंदी गाना बेहद मशहूर हुआ, जिसके बाद उन्हें संगीत की दुनिया में बेहतरीन मौके मिलने लगे। इसके बाद अगले चार दशकों तक तो हिंदी फिल्मों में दीदी ने हजारों गाने गाए। मुगल-ए-आज़म, पाकीजा, , आवारा, मजबूर, अराधना श्री 420 और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी रोमैंटिक फिल्मों में भी उन्होंने अपने संगीत से दुनिया को दीवाना बना लिया। लता जी ने अपने दौर के सभी जाने माने बॉलीवुड गायकों के साथ गाने गाए थे, फिर चाहे वो मोहम्मद रफ़ी हों या किशोर कुमार। लता मंगेशकर ने राज कपूर से लेकर गुरुदत्त और मणि रत्नम से लेकर करण जौहर तक, हर मशहूर निर्देशक के साथ काम किया।

दीदी का गाना सुन रोए थे नेहरू

लता मंगेशकर की आवाद में वो जादू था, जिसे सुनकर बड़े-बड़े लोगों की आंखें नम हो जाया करती थी। साल 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के लिए जब लता मंगेशकर ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गीत गया, तो उसे सुनकर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आंखें तक भर आई थीं। 1979 में उन्हें ब्रिटेन के विश्व प्रसिद्ध रॉयल अल्बर्ट हॉल में रेन ऑर्केस्ट्रा के साथ भी गाने का भी मौका मिला। ऐसा अवसर पाने वाली वो पहली भारतीय थीं।



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