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हाईकोर्ट ने रेडी टू इट आहार पर लिए गए सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए स्व सहायता समूहों कि याचिका को किया खारिज 28-Apr-2022
मन्नू मानिकपुरी संवाददाता/ बिलासपुर-छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रेडी टू इट आहार पर लिए गए सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए स्वसहायता समूहों कि याचिका को खारिज कर दिया है। राज्य सरकार ने आंगन बाड़ी केंद्रों में आईसीडीएस योजना के तहत महिलाओं और बच्चों को दिए जाने वाले पोष्टिक आहार रेडी टू इट का निर्माण राज्य कृषि बीज विकास निगम द्वारा अनुबंधित कम्पनी से कराने का निर्णय लिया था। इसे अब तक छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में स्व सहायता समुहों के माध्यम से तैयार कराया और वितरित किया जाता था, शासन के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में महिला स्व सहायता समूहों की ओर से 287 याचिकाएं दायर की गई थी जस्टिस आर सी एस सामंत की बेंच ने इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद आज शासन के पक्ष में निर्णय देते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। महिला स्व सहायता समूहों की ओर से उनके अधिवक्ताओं ने दलील दी थी कि स्व सहायता समूहों अनेक वर्षों से रेडी टू इट तैयार कर रही है। शासन के इस फैसले से 20 हजार से अधिक महिलाओं का रोजगार समाप्त हो जाएगा। उनके बनाए गए रेडी टू इट की गुडवत्ता पर कोई शिकायत नहीं कि गई है अतः इस आधार पर उनसे काम छीना जाना सही नहीं है। महिला स्व सहायता समूहों ने महिला बाल विकास विभाग से तीन वर्ष का अनुबंध किया है जिसकी अवधि अभी बाकी है। रेडी टू इट आहार तैयार करने के लिए उन्होंने बैकों से कर्ज भी लिया है, इस फैसले वे कर्ज नही चुका पाएंगे। सरकार की ओर से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने दलील दी कि यह फैसला केबिनेट ने बीते वर्ष 26 नवम्बर को लिया था, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के कल्याण को घ्यान में रखते हुए आहार की आपूर्ति और गुंडवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए यह ब्यवस्था की गई है, सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि स्व सहायता समूहों को इस योजना से पूरी तरह बहाल नही किया गया है। आहार के परिवहन और वितरण का काम उनके पास रहेगा, सरकार की अधिसूचना खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों के अधीन ही लिया गया है। पूरी परिक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के किसी निर्णय का विरोधाभास नही है और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई है।


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