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यीशु मसीह के ये सात वचन।-मृत्यु से पूर्व उन्होंने सात बेहद अनमोल वचन कहे थे। जिन्हे आज यीशु की सात अमरवाणियों से जाना जाता है।
ईसाई धर्म के धार्मिक ग्रंथ बाइबल के अनुसार, मानव जाति के कल्याण के लिए प्रभु यीशु ने प्रेम, ज्ञान और अहिंसा का संदेश दिया. उन्हें यहूदी शासकों द्वारा कठोर शारीरिक और मानसिक यातनाएं भी दी गई और यीशु सूली पर चढ़ा दिया गया. मान्यता है कि जिस दिन प्रभु यीशू को सूली पर चढ़ावा गया उस दिन शुक्रवार था. इसलिए इस दिन को गुड फ्राइडे कहा गया. लोग गुड फ्राइडे के दिन प्रभु यीशु के बलिदान को याद करते हैं.
ऐसा माना जाता है, की जब यीशु को सूली पर लटकाए जाने लगा और अपनी मृत्यु से 3 घंटे पूर्व उन्होंने सात बेहद अनमोल वचन कहे थे। जिन्हे आज यीशु की सात अमरवाणियों से जाना जाता है।
● पहला वचन - “हे परमपिता परमेश्वर इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।”
क्रॉस पर यीशु के इस प्रथम वचन में प्रत्येक व्यक्ति को क्षमा करने का संदेश दिया गया है। इस कथन में यीशु ने उन सभी को क्षमा करने की प्रार्थना की है, जो उन्हें सूली पर लटकाने तथा उस पूरे प्रकरण में शामिल थे।
● दूसरा वचन - “मैं तुझसे सत्य कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।”
इस कथन को "मुक्ति का वचन" भी कहा जाता है। अर्थात किसी दिन हम सभी एक साथ एक ही स्थान पर होंगे।
● तीसरा वचन - “हे स्त्री देख, तेरा पुत्र। देख, तेरी माता।”
इस कथन को "द वर्ड ऑफ़ रिलेशनशिप"(The Word of Relationship) भी कहा जाता है। यह वचन मूलतः माता और पुत्र के संबंध को इंगित करता है।
● चौथा वचन - “हे मेरे परमपिता परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?”
इस कहावत को लोग मुख्यतः पिता-पुत्र के बीच त्याग सम्बन्ध को लेकर देखते हैं। यहां यीशु को मानवता के पापों को मिटाने के लिए परमपिता परमेश्वर से दूर होना पड़ा।
● पांचवा वचन - “मैं प्यासा हूं।”
इस कथन को "द वर्ड ऑफ डिस्ट्रेस"(The Word of Distress) भी कहा जाता है।
● छठा वचन - “पूरा हुआ।”
इस कथन को पारंपरिक रूप से "द वर्ड ऑफ़ ट्रायम्फ"(the word of triumph) कहा जाता है,। इसे धार्मिक रूप से यीशु के सांसारिक जीवन से अंत की घोषणा के रूप में देखा जाता है।
● सातवां वचन - “हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं।”
इस कथन को पारंपरिक रूप से "द वर्ड ऑफ रीयूनियन" (The word of reunion) कहा जाता है, यहाँ पर यीशु मुश्किलों में घिरे होने पर स्वयं को पूर्ण रूप से परमात्मा को सौंपने का सन्देश देते हैं।
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