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महिला पुलिस कर्मियों के समस्याओं पर राज्य स्तरीय कार्यशाला 16-May-2023
महिला पुलिस कर्मियों की चुनौतियों पर अध्ययन रिपोर्ट के लांच पर राज्य स्तरीय कार्यशाला में शामिल हुई छग राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक 
 
महिला पुलिस कर्मियों के समस्याओं पर आयोग उनके साथ खड़ी है- डॉ.किरणमयी नायक
 
रायपुर/16 मई 2023/ पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय (पीटीएस), माना, रायपुर में "महिला पुलिस कर्मियों के मुद्दों को संबोधित करने और अध्ययन रिपोर्ट लॉन्च करने के लिए राज्य स्तरीय कार्यशाला में उक्त रिपोर्ट आयोजित की गई थी। इस संदर्भ में, पुस्तक विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया गया है। प्रशिक्षण विद्यालय, माना, रायपुर में  गिरिधारी नायक, आईपीएस (सेवानिवृत्त) (कार्यवाहक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ मानवाधिकार आयोग), डॉ. किरणमयी नायक (अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग), डॉ इरफान-उल रहीम खान (आईपीएस) एसपी, पुलिस ट्रेनिंग स्कूल सुश्री चंचल तिवारी (एएसपी) सहित अन्य पुलिस अधिकारी व प्रशिक्षु ।
 
4 राज्यों (छत्तीसगढ़, झारखण्ड, ओडिशा, मध्यप्रदेश,) के महिला पुलिस कर्मियों पर किए गए समेकित डेटा से पता चलता है, जिसमें महिला पुलिस उत्तरदाताओं की सबसे बड़ी संख्या ने अपने संबंधित राज्यों के पुलिस विभाग में 1 से 10 साल की सेवा में योगदान दिया है (328 में से 209 यानी 63.72%), 88 उत्तरदाताओं (26.83%) ने 11 से 11 साल तक पुलिस विभाग में काम किया है। 20 साल। 23 उत्तरदाताओं (7.01%) ने पुलिस विभाग में 21 से 30 वर्षों तक सेवा प्रदान की है और 8 (2.44%) ने पुलिस विभाग में 30 से अधिक वर्षो तक सेवा प्रदान की है।यह देखा गया है कि छत्तीसगढ़ में 67.05% उत्तरदाताओं ने कहा कि पुलिस स्टेशन / चौकी / यातायात पोस्ट के पास स्वच्छ शौचालय उपलब्ध नहीं हैं। 6.47% ने उत्तर दिया विश्राम कक्ष उपलब्ध नहीं है, 78.82% उत्तरदाताओं को विषम कार्य घंटों के दौरान परिवहन सुविधाओं तक पहुंच नहीं है, 48.23% को क्वार्टर अलॉट नहीं किए गए हैं। कुल उत्तरदाताओं में से 26.22% मानते हैं कि पुरुष सहकर्मी कभी-कभी पितृसत्तात्मक रवैया रखते हैं. कुल उत्तरदाताओं में से 56.098% सोचते हैं कि पुलिस विभाग काम करने के लिए एक अच्छी जगह है जबकि 22.87% अन्यथा सोचते हैं, 31.76% उत्तरदाताओं ने कहा कि वे 8-10 घंटे से काम करते हैं, 50 % काम 10-15 घंटे, 4.70% 15 घंटे से ज्यादा काम करते हैं। केवल 3.52% ने कहा कि यह काम के प्रकार पर निर्भर करता है- कुल उत्तरदाताओं में से 10.59% ने अपने कार्य जीवन के विभिन्न पड़ावों पर यौन उत्पीड़न का सामना किया, 73% उत्तरदाताओं को यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की प्रक्रियाओं की जानकारी नहीं है, उनमें से अधिकांश आंतरिक परिवाद समिति (आईसीसी) के बारे में जागरूक नहीं है, जहां वे यौन उत्पीड़न का सामना करने के मामले में शिकायत कर सकते हैं। 
WPS की भेदी चिंताएं (1) परिवार के साथ-साथ स्वयं के लिए भी समय नहीं, (2) सप्ताहांत की छुट्टी नहीं, (3) सक्षम नहीं होना अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए (4) स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आदि, लगभग 68.59% जनता से सकारात्मक आचरण का अनुभव करते हैं। नगण्य 3.04% को लगता है कि जनता आज्ञा का पालन नहीं करती है,छत्तीसगढ़ के कुल उत्तरदाताओं में से 40% का मानना है कि एक सैनिटरी डिस्पेंसर बहुत आवश्यक हैं।
 
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने उपस्थित सभी को संबोधित करते हुए कहा कि निश्चित ही महिला पुलिस  दलों के लिए सार्वजनिक जीवन में कठिनाइयां आती रहती है और उनसे जुड़ी हुई इस पुस्तक का आज विमोचन किया गया है वह उन्हें सहायता प्रदान करेगी और मैं उन सभी सहभागीयों को बधाई देती हूं जिन्होंने इतना सुंदर पुस्तक का निर्माण किया है जिसमें महिला पुलिसकर्मियों को आने वाली सभी कठिनाइयाँ से मुकाबला करने में सहायता प्रदान करेगी।
 
आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने उपस्थित पुलिस अधिकारियों को सलाह देते हुए कहां की महिला पुलिस कर्मियों को भीड़ भाड़ इलाकों में या धरना प्रदर्शन जैसे माहौल में प्रसाधन की असुविधा का सामना करना पड़ता है जिसके लिए अगर मोबाइल टॉयलेट की व्यवस्था कर दिया जाए तो उन्हें निश्चित ही सहायता मिलेगी। मैंने कई बार देखा है कि एक महिला पुलिसकर्मी को 4 से 6 घंटे लगातार खड़ा होकर ड्यूटी करना पड़ता है जिससे उन्हें बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मैं पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों से यह कहना चाहती हूं कि मोबाइल टॉयलेट जैसे व्यवस्था के लिए कोई फंड की जरूरत नहीं पड़ती है इसे किसी  भी कंपनी के csr fund से बातचीत करके भी पूरा किया जा सकता है अथवा छत्तीसगढ़ महिला आयोग आपके साथ खड़ी है और जो भी हो सके मदद करने को तैयार है।डॉ किरणमयी नायक ने कहा कि पुलिसकर्मियों की परेशानी किसी से छुपी नहीं है आयोग में भी हमने बहुत सारे ऐसे मामलों का निराकरण किया है जिसमें महिला और पुरुष पुलिसकर्मी शिकायत लेकर आते हैं परिवारिक मामलों में उन्हें बहुत सारे परेशानियों का मुकाबला करना पड़ता है क्योंकि पुलिस विभाग का कार्य ही कठिनाइयों से भरा होता है। डॉ किरणमयी नायक ने अपना उदाहरण देते हुए बताया कि एक वर्दी का सम्मान कैसे होता है। चाहे वकील हो या पुलिस या फिर कोई भी अधिकारी जब भी वह अपने वर्दी में होता है उसका सम्मान सभी जगह होता है। आप भी जब अपनी वर्दी को पहन कर अपने कार्य क्षेत्र में जाती होंगी तो अपराधियों के मन में डर का माहौल बनता होगा। कोई भी महिला खुद को कमजोर ना समझे आपकी वर्दी ही आपकी पावर है। अंत में डॉ. किरणमयी नायक ने आयोजक टीम को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि महिलाओं के प्रति ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिए जिससे महिला सशक्त होंगी और पुरूषों के साथ में कदम से कदम मिलाकर बिना किसी भय के आगे बढ़ेंगी।


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