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छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार : हरेली हरेली त्यौहार कब मनाया जाता है?
हमारा भारत देश प्रकृति का उपासक है प्रकृति की रक्षा करना हमारा धर्म ही नहीं बल्कि परम कर्तव्य भी है प्रकृति के बिना जीवन संभव नहीं है पर्यावरण संरक्षण से न केवल मानव जीवन सुधार अपितु पर्यावरण वन संसाधन संवर्धन से वन्य जीवों की भी रक्षा होती है।
प्रकृति के साथ साथ किसान अपनी फसल की रक्षा की कामना करते हुए पूजा करते हैं ताकि मौसमी बीमारी एवं कीट पतंगों से फसल की रक्षा हो और अधिक पैदावार मिल सके।
हरेली त्यौहार कब मनाया जाता है?
श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को हरेली त्यौहार Hareli Festival मनाया जाता है अर्थात हरेली तिहार जुलाई के महीने में आती है।
हरेली तिहार मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ प्रदेश में मनाया जाने वाला त्यौहार है छत्तीसगढ़ राज्य एक कृषि प्रधान प्रदेश है यहां की अधिकांश आबादी कृषक वर्ग से आते हैं। हरेली पर्व किसानों से ज्यादा तालुक रखता है क्योंकि किसान अपने खेत में फसल हरा भरा हो जाता है तब हरेली त्यौहार मनाते हैं।
हरेली अमावस्या अर्थात श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को किसान अपनी खेत एवं फसल की धूप दीप अक्षत से पूजा करते हैं ताकि फसल में किसी भी प्रकार की बीमारी से ग्रसित न हो। पूजा में विशेष रूप से भिलवा वृक्ष की पत्ते टहनियां तथा दशमूल ( एक प्रकार की कांटेदार पौधे ) को खड़ी फसल में लगाकर पूजा करते हैं माना जाता है कि इससे कई प्रकार की हानिकारक कीट पतंगों एवं फसल में होने वाले बिमारियों से रक्षा होती है।
हरेली अमावस्या को कोई भी किसान अपने खेतों में कार्य नहीं करते हैं इस दिन खेती कार्य करना वर्जित है। हरेली त्यौहार को गेड़ी चढ़ने का त्योहार भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन लोग बांस की लकड़ी से गेड़ी बनाकर गेड़ी चढ़ते हैं , गेड़ी चढ़ने का आनंद ही अलग है लोग इस दिन गेड़ी चढ़कर आनंद उत्सव मनाते हैं।
हरेली त्यौहार के दिन गांव के पुजारी बैगा घर घर जाकर दशमूल पौधा एवं भिलवा पत्ते आदि को घर मुख्य दरवाजे पर बांधते हैं एवज में पुजारी बैगा को अन्न भेंट किया जाता है।
इस वर्ष हरेली त्यौहार 2023 में 17 जुलाई दिन सोमवार को है क्योंकि इस दिन श्रावण अमावस्या पड़ रही है।
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