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छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय क साथ होती है. इसलिए यह दिन बहुत खास होता है
पंचांग के अनुसार छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. लेकिन इसकी शुरुआत चतुर्थी तिथि से नहाय-खाय के साथ हो जाती है और सप्तमी तिथि को व्रत का पारण किया जाता है. लोकआस्था का महापर्व छठ (Mahaparv Chhath) पूरे चार दिनों तक चलता है.
छठ पर्व शुरू होने में अब कुछ ही दिन शेष है, ऐसे में चारों ओर छठ पूजा की तैयारी शुरू हो गई है और घर-घर छठ मईया व सूर्य देव के गीत भी गाए जा रहे हैं. बता दें कि चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व उषा, प्रकृति, जल, वायु और सूर्यदेव की बहन षष्ठी माता को समर्पित है. इसमें विशेष रूप से सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है और यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. आज भी लोग भक्तिभाव और पूर्ण श्रद्धा के साथ इसे मनाते हैं. इसलिए इसे लोकआस्था का महापर्व कहा जाता है.
छठ पर्व 2023 तिथि (Chhath Puja 2023 Date)
छठ पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है और इसमें व्रती पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती है. इसलिए छठ व्रत को कठिन व्रतों में एक माना गया है. इस साल छठ पर्व की शुरुआत 17 नवंबर 2023 से हो रही है. इस दिन व्रती नहाय-खाय के साथ छठ पर्व की शुरुआत करेगी. वहीं 20 नवंबर को ऊषा अर्घ्य और पारण के साथ छठ पर्व का समापन हो जाएगा. छठ व्रत सुहाग की लंबी आयु, संतान के सुखी जीवन और घर पर सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है. आइए जानते हैं 17-20 नवंबर तक चलने वाले छठ पर्व में किस दिन क्या किया जाएगा?
छठ पूजा की तिथि | छठ पूजा का दिन | छठ पूजा अनुष्ठान |
शुक्रवार, 17 नवंबर 2023 | पहला दिन | नहाय-खाय |
शनिवार, 18 नवंबर 2023 | दूसरा दिन | खरना |
रविवार, 19 नवंबर 2023 | तीसरा दिन | संध्या अर्घ्य |
सोमवार, 20 नवंबर 2023 | चौथा दिन | उषा अर्घ्य |
नहाय-खाय 2023 कब (Nahay-Khay 2023 Date):
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय क साथ होती है. इसलिए यह दिन बहुत खास होता है. इस साल नहाय-खाय शुक्रवार 17 नवंबर 2023 को है. इस दिन सूर्योदय 06 बजकर 45 मिनट पर होगा और सूर्यास्त शाम 05 बजकर 27 मिनट पर होगा. नहाय खाय के दिन व्रती सुबह नदी स्नान करती है और इसके बाद नए वस्त्र धारण कर प्रसाद ग्रहण करती है. छठ पूजा के नहाय-खाय में प्रसाद के रूप में कद्दू चना दाल की सब्जी, चावल आदि बनाए जाते हैं. सभी प्रसाद सेंधा नमक और घी से तैयार होता है. व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बाद घर के अन्य सदस्य भी इस सात्विक प्रसाद को ग्रहण करते हैं.
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