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आयोग के समझाईश पर बच्चे के खाने खर्चे के लिए 2500 रू. व 1000 रू. स्कूल फीस पिता देगा।
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण डॉ. अर्चना उपाध्याय, श्रीमती एवं श्रीमती बालो बघेल ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 235 वीं सुनवाई हुई। रायपुर जिले में कुल 111 वीं जनसुनवाई।
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में दो महिलाओं ने आयोग की समझाईश पर किया सुलहनामा। आयोग से कहा भविष्य में आपसी झगड़ा नही किया जायेगा। इसी सहमति के आधार पर आयोग ने प्रकरण नस्तीबध्द किया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने आवेदन प्रस्तुत किया जिसके अनुसार मछुआरा समूह के चार सदस्य थे, जिनमें से एक अनावेदक की मृत्यु हो गयी है और दूसरा अनावेदक पहले ही समिति छोड़ चुका है। ऐसी स्थिति में आवेदिकागण ही इस समिति के शेष 2 सदस्य ही रह गए है जो अब समिति के जिम्मेदार सदस्य है और गांव के तालाब को 10 साल के पट्टे पर लिये थे। अतः शेष बचे हुए पट्टे की अवधि में आवेदिकागण तालाब के मछलीपालन के लिए वैधानिक रूप से पट्टाधारी है व उनका कार्य की मियाद की अवधि तक आवेदिकागण वैधानिक रूप से अपनी पट्टा की शर्तों के अनुसार मछली पालन व मत्स्याखेट के लिए व शासन की लीज राशिपटाने के लिये जिम्मेदार होंगे। आयोग ने कहा कि प्रकरण में उपस्थित मत्स्य निरीक्षक को आवेदिकागण ऑर्डरशीट की कॉपी प्रस्तुत करे व अपनी वैधानिक कार्यवाही के अनुसार कार्य करे। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। आवेदिका का कहना है कि सामाजिक दबाव से तलाक करवा दिया गया है। आयोग ने दोनो पक्षों को समझाया और काउंसलर से चर्चा करने को कहा दोनो पक्षों ने समय की मांग की। आयोग ने अगली सुनवाई में प्रकरण सुनने की बात कही।
सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में महिला ने प्रकरण दर्ज कराया है। जिसमें महिला के पति व अनावेदिका स्कूल व कॉलेज में सहपाठी थे। आवेदिका व उसके पति का विवाह 2005 में हो चुका है। अनावेदिका आवेदिका के पति से दोस्त के हैसियत से मिली थी। 17 साल बाद आवेदिका को धमकाने लगी और आवेदिका के पति से तलाक दिलाकर खुद शादी करने के लिए परेशान करने लगी। अनावेदिका से पूछा गया वह कहती है कि उसने आवेदिका के पति से विवाह किया है किंतु कोई प्रमाणित दस्तावेज नहीं है। आवेदिका का पति व अनावेदिका दोनों वयस्क है और सहमति से अवैध संबंध में रह रहे थे। जिसे वैधानिक रूप नहीं दिया जा सकता है। दोनो पक्षों की काउंसलिंग हुई लेकिन अनावेदिका 44 वर्ष आवेदिका के पति के साथ रहने के लिए दबाव डाल रही है। जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। आयोग ने कहा कि यदि अनावेदिका के पास रहने के लिए जगह नहीं है तो उसकी व्यवस्था नारी निकेतन में आयोग द्वारा करायी जा सकती है। आवेदिका को कहा गया कि वे अनावेदिका के खिलाफ थाने में एफ.आई.आर. करा सकती है व अनावेदिका को समझाइश दिया गया कि वे आवेदिका व उसके पति से भविष्य में कोई संबंध ना रखे यदि वह किसी भी तरह आवेदिका व उसके पति से संबंध रखती है तो आवेदिका अनावेदिका के विरूध्द तत्काल एफ.आई.आर. दर्ज करा सकेगी। आवेदिका को ऑर्डरशीट की प्रमाणित प्रतिलिपि निशुल्क प्रदान की गई ताकि वह अनावेदिका के खिलाफ उचित कानूनी कार्यवाही कर सके। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपनी बहू के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी । दोनों पक्षों को सुना गया अनावेदिका ने दस्तावेज प्रस्तुत किया आवेदिका उसके पति व बेटे तीनों के खिलाफ थाना खमतराई में एफ.आई.आर. दर्ज हो चुका है। आयोग द्वारा समझाईश दिया गया कि सारे प्रकरणों से लगातार जूझते रहने से समस्या का स्थायी समाधान नही होगा, दोनो पक्ष यदि चाहे तो दोनो पक्ष आयोग की मदद से विस्तृत सुलहनामा बनाकर आपसी रजामंदी से तलाक की प्रकिया कर सकते है। दोनो पक्षों ने समय की मांगा है। प्रकरण आगामी सुनवाई में रखा गया।
एक अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों का काउंसलिंग किया गया। दोनो पक्ष साथ रहने के लिए तैयार है। इनकी विस्तृत लिखा-पढ़ी कर एग्रीमेंट तैयार किया जायेग व 1 वर्ष तक दोनो पक्षों की निगरानी की जायेगी। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।एक अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों के मध्य पूर्व में भी कई बार चर्चा हुई लेकिन एक मुश्त भरण-पोषण को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई। आवेदिका के सुविधा अनुसार गहनों की लिस्ट आयोग में दिया गया है। अनावेदक ने आवेदिका के गहने को गिरवी रखा है। गहने मुक्त करा कर आवेदिका को देगा। आयोग ने दोनो पक्षों के मध्य काउंसलर नियुक्त किया व दोनो पक्षों के मध्य गहने की वापसी अनावेदक द्वारा 4 माह के अंदर किया जायेगा। तत्पश्चात् प्रकरण नस्तीबध्द किया जायेगा।
एक अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों को सुना गया। दोनो पक्ष शासकीय सेवा में कार्यरत् है और उनकी दो साल की एक बच्ची है। आयोग ने समझाईश दिया कि दोनो के पास र्याप्त आधार है लेकिन वे तलाक नहीं लेना चाहते। आयोग ने उन्हें न्यायालय जाने का आदेश दिया। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में दोनो पक्षों के मध्य काउंसलिंग कराई गई। अनावेदक अपनी बच्ची के खाने खर्च के लिए 2500 रु. प्रति माह आवेदिका को नगद देगा व बच्ची की स्कूल फीस अनावेदक 1000 रू. स्कूल में जाकर पटायेगा। इस प्रकरण की निगरानी आयोग की काउंसलर द्वारा 6 माह तक की जायेगी।
एक प्रकरण में दोनो पक्षों को सुना गया। आवेदिका को शादी में मायके से दिये गये सामान को वापस देने के लिए अनावेदक पक्ष तैयार है। जिसमें आयोग की ओर से काउंसलर नियुक्त किया गया, काउसलर दोनो पक्षो के बीच सामान दिलाने में मदद करेंगी। सामान मिल जाने पर प्रकरण नस्तीबध्द किया जायेगा।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के ससुर के नाम पर देवेन्द्र नगर सेक्टर 3 में मकान है जिसके 4 हिस्सेदार है। आवेदिका के ससुर का स्वर्गवास हो चुका है लेकिन अभी तक मकान का नामांतर नहीं हुआ है। आयोग द्वारा समझाईश दिया गया की दोनो पक्ष नगर-निगम से नामांतरण की प्रकिया करावें। आयोग द्वारा काउंसलर नियुक्त किया गया जो 6 माह तक दोनो पक्षों के बीच निगरानी करेगी। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों को विस्तार से सुना गया व आवेदिका को समझाईश दिया गया कि वह अपने पति के साथ रहे। अनावेदक पति को भी समझाईश दिया गया कि बेटियां होने के कारण वह अपनी पत्नी से विवाद ना करे। यदि दोनो पक्ष सम्पत्ति में बंटवारा कराना चाहते है तो आयोग की काउंसलर से मदद ले सकते है इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
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