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Coronavirus: स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन बोले- दुनिया में कोरोना से सबसे कम संक्रमण और मृत्यु दर भारत में 25-Jul-2020

हर्षवर्धन ने शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में कहा कि प्रति दस लाख आबादी पर 864 मामले सामने आने और 21 से कम मरीजों की मृत्यु के साथ भारत दुनिया में कोरोना वायरस से सबसे कम संक्रमण और मृत्यु दर वाले देशों में से एक है.

ई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को कहा कि भारत दुनिया में कोरोना वायरस से सबसे कम संक्रमण और मृत्यु दर वाले देशों में से एक है और यहां कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के ठीक होने की दर 63.45 प्रतिशत है, जबकि मृत्यु दर 2.3 प्रतिशत है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस बीच देश में लगातार तीसरे दिन कोविड-19 से स्वस्थ हुए लोगों की संख्या 24 घंटे की अवधि में 34,602 के रिकार्ड उच्च स्तर पर पहुंच गयी. मंत्रालय ने कहा कि स्वस्थ हुए कुल लोगों की संख्या 8,17,208 हो गयी है.

 

संक्रमण से मृत्यु की दर घटकर 2.38 प्रतिशत हुई
मंत्रालय के शुक्रवार को जारी ताजा आंकड़ों में कहा गया कि संक्रमण से मृत्यु की दर घटकर 2.38 प्रतिशत हो गयी है. आंकड़ों के अनुसार भारत में एक दिन में संक्रमण के सर्वाधिक 49,310 मामले दर्ज किये गये और संक्रमण के मामले बढ़कर 12,87,945 हो गए. इस संक्रमण से मौत के 740 नये मामले सामने आने के बाद मृतक संख्या बढ़कर 30,601 हो गयी है.

 

भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति ने दिया महत्वपूर्ण योगदान

 

मंत्रालय के बयान के अनुसार, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किस प्रकार कोरोना वायरस महामारी के दौरान आम लोगों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

 

हर्षवर्धन ने कहा कि वर्तमान में पारंपरिक चिकित्सा में सहयोग पर चर्चा करने के लिए एससीओ के भीतर कोई संस्थागत तंत्र नहीं है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2014-2023 को पूरा करने की क्षमता रखता हो.

 

हर्षवर्धन ने महामारियों से निपटने में सहयोग पर 2018 में किंगदाओ शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षरित संयुक्त वक्तव्य के प्रभावी कार्यान्वयन पर भी जोर दिया. उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन के स्वास्थ्य मंत्रियों की मौजूदा संस्थागत बैठकों के तहत पारंपरिक चिकित्सा पर एक नए उप समूह की स्थापना का प्रस्ताव रखा.

 

हर्षवर्धन ने दुनिया भर में हुई मौतों पर जताई संवेदना
हर्षवर्धन ने कोविड-19 की चपेट में आने की वजह से दुनिया भर में हुई मौतों पर अपनी संवेदना व्यक्त की. इस महामारी को काबू में करने के लिए भारत की राजनीतिक प्रतिबद्धता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से स्थिति की निगरानी की है और जानलेवा वायरस को फैलने से रोकने के लिए सक्रिय और क्रमिक प्रतिक्रिया सुनिश्चित की.

 

स्वास्थ्य मंत्री ने की सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की चर्चा
हर्षवर्धन ने इस बीमारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि घातक वायरस पर काबू पाने के लिए क्रमबद्ध तरीके से कार्रवाई शुरू की गई जिसमें यात्रा परामर्श जारी करना, शहर या राज्यों में प्रवेश के स्थानों की निगरानी, समुदाय आधारित निगरानी, प्रयोगशाला और अस्पतालों की क्षमता बढ़ाना आदि शामिल था. उन्होंने कहा कि लगातार लॉकडाउन के दौरान भारत को तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने, प्रयोगशालाओं की क्षमता और अस्पतालों के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए आवश्यक समय और अवसर भी मिला.

 

लगातार बढ़ रही है स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या
मंत्रालय ने कहा कि स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या के लगातार बढ़ने के मद्देनजर संक्रमण से उबर चुके लोगों की संख्या इलाज करा रहे रोगियों की संख्या से 3,77,073 अधिक हो गयी है. देश में फिलहाल कोरोना वायरस के 4,40,135 मरीजों का इलाज चल रहा है. बयान में कहा गया है कि यह अंतर लगातार बढ़ रहा है. देश में 23 जुलाई तक कुल 1,54,28,170 नमूनों की जांच की जा चुकी है. बृहस्पतिवार को 3,52,801 नमूनों की जांच की गयी.

 

भारत में प्रति दस लाख लोगों पर 11 लोगों की हो रही है जांच
मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस लिहाज से भारत में प्रति दस लाख लोगों पर 11,179.83 जांच हो रही हैं और जांच, पता लगाने और उपचार किए जाने की रणनीति अपनाने के बाद उसमें लगतार वृद्धि हुई. मंत्रालय ने कहा कि स्वस्थ होने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि के साथ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रयासों को अधिक मरीजों वाले क्षेत्रों में विशेषज्ञों के केंद्रीय दल भेजने से बल मिला.’’

 

एम्स में शुरू हुआ भारत के पहले स्वदेशी विकसित कोविड टीके कोवैक्सिन का मानव परीक्षण
भारत के पहले स्वदेशी विकसित कोविड टीके कोवैक्सिन का पहले चरण का मानव परीक्षण शुक्रवार को एम्स में शुरू हुआ और 30 वर्षीय एक व्यक्ति को उसका पहला डेाज दिया गया. पिछले शनिवार से एम्स में इस परीक्षण के लिए 3500 से अधिक स्वयंसेवकों ने पंजीकरण करवाया है. इस अध्ययन से जुड़े एम्स के सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर संजय राय ने यह जानकारी दी.



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