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इस देश में मौजूद है पत्थरों का जंगल, आपने देखा क्या?
चीन ने पिछले तीन दशक में ज़बरदस्त तरक़्क़ी की है. इसके शहरों में बुलंद इमारतों की लंबी क़तारें दिखती हैं.
पर, चीन का एक जज़ीरा ऐसा है, जहां पर क़ुदरत ने ऐसा करिश्मा दिखाया है. इस द्वीप का मंज़र ऐसा है कि दूर से देखने पर क़तार से खड़ी इमारतें दिखती हैं.
चीन के झेजियांग सूबे के पूर्वी तट से लगे हुए हज़ारों छोटे-बड़े द्वीप हैं. इनमें से ज़्यादातर तो बहुत छोटे हैं. उनमें कोई रहता नहीं है. लेकिन, पूर्वी चीन सागर के इस में स्थित एक द्वीप हुआओ की बहुत चर्चा होती है. चीन के लोग इसे शिलिन यानी पत्थरों का जंगल कहते हैं.
क़रीब 13 वर्ग किलोमीटर का ये छोटा सा द्वीप, क़ुदरत के करिश्मे की शानदार मिसाल है. समंदर के थपेड़ों से कटे-छंटे किनारों वाले इस द्वीप में प्रकृति की संगतराशी का नमूना दिखता है.
इस द्वीप को दूर से देखेंगे, तो लगेगा कि भूरे और काले रंग की इमारतें क़तार से पानी के भीतर से निकल रही हैं. ये मंज़र देखकर लगता है कि आप दूसरी दुनिया में आ गए हैं. ऐसा लगता है कि ज्वालामुखी ने यहां पर पाइप आर्गेन नाम का वाद्य यंत्र ही रच दिया है.
कई लोग इसे जायंट्स कॉज़वे कहते हैं. ये उत्तरी आयरलैंड में स्थित है. जहां पर इसी तरह समुद्र के भीतर से छोटी चट्टानें निकली हुई हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि इन्हें बारीकी से तराशा गया है.
चाइना यूनिवर्सिटी में भूविज्ञान के प्रोफ़ेसर केचिन सन बताते हैं कि ये चट्टानें मेसोज़ोइक महायुग में बनी थीं. यानी आज से क़रीब 7 करोड़ साल पहले. प्रोफ़ेसर केचिन के मुताबिक़, ये द्वीप धरती की यूरेशियन और प्रशांत महासागरीय प्लेट के बीच में स्थित है. धरती के भीतर ये प्लेटें अक्सर आपस में टकराती रहती हैं.
इसी वजह से इस इलाक़े में ज्वालामुखी विस्फोट और भूकंप आने की घटनाएं ज़्यादा होती हैं. करोड़ों साल पहले ज्वालामुखी विस्फोट से निकला लावा ही इस द्वीप की बुनियाद बना.
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