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*CG24 न्यूज की खबर का हुआ असर : 24 घंटो के अंदर डिस्चार्ज किये गए कोरोना मरीज को मिली राहत 01-Nov-2020
*CG24 न्यूज की खबर का हुआ असर : 24 घंटो के अंदर डिस्चार्ज किये गए कोरोना मरीज को खबर लगते ही जिला कोविड अस्पताल में किया भर्ती बिलासपुर सी एम ओ प्रमोद महाजन ने खबर पर लिया संज्ञान* *सी जी 24 न्यूज की खबर पर सी एम ओ व संभागीय कोविड 19 प्रभारी प्रमोद महाजन ने दिखाई तत्परता* *क्या था पूरा मामला* सिम्स से कोरोना पॉजिटिव युवक को 24 में डिस्चार्ज कोरोना नोडल अधिकारी आरती पांडेय का कारनामा इस खबर को पढ़ते ही तुरंत डॉ प्रमोद महाजन ने आइसोलेशन सेंटर एम्बुलेंस भेज उसलापुर निवासी युवक राहुल सिंह को जिला कोविड अस्पताल में वापस किया गया भर्ती अब देखने वाली बात होगी कि सिम्स कोरोना नोडल अधिकारी पर सी एम ओ कोई कार्यवाही करते है अथवा नही । उल्लेखनीय है कि एक करोना मरीज ने CG 24 News से अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए सहयोग मनगा था| कोरोना पॉजिटिव आये युवक 24 घंटो में ही डिस्चार्ज सिम्स अस्पताल से आइसोलेशन सेंटर में किया गया शिफ्ट सिम्स कोरोना नोडल अधिकारी आरती पाडेय ने किया डिस्चार्ज मरीज को सास लेने में हो रही थी परेशानी बिलासपुर-कोरोना मरीजों की संख्या के साथ-साथ सरकारी बेपरवाही बढ़ती जा रही है। कोविड-19 सेंटरों से मरीजों को एक दिन में किया जा रहा डिसचार्ज वह भी बिना जांच किए कि मरीज निगेटिव हुआ या नहीं। ठीक उसी तरह जैसे सजा पूरी होने पर व्यक्ति को जेल से रिहा कर दिया जाता है। गाइडलाइन का हवाला दिया जा रहा है, लेकिन यह लापरवाही घातक साबित हो सकती है। दूसरों के लिए तो संक्रमण का खतरा है ही, इसके साथ मरीजों की जान पर भी यह भारी पड़ सकती है। कुछ ऐसा वाक्या आज बिलासपुर के सबसे बड़े अस्पताल सिम्स में घटा, जहां राहुल सिंह नामक युवक जो उसलापुर का निवासी है कोरोना पॉजिटिव आने पर सिम्स अस्पताल में भर्ती हुआ था पर एक दिन में ही सिम्स की नोडल अधिकारी व पी आर ओ आरती पांडेय ने मरीज को आइसोलेशन सेंटर भेज दिया। और डिसचार्ज नियमो का हवाला देते हुए मरीज से बत्तमीजी से बात करते हुए जबरन आइसोलेशन सेंटर शिफ्ट कर दिया । जबकि मरीज उनसे अपनी परेशानी बार बार कहता रहा कि उसे सास लेने में प्रॉब्लम हो रही है | मरीज का साफ तौर पर कहना था है जब उसे अस्पताल में नही रखा जा सकता तो उसे होम आइसोलेशन में रहने दिया जाए लेकिन यहां लगता है कि सरकार से पैसे कमाने उसे जबरजस्ती आइसोलेशन सेंटर में रखा जा रहा। सिम्स की स्थित सुधरने का नाम नही लेती ऐसे कई मामले उजागर हो चुके है लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। भारत में डिस्चार्ज नीति भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों को हल्के या बहुत हल्के मामले, थोड़े गंभीर मामले और अत्यधिक गंभीर मामलों की श्रेणी में विभाजित किया है। पहली कैटेगरी के मरीजों को लगातार तीन दिन तक बुखार नहीं आने पर संक्रमण के 10 दिन बाद डिस्चार्ज किया जाता है। उनका कोरोना वायरस टेस्ट करना भी आवश्यक नहीं होता। इन मरीजों को डिस्चार्ज के बाद सात दिन होम क्वारंटाइन में रहना पड़ता है। दूसरी कैटेगरी के मरीजों को ए और बी कैटेगरी में बांटा गया है। ए कैटेगरी के मरीजों का बुखार यदि पहले तीन दिन में ठीक हो जाए और चार दिन तक ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़े तो उसे 10 दिन बाद बिना टेस्ट के डिस्चार्ज किया जा सकता है। बी कैटेगिरी के मरीजों को शुरू के तीन दिन बुखार रहने और ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होने पर पूरी तरह से स्वस्थ होने पर बिना टेस्ट के छुट्टी दी जाती है। नोडल अधिकारी आरती पांडेय का मरीज से इस तरह से बात करना उस पर चिल्लाना अशोभनीय मन्नू मानिकपुरी संवाददाता बिलासपुर


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