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प्रधानमंत्री को चाहिए कि वे भारी भीड़ वाली सभाएं ना करें :: जिससे करोना का फैलाव ना हो 21-Mar-2021
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गाहे-बगाहे कभी भी दूरदर्शन, टीवी चैनलों पर आकर देश के लोगों को संदेश देते हैं कि मास्क लगाएं, 2 गज दूरी रखें, सैनिटाइजर का उपयोग करें और देशहित में करोना को बढ़ने से रोके, इसके लिए उन्होंने अनेकों बार आम जनता से अपील की है कि करोना गाइडलाइन का पालन करें , घर से बाहर ना निकले, जरूरी हो तभी निकले, परंतु इन सबके बावजूद उनकी खुद की चुनावी सभाओं में हजारों नहीं लाखों ही लाखों भी मतलब 1 - 2 लाख नहीं 4 - 5 लाख की संख्या में लोगों को आमंत्रित कर उन्हें भारतीय जनता पार्टी की रीति नीति को बताने के साथ-साथ विपक्षी दलों की खामियों को उजागर किया जाता है | अब मेरा सवाल यह है कि जो प्रधानमंत्री पूरे देश के नागरिकों को बार-बार करोना गाइडलाइन का पालन करने, मास्क लगाने, सैनिटाइजर लगाने, 2 गज की दूरी रखने, घरों से बिना कारण बाहर न निकलने का आव्हान करते हैं वही प्रधानमंत्री अपनी चुनावी सभाओं में अपने दल के नेताओं द्वारा भीड़ इकट्ठी कर बिना मास्क के, बिना सोशल डिस्टेंसिंग के, लाखों लोगों की भीड़ को चुनावी सभा के रूप में संबोधित करते हैं और उन्हें भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील करते हैं और इस भारी भीड़ को बिना मास्क, बिना सोशल डिस्टेंसिंग, बिना सेनीटाइजर के देखने के बावजूद और इतनी भारी भीड़ को एक जगह घरों से बाहर बुला कर संबोधित करने के दौरान उन्हें केंद्र की गाइडलाइन का विरोध नजर क्यों नहीं आता ? - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चाहिए कि वह अपने सरकारी आवास पर ही बैठ कर मीडिया में अपनी बात रखकर अपना चुनावी प्रचार, अपना संबोधन, अपना पक्ष रखकर, घर - घर तक पहुंचा देते, ताकि लोग सड़कों पर ना निकलते, घरों से बाहर ना निकले भीड़ में इकट्ठे ना हो और उन तक मतलब आम नागरिक तक, आम मतदाता तक प्रधानमंत्री की बात मीडिया के टीवी चैनलों के माध्यम से पहुंच जाती, परंतु यह आश्चर्य का ही विषय है कि इतने समझदार प्रधानमंत्री अलग-अलग विधानसभाओं में, अलग-अलग प्रदेशों में जाकर भीड़ इकट्ठी कर, करोना महामारी को फैलाने में सहयोग कर गाइडलाइन का उल्लंघन कर रहे हैं - जब देश का सर्वोच्च, प्रमुख, जवाबदार व्यक्ति ही अपनी पार्टी के स्वार्थ के लिए जगह-जगह जाकर चुनावी सभाओं को संबोधित कर करोना गाइडलाइन और कानून का उल्लंघन करेगा तो किस में हिम्मत है कि उन पर या उनकी पार्टी पर या उनके स्थानीय नेताओं पर कोई कार्यवाही करे | बहरहाल हमने अपनी बात रख दी, वह सही है या गलत कह नहीं सकते, परंतु देश के संविधान के अनुसार हमें अपनी राय रखने का अधिकार है, हो सकता है कि हम गलत हो, तो उसके लिए हम संबंधित राजनीतिक पार्टी, संबंधित नेता, संबंधित अधिकारी, सहित देश के सर्वोच्च निर्णय करता सुप्रीम कोर्ट से हाथ जोड़कर माफी भी मांगते हैं और आग्रह करते हैं कि देश में कही भी सार्वजनिक सभाओं, चुनावी भीड़ के कार्यक्रमों भीड़ में चुनावी प्रचार रैलियों आदि पर करोना महामारी के समाप्त होने तक सख्त रोक लगा दें |


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