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गौठान में संचालित रोजगार मूलक कार्यों से बनी आत्मनिर्भर स्वाद और पोषण परोसकर महिलाओं ने कमाया मुनाफा 29-Jul-2021

ग्रामीण अंचल की महिलाएं अब घर के कामों तक ही सीमित नहीं रहीअब वे घर के कामों से समय निकाल कर अतिरिक्त आर्थिक लाथ अर्जित के लिए समूह में जुड़कर कार्य कर रही हैं। आमतौर पर महिलाएं घर की छोटी मोटी जरुरतों को पूरा करने के लिए भी आर्थिक सहायता के लिए अपने पति पर निर्भर रहती थी। अब रोजगार मूलक योजनाओं और गतिविधियों के संचालन होने से महिलाएं स्वावलंबी और आत्मनिर्भर होने लगी है। बिहान समूह से जुड़कर महिलाएं कार्य करने लगी हैजिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होती हैजिससे महिलाओं को अब घरेलु सामनों के लिए किसी अन्य सदस्य पर निर्भरता कम होने लगी है। बच्चों को खिलौने दिलानाघर के बड़े बुजुर्गों के लिए दवाई लेने के साथ  ही स्वयं की जरुरतों के सामान सहित अन्य छोटे मोटे खर्चें खुद ही वहन कर लेती हैं।

सब्जियों और अण्डे से हुई लाखों की आमदनी 

जिले में स्व-सहायता समूहों की महिलाओं ने गौठानों में विभिन्न प्रकार की सब्जियों का उत्पादन किया। गौठान में अलग-अलग स्थानों पर बाड़ी बनाकर अनेक साग सब्जियां लगाईजिसमें पालक भाजीलाल भाजीखीराबरबट्टीभिण्डीटमाटरबैंगनकरेलाधनियामिर्ची लौकीबीन्समूलीगांठ गोभी इत्यादि शामिल है। समूह की महिलाएं पूरी लगन से इन साग सब्जियों की देखभाल में लगी रहती। गोठान में ही निर्मित वर्मीखाद का उपयोग सब्जियों में किया। महिलाओं द्वारा गौठानों में उत्पादित ताजी-हरी और पोषण से भरपूर सब्जियों का विक्रय स्थानीय बाजारों में किया गया। सब्जियां बेचकर उन्हें 1 लाख 52 हजार 690 रुपए का लाभ हुआ।

वहीं गौठानों में समूहों की महिलाओं द्वारा शबरी लेयर मुर्गी फार्मिंग भी की जा रही है। पशुधन विकास विभाग से प्रति समूह को 50 नग मुर्गी प्रदाय की गई है। मुर्गी से प्राप्त इन अण्डों का विक्रय कर कुल 9 लाख 582 रुपए अर्जित कर चुकी है। अण्डे पोषण का स्त्रोत हैंजो आंगनबाड़ियों में बच्चों को कुपोषण को मात देने में उपयोग किए जा रहें हैंइसके साथ ही स्थानीय बाजारों और ग्राहकों में भी इन पौष्टिक अण्डों की अच्छी मांग रहती है।

 

शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं से महिलाओं को मिला प्रोत्साहन

ग्रामीण अंचल की महिलाएं अब घर के कामों तक ही सीमित नहीं रहीअब वे घर के कामों से समय निकाल कर अतिरिक्त आर्थिक लाथ अर्जित के लिए समूह में जुड़कर कार्य कर रही हैं। आमतौर पर महिलाएं घर की छोटी मोटी जरुरतों को पूरा करने के लिए भी आर्थिक सहायता के लिए अपने पति पर निर्भर रहती थी। अब रोजगार मूलक योजनाओं और गतिविधियों के संचालन होने से महिलाएं स्वावलंबी और आत्मनिर्भर होने लगी है। बिहान समूह से जुड़कर महिलाएं कार्य करने लगी हैजिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होती हैजिससे महिलाओं को अब घरेलु सामनों के लिए किसी अन्य सदस्य पर निर्भरता कम होने लगी है। बच्चों को खिलौने दिलानाघर के बड़े बुजुर्गों के लिए दवाई लेने के साथ  ही स्वयं की जरुरतों के सामान सहित अन्य छोटे मोटे खर्चें खुद ही वहन कर लेती हैं।

सब्जियों और अण्डे से हुई लाखों की आमदनी 

जिले में स्व-सहायता समूहों की महिलाओं ने गौठानों में विभिन्न प्रकार की सब्जियों का उत्पादन किया। गौठान में अलग-अलग स्थानों पर बाड़ी बनाकर अनेक साग सब्जियां लगाईजिसमें पालक भाजीलाल भाजीखीराबरबट्टीभिण्डीटमाटरबैंगनकरेलाधनियामिर्ची लौकीबीन्समूलीगांठ गोभी इत्यादि शामिल है। समूह की महिलाएं पूरी लगन से इन साग सब्जियों की देखभाल में लगी रहती। गोठान में ही निर्मित वर्मीखाद का उपयोग सब्जियों में किया। महिलाओं द्वारा गौठानों में उत्पादित ताजी-हरी और पोषण से भरपूर सब्जियों का विक्रय स्थानीय बाजारों में किया गया। सब्जियां बेचकर उन्हें 1 लाख 52 हजार 690 रुपए का लाभ हुआ।

वहीं गौठानों में समूहों की महिलाओं द्वारा शबरी लेयर मुर्गी फार्मिंग भी की जा रही है। पशुधन विकास विभाग से प्रति समूह को 50 नग मुर्गी प्रदाय की गई है। मुर्गी से प्राप्त इन अण्डों का विक्रय कर कुल 9 लाख 582 रुपए अर्जित कर चुकी है। अण्डे पोषण का स्त्रोत हैंजो आंगनबाड़ियों में बच्चों को कुपोषण को मात देने में उपयोग किए जा रहें हैंइसके साथ ही स्थानीय बाजारों और ग्राहकों में भी इन पौष्टिक अण्डों की अच्छी मांग रहती है।

 

शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं से महिलाओं को मिला प्रोत्साहन

छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी योजना के नरवागरूवाघुरूवा बारी अन्तर्गत सुकमा जिले में निर्मित गोठानों में मल्टीएक्टीविटी केन्द्र के रूप में विकसित किए गए हैं। जहां समूह की महिलाओं द्वारा गोठान परिसर में सब्जी भाजी का उत्पादन के साथ ही वर्मी कम्पोस्ट का निर्माणमुर्गी पालन सहित अन्य रोजगार मूलक गतिविधियां संचालित कर रही है। इन गतिविधियों से जहाँ ग्रामीणजनों और कृषकों को लाभकारी प्राकृतिक उत्पाद प्राप्त हो रहें हैंवहीं महिलाओं को आर्थिक लाभ मिल रहा है। गौठानों में विभिन्न रोजगार मूलक गतिविधियां संचालित होने से यहां की महिला समूहों को रोजगार के नए अवसर के साथ ही अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने का मौका भी मिल रहा है जिससे महिलाएं प्रेरित होकर अपने मित्रों को भी समूह से जोड़ रही है।

छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी योजना के नरवागरूवाघुरूवा बारी अन्तर्गत सुकमा जिले में निर्मित गोठानों में मल्टीएक्टीविटी केन्द्र के रूप में विकसित किए गए हैं। जहां समूह की महिलाओं द्वारा गोठान परिसर में सब्जी भाजी का उत्पादन के साथ ही वर्मी कम्पोस्ट का निर्माणमुर्गी पालन सहित अन्य रोजगार मूलक गतिविधियां संचालित कर रही है। इन गतिविधियों से जहाँ ग्रामीणजनों और कृषकों को लाभकारी प्राकृतिक उत्पाद प्राप्त हो रहें हैंवहीं महिलाओं को आर्थिक लाभ मिल रहा है। गौठानों में विभिन्न रोजगार मूलक गतिविधियां संचालित होने से यहां की महिला समूहों को रोजगार के नए अवसर के साथ ही अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने का मौका भी मिल रहा है जिससे महिलाएं प्रेरित होकर अपने मित्रों को भी समूह से जोड़ रही है।



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