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नए सेट अप में संस्कृत विषय को हटाने से शिक्षक नाराज, प्रदर्शन कर जिला शिक्षा अधिकारी को सौंपा ज्ञापन 10-May-2022
रायगढ़। शासन से प्राप्त निर्देश के बाद जिले के हाई स्कूलों से संस्कृत विषय के व्यख्याता पद को समाप्त किए जाने के मुद्दे को लेकर व्याख्याताओं में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। उनके बताए अनुसार नए सेटअप लागू होने के बाद हाई स्कूलों में संस्कृत शिक्षकों की पदस्थापना नहीं की जाएगी। इस बात को लेकर नाराज जिले के संस्कृत व्याख्याता समूह ने मुख्यमंत्री,स्कूल शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के नाम ज्ञापन सौंपा है। उनका कहना है कि हाईस्कूल पूर्व पदस्थापना में मुख्य विषय हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, गणित, विज्ञान सामाजिक विज्ञान व्याख्याता के 6 पद विषयवार स्वीकृत थे। जिसमें नवीन सेटअप में 5 पद अनिवार्य कर संस्कृत व्याख्याता पद को हाई स्कूल स्तर को समाप्त कर दिया गया है। अन्य विषयों पर यह नियम लागू नहीं किया गया है। इसमें संस्कृत के पद के शिक्षक क्या करेंगे? अभी गाइडलाइन जारी नहीं की गई है। शिक्षक गुस्से में हैं। संबंध में जिले के संस्कृत व्याख्याता समूह ने मुख्यमंत्री, स्कूल शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को ज्ञापन सौंपा है। संस्कृत व्याख्याता संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि जिले में 103 हाईस्कूल में सभी जगहों में संस्कृत शिक्षक है। हायर सेकंडरी में भी करीब 70 शिक्षक हैं। उसमें भी अनिवार्य पद को समाप्त कर दिया गया है। शिक्षक ने डीईओ से भी मुलाकात की। शिक्षकों का कहना है कि इस फैसले के बाद वे सीधे अतिशेष में आ जाएंगे, उनका वेतन आहरण भी नहीं हो सकेगा। वहीं नए नियमों के अनुसार सेटअप कुछ इस थे का होगा प्राइमरी स्कूल: 80 विद्यार्थियों पर सेटअप में 1 प्रधानपाठक और 2 सहायक शिक्षक के पद। पहली से पांचवीं तक 5 कक्षाओं में हिन्दी, अंग्रेजी, गणित एवं पर्यावरण सहित 4 विषयों को पढ़ाना पड़ता है। गतिविधियों के लिए एक अतिरिक्त क्लास होगी। 5 कक्षाओं में 1 प्रधानपाठक सहित 2 सहायक शिक्षक कैसे पढ़ाएंगे। मिडिल स्कूल: रोज 3 कक्षाओं में 6 विषय हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, सामाजिक विज्ञान, गणित और विज्ञान को पांच लोग कैसे पढ़ाएंगे। विद्यार्थियों की संख्या 30 से कम होने पर प्रधानपाठक पद स्वीकृत नहीं होने की बात कही गई है। नए सेटअप का विरोध कर रहे संस्कृत विषय के शिक्षकों का कहना है कि पद समाप्त करने के कारण उनके सामने तीन अन्य परेशानियां खड़ी होंगी जिनमें पहले तो संस्कृत विषय में मास्टर डिग्री लेने वाले नए छात्रों का भविष्य अंधकार मय हो जाएगा। दूसरा संस्कृत विषय के शिक्षकों की पदोन्नति बाधित होगी। तीसरा संस्कृत विषय जो अंतराष्ट्रीय मंचों में भारतीय संस्कृति की पहचान है वह धीरे.धीरे खत्म हो जाएगी।


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