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प्रोस्टेट केयर मंथ का आयोजन - पूरी दुनिया में 28-Aug-2019
रायपुर 28 अगस्त। पुरुषों में बढती उम्र के साथ प्रोस्टेट की समस्या बढती जाती है। तीस साल की उम्र में प्रोस्टेट की समस्या षुरु होंती है। 70 साल के लोगो में प्रोस्टेट बढने की समस्या कही ज्यादा होती है। इस उम्र के लगभग पचास प्रतिषत लोगों में इस बीमारी के लक्षण होते है । अकेले रायपुर में प्रोस्टेट के लक्षण वाले एक लाख से ज्यादा पुरुष है जो समय रहते इलाज नही कराते और उनकी बीमारी बढती जाती है। यह बात डाॅ ललित षाह कंसलटंेट , जगजीवन युरोलाजी हास्पीटल और डाॅ प्रषांत भागवत, कंसलटेंट, भागवत मेमोरियल हाॅस्पीटल ने प्रोस्टेट अवेयरनेस मंथ के दौरान आयोजित जनजागृति पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए कही । उन्होने कहा कि इस बीमारी के प्रति जनजागृति फैलाने के लिए दुनिया भर में प्रोसट केयर मंथ मनाया जा रहा है। प्रोस्टेट की जो वृद्धि कैंसर के कारण नहीं होती है, उसे बेनाइन प्रोस्टैटिक हाइपरप्लासिया (बीपीएच) कहते हैं। बड़ी आयु के पुरूषों में बीपीएच सर्वाधिक सामान्य स्थिति है, जिसमें 50 वर्ष की आयु के बाद प्रोस्टेट का आकार बढ़ता है । बीपीएच को पौरूष ग्रंथि विस्तार भी कहा जाता है। बढ़ती आयु के पुरूषों में पाई जाने वाली आम स्थिति है। बार बार पेषाब की इच्छा होना , पेषाब का कम बहाव , पेषाब के बाद भी ब्लेडर का भरा हुआ महसुस होना इस बीमारी के लक्षण है। यह 30 साल से पहले षुरू होता है और 40 साल तक पहुंचते पहुंचते 8 प्रतिषत पुरुष 60 साल तक पहुंचते पहुंचते 50 प्रतिषत एवं 90 साल तक पहुंचते पहुंचते 90 प्रतिषत पुरुष माईक्रोस्कोपिक बीपीएच वाले हो जाते हैं। 50 साल या उससे ज्यादा उम्र के पुरुषों में बीपीएच रेंज 14 प्रतिषत से 30 प्रतिषत होती है। भारत में बीपीएच का प्रसार 40 से 49 साल के बीच 25 प्रतिषत; 50 से 59 साल के बीच 37 प्रतिषत; 60 साल से 69 साल के बीच 37 प्रतिषत और 70 साल से 79 साल के बीच 50 प्रतिषत है। हर 5 भारतीय पुरुषों में से लगभग 2 में बीपीएच के कारण लोअर यूरिनरी ट्रैक्ट के खराब लक्षण मौजूद हैं। उन्होने कहा कि प्रोस्टेटाइटिस और बेनाइन प्रोस्टैटिक हाइपरप्लासिया (बीपीएच) पौरूष ग्रंथि के आम रोग हैं; जो विष्व के लाखों पुरूषों को प्रभावित करते हैं। आयु बढ़ने के साथ प्रोस्टेटिक रोग पुरूषों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। अच्छी नींद सभी के लिये आवष्यक है। वयस्कों के लिये यह 7-8 घंटे की होनी चाहिये। नींद में रूकावट होने से इंसोम्निया हो सकता है, जिसे चिकित्सकीय रूप से नींद आने में कठिनाई कहा जाता है या ऐसी नींद, जिससे दिन में तनाव होता है और सामाजिक तथा कार्यगत जीवन प्रभावित होता है। , पुरूषों का प्रोस्टेट आयु के साथ बढ़ता है, क्योंकि यह गं्रथि जीवन भर वृद्धि करना बंद नहीं करती है। आयु बढ़ने के साथ पुरूषों को बीपीएच/प्रोस्टेट कैंसर की नियमित जाँच करवानी चाहिये। यदि मूत्र सम्बंधी कोई समस्या है, तो डाॅक्टर से बात करें। यदि मूत्र सम्बंधी समस्याओं से आपको कोई परेषानी नहीं होती है, तो भी उनके कारण जानना आवष्यक है। इन समस्याओं का उपचार नहीं होने से मूत्रमार्ग में अवरोध हो सकता है। डाॅक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है। आपके डाॅक्टर आपकी आयु, स्वास्थ्य और आप पर स्थिति के प्रभाव के अनुसार सही उपचार चुनने में आपकी मदद कर सकते हैं। भारत में प्रोस्टेट कैंसर काष्षुरूआती अवस्था में ही पता लगाने और उपचार के लिये टारगेटेड स्क्रीनिंग या स्मार्ट स्क्रीनिंग की जरूरत है। 50 साल की आयु के बाद और प्रोस्टेट कैंसर के पारिवारिक इतिहास वाले 40 साल लोग, जोे मूत्र सम्बंधी समस्याओं के लिये यूरोलाॅजी ओपीडी जाते हैं, उन्हें पीएसए और डिजिटल रेक्टल परीक्षण करवाना चाहिये। प्रोस्टेट की जांच के लिए निषुल्क केंप डाॅ ललित षाह ने बताया कि इस तकलीफदायक बीमारी के प्रति जनजागृती फैलाने के लिए जगजीवन युरोलाजी सेंटर में 1 सितंबर को प्रोस्टेट का निषुल्क जांच षिविर का आयोजित किया जा रहा है। समता कालोंनी स्थित सेंटर में होने वाले इस षिविर में सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक मरीजो की निषुल्क जंाच कर परामर्ष दिया जाएगा । इस दौरान एक पोस्टर प्रदर्षनी के माध्यम से भी मरीजों को बीमारी के्र कारण , बचाव व सावधानियों के बारे में बताया जाएगा ।


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