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मछली पालन के प्रति युवाओं का बढ़ा रूझान 20-Jan-2023

आज शाम करीब 6 बजे स्पेशल चार्टर प्लेन से रायपुर पहुंची। भारत और न्यूजीलैंड की क्रिकेट टीम का रायपुर एयरपोर्ट से लेकर होटल पहुंचने तक के पूरे रास्ते में खेलप्रेमियों ने क्रिकेटरों का स्वागत किया। होटल पहुंचते ही टीम इंडिया और न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों का स्वागत छत्तीसगढ़ के राजकीय गमछे से किया गया। खिलाड़ियों ने भी छत्तीसगढ़ के राजकीय गमछे को देर तक अपने कंधे पर सजाये रखा। टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा, हरफनमौला खिलाड़ी हार्दिक पांडया, गेंदबाज मोहम्मद सिराज, तेज गेंदबाज उमरान मलिक, विकेटकीपर बल्लेबाज इशान किशन, बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर सहित कई खिलाड़ियों ने छत्तीसगढ़ के राजकीय गमछे को धारण किया। वहीं न्यूजीलैंड के खिलाड़ी भी राजकीय गमझे को पहनकर काफी प्रसन्न दिखाई दिए।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा को संरक्षित और उनको एक नई पहचान देने के लिए छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा, छत्तीसगढ़ के राज्य गीत का गायन, अतिथियों का  राजकीय गमछा से स्वागत, तीज त्योहारों का परंपरा अनुसार विशेष रूप से आयोजन किया जा रहा है। 

 

सुजीत के मछलीपालन के प्रति रुचि को देखते हुए मत्स्यपालन विभाग ने भी सहयोग किया। इसके बाद सुजीत ने सात बॉयोफ्लॉक टैंकों में मछलीपालन प्रारंभ किया। इसकी लागत लगभग साढ़े सात लाख रुपए आई। विभाग द्वारा 40 फीसदी अनुदान दिया गया, जिससे सुजीत को मात्र साढ़े चार लाख रुपए खर्च करना पड़ा। पिछले वर्ष सुजीत ने मात्र 40 हजार रुपए के मछली बीज से लगभग नौ लाख रुपए से अधिक की मछली तैयार की। मछलीपालन के खर्च को जोड़ भी दिया जाए, तब भी उन्होंने लगभग चार लाख रुपए की आय प्राप्त की। अब सुजीत के अनुभवों का लाभ दूसरे किसान भी उठा रहे हैं और उनके मार्गदर्शन में मछली की खेती कर रहे हैं। सुजीत भी अब मछलीपालन के साथ ही उसके चारा उत्पादन का व्यवसाय भी प्रारंभ करने की योजना बना रहे हैं, ताकि क्षेत्र के मछलीपालक किसानों को मछली चारा के लिए दूसरे क्षेत्रों पर निर्भर न रहना पड़े।
सुजीत अपनी इस सफलता के लिए मछलीपालन विभाग के साथ ही अपने माता-पिता और भाई को श्रेय देते हैं। सुजीत ने कहा कि व्यवसाय की शुरुआती असफलता के बावजूद माता-पिता और भाई ने पूरा समर्थन दिया, जिससे उनके भीतर कभी भी निराशा नहीं आई और परिश्रम व अनुभव से इस व्यापार में लाभ प्राप्त किया। उन्होंने बताया कि वे तिलापिया और पंगेशियस मछली का पालन कर रहे हैं, जिसकी तेजी से वृद्धि होने के कारण यह अत्यंत लाभदायक है।

क्या है बायोफ्लॉक तकनीक-
उल्लेखनीय है कि बायोफ्लॉक तकनीक एक कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला मछली पालन का उन्न्त तरीका है, जिसमें बड़े बड़े टैंक में मछली पालन किया जाता है। इन टैंकों में पानी भरने, गंदा पानी निकालने, पानी में ऑक्सीजन देने की व्यवस्था होती है। इस तकनीक के तहत टैंक में मछलियों द्वारा छोड़े गए अपशिष्ट पदार्थ जैसे अमोनिया, नाइट्रेट और नाइट्राइट को बैक्टीरिया की मदद से प्रोटीन सेल में तब्दील कर दिया जाता है, जो मछलियों के लिए पोषण का काम करता है। इस तकनीक में कार्बन और नाइट्रोजन की मात्रा सदैव संतुलन में रहती है, जिससे मछलियों को वृद्धि करने का पूरा मौका मिलता है। बायोफ्लॉक बैक्टीरिया की तकनीक के इस्तेमाल से ना सिर्फ एक तिहाई फीड की बचत होती है बल्कि पानी और श्रम का खर्चा भी सामान्य मछली पालन के मुकाबले कम आता है। इससे मछलियों की गुणवत्ता बेहतर रहती ही है, साथ ही दाम भी बाजार में अच्छे मिल जाते हैं। इस विधि से थोड़ी निगरानी के साथ कम जगह में भी सफलतापूर्वक मछली पालन किया जा सकता है।



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