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जो भक्त यहां आकर भगवान के दर्शन करते हैं और मनोकामना मांगते हैं, उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं. 11-Jul-2023

कलियुग में खाटू श्याम के पूजे जाने के 10 महत्वपूर्ण कारण

  1. खाटू श्याम का अर्थ है ‘मां सैव्यम पराजित:’ यानी जो हारे और निराश लोगों को संबल प्रदान करता हो.
  2. खाटू श्याम को श्रीकृष्ण का कलयुगि अवतार माना जाता है. खाटू श्याम का जन्मोत्सव कार्तिक शुक्ल की देवउठनी एकादशी के दिन मनाया जाता है.
  3. हिंदू पंचांग के फाल्गुन माह के शुक्ल षष्ठी से लेकर बारस तक खाटू श्याम के मंदिर परिसर में भव्य मेला लगता है. इसे ग्यारस मेला के नाम से भी जाना जाता है.
  4. पौराणिक कथा के अनुसार, खाटू श्याम पांडव पुत्र भीम के पौत्र थे. उनका नाम बर्बरीक था.
  5. भीम के पुत्र का नाम घटोत्कच था और उसके पुत्र का नाम बर्बरीक था. बर्बरीक की माता का नाम हिडिम्बा था. आज के समय में बर्बरीक को ही बाबा खाटू श्याम जी के नाम से जाना जाता है.
  6. महाभारत के बर्बरीक को श्रीकृष्ण ने कलियुग में स्वयं के नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था. आज खाटू श्याम के नाम से बर्बरीक को पूजा जाता है.
  7. स्वप्न दर्शनोपरांत बाबा श्याम, खाटू धाम में स्थित कुंड में प्रकट हुए और श्रीकृष्ण शालीग्राम के रूर में मंदिर में दर्शन देते हैं.
  8. भगवान श्रीकृष्ण को अपना शीश दान देने के कारण खाटू श्याम जी को शीश दानी भी कहा जाता है. इसके अलावा उन्हें मोरछीधारी भी कहा जाता है.
  9. खाटू श्याम जी को विश्व का दूसरा और सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर भी कहा जाता है.
  10. खाटू श्याम जी ने आगे वाले दल का पक्ष लिया था,इसलिए इन्हें हारे का सहारा कहा जाता है.


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